वसीयत कहानी का सारांश Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप वसीयत कहानी का सारांश PDF के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। वसीयत कहानी, श्री भगवतीचरण वर्मा जी द्वारा लिखित एक अत्यधिक लोकप्रिय एवं शिक्षाप्रद नाटका विधा की कहानी है जिसके माध्यम से भगवतीचरण वर्मा जी ने समाज के रूप को सामने रखने का प्रयास किया है।
भगवतीचरण वर्मा जी का जन्म 30 अगस्त 1903 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर नामक स्थान पर हुआ था । भगवतीचरण वर्मा जी ने अपने जीवनकाल में अनेकों लोकप्रिय उपन्यास, कहानी, कविता, निबंध तथा नाटकों की रचना की थी। उन्हें साहित्य जगत में अपने अनुपन योगदान के लिए पद्मभूषण पुरस्कार द्वारा भी सम्मानित किया गया था।
वसीयत कहानी का सारांश PDF Download / Vasiyat Kahani Ka Saransh Likhiye PDF
- ‘वसीयत’ कहानी ‘भगवती चरण वर्मा’ द्वारा लिखित पारिवारिक ताने-बाने पर आधारित एक कहानी है। जिसमें कहानी के मुख्य पात्र पंडित चूड़ामणि मिश्र अपने बच्चों द्वारा उपेक्षित व्यक्ति हैं। इनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं, लेकिन सब उनकी उपेक्षा करते हैं और उनसे अलग रहते हैं। यहाँ तक कि उनकी पत्नी भी उनसे अलग रहती हैं।
- एक लंबी बीमारी के बाद जब उनका देहांत होता है तो वे अपने बच्चों और पत्नी आदि के नाम जैसी वसीयत करके जाते हैं, यह कहानी उसी विषय पर आधारित है।
- आचार्य चूड़ामणि मिश्र के दो बेटे लालमणि और नीलमणि हैं। जिनके नाम वह वसीयत में अपनी संपत्ति का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा कर जाते हैं। वे अपनी बेटियों तथा पत्नी को भी संपत्ति का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा देकर जाते हैं।
- यह कहानी संपत्ति के लोभी संबंधियों की मनोदशा दर्शाती है जो संपत्ति के लोभ में रिश्ते नातों की मर्यादा तक भूल जाते हैं। यह कहानी पिता-पुत्र, पति-पत्नी के बीच के संबंधों के बीच, आज की भागती दौड़ती जिंदगी और संपत्ति के लोभ के कारण उत्पन्न हुई दरार को दर्शाती है।
- ‘वसीयत’ कहानी भगवती चरण वर्मा द्वारा लिखित एक ऐसी सामाजिक ताने-बाने की कहानी है, जो लोभी प्रवृत्ति के संबंधियों की मानसिकता पर केंद्रित है। ये कहानी मुख्य पात्र पंडित चूड़ामणि मिश्र के द्वारा की गई वसीयत पर आधारित है, तथा ऐसे पुत्र-पुत्री जिन्होंने अपने पिता का जीते जी कभी ध्यान नही रखा तथा एक ऐसी पत्नी जिसने अपने पति की जीते जी कोई सम्मान नहीं किया, की लोभी प्रवृत्ति पर प्रकाश डालती है।
- जब चूड़ामणि मिश्र मरने के उपरांत उनके नाम अपनी संपत्ति का हिस्सा छोड़ जाते है तो वह उस पिता का गुणगान गाने लगते हैं। पहले जिस पिता को अपशब्द बोल रहे थे, धन के मिलते ही वह अपने पिता के प्रति संवेदना का सामाजिक दिखावा करते हैं। ऐसा ही दिखावा पंडित चूड़ामणि मिश्र की पत्नी और बहुएं तथा भतीजे आदि भी करते हैं।
- यह कहानी हमारे उस सामाजिक मानसिकता पर प्रकाश डालती है, जहाँ सारे रिश्ते बंधन केवल स्वार्थ और धन की डोर से बंधे हैं ।धन-संपत्ति केंद्र-बिंदु में आने पर वही रिश्ते प्रिय लगने लगते हैं और धन-संपत्ति की वजह से ही रिश्तो में दरार भी आ जाती है।
- यह कहानी उस सामाजिक विडंबना को भी प्रदर्शित करती है जहाँ रिश्तो में आत्मीयता का अभाव हो गया है और केवल वे अपने स्वार्थ पूर्ति के साधन बनकर रह गए हैं। पति-पत्नी और पिता-पुत्र-पुत्री जैसे प्रगाढ़ संबंध भी स्वार्थ की डोर से बंधकर रह गये हैं।
- कहानी के मुख्य पात्र पंडित चूड़ामणि मिश्र भी ऐसे ही स्वार्थी संबंधों के भुक्त-भोगी हैं, जो कि उनकी मृत्यु के उपरांत भी कायम रहता है। यही समस्या समाज की सबसे गहरी समस्या है।
भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास की सूची
1. | पतन (1928), |
2. | चित्रलेखा (1934), |
3. | तीन वर्ष, |
4. | टेढे़-मेढे रास्ते (1946) – इसमें मार्क्सवाद की आलोचना की गई थी. |
5. | अपने खिलौने (1957) |
6. | भूले-बिसरे चित्र (1959) |
7. | वह फिर नहीं आई |
8. | सामर्थ्य और सीमा (1962), |
9. | थके पांव |
10. | रेखा |
11. | सीधी सच्ची बातें |
12. | युवराज चूण्डा |
13. | सबहिं नचावत राम गोसाईं, (1970) |
14. | प्रश्न और मरीचिका, (1973) |
15. | धुप्पल |
16. | चाणक्य |
17. | क्या निराश हुआ जाए |
भगवतीचरण वर्मा कहानी-संग्रह
- दो बांके 1936, मोर्चाबंदी, इंस्टालमेंट, मुगलों ने सल्तल्त बख्श दी
भगवतीचरण वर्मा कविता-संग्रह
- मधुकण (1932)
- तदन्तर दो और काव्यसंग्रह- ‘प्रेम-संगीत’ और ‘मानव’ निकले।
भगवतीचरण वर्मा नाटक
- वसीहत
- रुपया तुम्हें खा गया
- सबसे बड़ा आदमी
भगवतीचरण वर्मा संस्मरण
- अतीत के गर्भ से
भगवतीचरण वर्मा साहित्यालोचन
- साहित्य के सिद्घान्त
- रुप
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