विश्वकर्मा बुक | Vishwakarma Book PDF Hindi

विश्वकर्मा बुक | Vishwakarma Book Hindi PDF Download

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विश्वकर्मा बुक | Vishwakarma Book Hindi - Description

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको विश्वकर्मा बुक PDF / Vishwakarma Book PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर 2022 को मनाई जाएगी। हर साल अश्विन माह की कन्या संक्रांति के दिन सृष्टि के पहले हस्तशिल्पकार, वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इस पूजा को व्यापारी अपनी दुकानों, कम्पनियो, दफ्तरों, फैक्टरियों, गोदामों, आदि जगहों पर करते हैं। श्री विश्वकर्मा वाले दिन व्यापारी व् अन्य मजदूर अपनी मशीनों की पूजा पुरे विधि विधान से करते हैं।

इस साल विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर पांच शुभ योग रवि योग, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग और सिद्धि योग बना हुआ है। इन योगों के कारण विश्वकर्मा पूजा का महत्व और भी बढ़ गया है। यह दिन व्रत और पूजा-पाठ के लिए फलदायी है।

विश्वकर्मा बुक PDF | Vishwakarma Book PDF in Hindi

भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं। वराह पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने विश्वकर्मा को धरती पर उत्पन्न किया। वहीं विश्वकर्मा  पुराण के अनुसार, आदि नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की। भगवान विश्वकर्मा के जन्म को देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से भी जोड़ा जाता है।

इस तरह भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में जो कथाएं मिलती हैं, उससे ज्ञात होता है कि विश्वकर्मा एक नहीं कई हुए हैं और समय-समय पर अपने कार्यों और ज्ञान से वो सृष्टि के विकास में सहायक हुए हैं। शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा के इस वर्णन से यह संकेत मिलता है कि विश्वकर्मा एक प्रकार का पद और उपाधि है, जो शिल्पशास्त्र का श्रेष्ठ ज्ञान रखने वाले को कहा जाता था। सबसे पहले हुए विराट विश्वकर्मा, उसके बाद धर्मवंशी विश्वकर्मा, अंगिरावंशी, तब सुधान्वा विश्वकर्मा हुए। फिर शुक्राचार्य के पौत्र भृगुवंशी विश्वकर्मा हुए। मान्यता है कि देवताओं की विनती पर विश्वकर्मा ने महर्षि दधीची की हड्डियों से स्वर्गाधिपति इंद्र के लिए एक शक्तिशाली वज्र बनाया था।

प्राचीन काल में जितने भी सुप्रसिद्ध नगर और राजधानियां थीं, उनका सृजन भी विश्वकर्मा ने ही किया था, जैसे सतयुग का स्वर्ग लोक, त्रेतायुग की लंका, द्वापर की द्वारिका और कलियुग के हस्तिनापुर। महादेव का त्रिशूल, श्रीहरि का सुदर्शन चक्र, हनुमान जी की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल और  कुबेर के पुष्पक विमान का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था। वो शिल्पकला के इतने बड़े मर्मज्ञ थे कि जल पर चल सकने योग्य खड़ाऊ बनाने की सामथ्र्य रखते थे।

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