योगिनी एकादशी व्रत कथा | Yogini Ekadashi Vrat Katha Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप योगिनी एकादशी व्रत कथा / Yogini Ekadashi Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। एकादशी के व्रत को हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को श्री हरी विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है। यदि आप भगवान विष्णु जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो एकादशी व्रत का पालन अवश्य करें।
योगिनी एकादशी व्रत को अत्यधिक फलदायी माना जाता है। किसी भी एकादशी व्रत में एकादशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कथा के पाठ से भक्तों को योगिनी एकादशी की महिमा के बारे में पता चलता है जिसके प्रभाव से उनके मन में श्रद्धा का भाव उत्पन्न होता है । अतः एकादशी व्रत का सम्पूर्ण विधि से पालन करें।
योगिनी एकादशी की व्रत कथा / Yogini Ekadashi Vrat Katha in Hindi PDF
- धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि भगवन, मैंने ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के व्रत का माहात्म्य सुना। अब कृपया आषाढ़ कृष्ण एकादशी की कथा सुनाइए। इसका नाम क्या है? माहात्म्य क्या है? यह भी बताइए।
- श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजन! आषाढ़ कृष्ण एकादशी का नाम योगिनी है। इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाली है। यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। मैं तुमसे पुराणों में वर्णन की हुई कथा कहता हूँ। ध्यानपूर्वक सुनो।
- स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहाँ फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।
- इधर राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलाया।
- हेम माली राजा के भय से काँपता हुआ उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिवजी महाराज का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’
- कुबेर के शाप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दु:ख भोगे, भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा।
- रात्रि को निद्रा भी नहीं आती थी, परंतु शिवजी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान अवश्य रहा। घूमते-घ़ूमते एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुँच गया, जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और जिनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान लगता था। हेम माली वहाँ जाकर उनके पैरों में पड़ गया।
- उसे देखकर मारर्कंडेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई। हेम माली ने सारा वृत्तांत कह सुनाया। यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूँ। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएँगे।
- यह सुनकर हेम माली ने अत्यंत प्रसन्न होकर मुनि को साष्टांग प्रणाम किया। मुनि ने उसे स्नेह के साथ उठाया। हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।
- भगवान कृष्ण ने कहा- हे राजन! यह योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है। इसके व्रत से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और अंत में स्वर्ग प्राप्त होता है।
योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि / Yogini Ekadashi Vrat Pooja Vidhi
- एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- तत्पश्चात व्रत व दान का संकल्प लें।
- अब एक लड़की की चौकी पर भगवान श्री हरी विष्णु जी के चित्र अथवा श्री विग्रह की स्थापना करें।
- विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें।
- उन्हें धूप, दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- तदोपरांत योगिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- अंत में भगवान विष्णु जी की आरती करें।
योगिनी एकादशी पूजन सामग्री / Yogini Ekadashi Puja Samagri List In Hindi
क्रमांक | सामग्री |
---|---|
1. | श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, |
2. | पुष्प, |
3. | नारियल, |
4. | सुपारी, |
5. | फल, |
6. | लौंग, |
7. | धूप, |
8. | दीप, |
9. | घी, |
10. | पंचामृत, |
11. | अक्षत, |
12. | तुलसी दल, |
13. | चंदन, |
14. | मिष्ठान | |
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