वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय कक्षा 12 PDF Summary
नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय कक्षा 12 PDF Download free में हिन्दी भाषा में प्रदान करने जा रहे हैं। जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि विभिन्न परीक्षाओं में सामान्यत: हिन्दी के विषय में विभिन्न कवि, लेखकों एवं निबंधकारों के जीवन परिचय से संबन्धित प्रश्न आते हैं।
इसी प्रकार बोर्ड की परीक्षा में भी विशेषतः अनेकों कवि, लेखक आदि के जीवन परिचय, उनकी कृतियाँ, रचनाएँ, ग्रंथ, साहित्यिक योगदान तथा हिन्दी साहित्य में स्थानआदि के बारे भिन्न-भिन्न प्रश्न आते हैं जिनका उत्तर विद्यार्थी को लिखना होता है। इसी प्रकार एक लेखक थे वासुदेवशरण अग्रवाल जी।
जिनके जीवन से संबन्धित अनेकों प्रश्न बोर्ड की परीक्षा में आते हैं। वासुदेवशरण अग्रवाल जी का जन्म 7 अगस्त, 1904 को खेड़ा, नामक ग्राम ,मेरठ जिले में हुआ था तथा इनकी मृत्यु 27 जुलाई, 1966 को हुई थी। यह आधुनिक काल के एक प्रसिद्ध लेखक के रूप में प्रचलित थे। इनकी राष्ट्रीयता भारतीय थी।
तो मित्रों यदि यह जानकारी आपको उपयोगी लगी हो और आप एक हाई स्कूल या इंटर के विद्यार्थी हैं और इस विषय पर अधिक जानकारी चाहते हैं तो आप इस लेख के माध्यम से जान सकते हैं। आप सभी की सुविधा हेतु हमने आज इस लेख में वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय कक्षा 12 PDF Download करने के लिए फ्री में प्रदान की हैं। जो कि आपके लिए अत्यंत ही लाभकारी सिद्ध होगी।
वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय कक्षा 12 PDF – Overview
- डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जन्म सन् 1904 ई० में मेरठ जनपद के खेड़ा ग्राम में हुआ था।
- इनके माता-पिता लखनऊ में रहते थे; अत: इनका बचपन लखनऊ में व्यतीत हुआ और यहीं इनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी हुई।
- इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम० ए० तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से इन ‘पाणिनिकालीन भारत’ नामक शोध-प्रबन्ध पर डी० लिट्० की उपाधि प्राप्त की।
- डॉ० अग्रवाल ने पालि, संस्कृत एवं अंग्रेजी भाषाओं; भारतीय संस्कृति और पुरातत्त्व का गहन अध्ययन करके उच्चकोटि के विद्वान् के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पुरातत्त्व एवं प्राचीन इतिहास विभाग के वि अध्यक्ष और बाद में आचार्य पद को सुशोभित किया।
- इन्होनें लखनऊ तथा मथुरा के पुरातत्त्व संग्रहालयों में निरीक्षक पद पर, केन्द्रीय सरकार के पुरातत्त्व विभाग में संचालक पद पर तथा दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में अध्यक्ष तथा आचार्य पद पर भी कार्य किया।
- भारतीय संस्कृति और पुरातत्त्व के यह महान् पण्डित एवं साहित्यकार सन् 1967 ई० में परलोक सिधार गए।
वासुदेव शरण अग्रवाल का साहित्यिक योगदान PDF
- डॉ० अग्रवाल भारतीय संस्कृति, पुरातत्त्व और प्राचीन त इतिहास के प्रकाण्ड पण्डित एवं अन्वेषक थे।
- इनके मन में भारतीय संस्कृति को वैज्ञानिक अनुसन्धान की दृष्टि से प्रकाश में लाने की उत्कट इच्छा थी; अत: इन्होंने उत्कृष्ट कोटि के अनुसन्धानात्मक निबन्धों की रचना की।
- इनके अधिकांश निबन्ध प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति से सम्बद्ध हैं।
- इन्होंने अपने निबन्धों में प्रागैतिहासिक, वैदिक एवं पौराणिक धर्म का उद्घाटन किया। निबन्ध के अतिरिक्त इन्होंने पालि, प्राकृत और संस्कृत के अनेक ग्रन्थों का सम्पादन और पाठ-शोधन का कार्य किया।
- जायसी के ‘पद्मावत’ पर इनकी टीका सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
- इन्होंने बाणभट्ट के ‘हर्षचरित’ का सांस्कृतिक अध्ययन प्रस्तुत किया और प्राचीन महापुरुषों — श्रीकृष्ण, वाल्मीकि, मनु आदि का आधुनिक दृष्टि से बुद्धिसम्मत चरित्र प्रस्तुत किया।
- हिन्दी-साहित्य के इतिहास में अपनी मौलिकता, विचारशीलता और विद्वत्ता के लिए ये चिरस्मरणीय रहेंगे।
वासुदेव शरण अग्रवाल की कृतियां
डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल ने निबन्ध, शोध एवं सम्पादन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
इनकी प्रमुख रचनाओं का विवरण निम्नवत् है :
वासुदेव शरण अग्रवाल का साहित्य में स्थान
- भारतीय संस्कृति और पुरातत्त्व के विद्वान डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल का निबन्ध-साहित्य अत्यधिक समृद्ध है।
- पुरातत्त्व और अनुसन्धान के क्षेत्र में उनकी समता कोई नहीं कर सकता।
- विचार-प्रधान निबन्धों के क्षेत्र में तो इनका योगदान सर्वथा अविस्मरणीय है।
- निश्चय ही हिन्दी-साहित्य में इनका मूर्धन्य स्थान है।
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