वसीयत कहानी का सारांश | Vasiyat Kahani Ka Saransh PDF Hindi

वसीयत कहानी का सारांश | Vasiyat Kahani Ka Saransh Hindi PDF Download

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वसीयत कहानी का सारांश | Vasiyat Kahani Ka Saransh Hindi - Description

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप वसीयत कहानी का सारांश PDF प्राप्त कर सकते हैं। वसीयत कहानी में सभी पात्रों की दुर्बलता को भी दर्शाया गया है । वसीयत कहानी के रचीयता भगवतीचरण वर्मा हैं । यह एक ऐसी कहानी है जिसके द्वारा लेख ने समाज व परिवार के सम्बन्धों के मध्य होने वाली खींचातानी को दर्शाया है । जैसा की आप जानते हैं कि आज के दौर में रिश्ते मात्र नाम के ही रह गए हैं । ऐसे बहुत से लोग हैं जो यह दिखाने का प्रयत्न करते हैं कि वह आपके सबसे बड़े शुभचिंतक हैं लेकिन उनके मन में भी कहीं न कहीं स्वार्थ का विष भी घुल रहा होता है। वसीयत कहानी भी एक सामाजिक एवं पारिवारिक वातावरण पर लिखी गयी कहानी है ।
इस कहानी के माध्यम से लेख ने सामाजिक रिश्तों पर व्यंग किया गया है । जब चूड़ामणि मिश्र मरने के उपरांत उनके नाम अपनी संपत्ति का हिस्सा छोड़ जाते है तो वह उस पिता का गुणगान गाने लगते हैं। पहले जिस पिता को अपशब्द बोल रहे थे, धन के मिलते ही वह अपने पिता के प्रति संवेदना का सामाजिक दिखावा करते हैं। ऐसा ही दिखावा पंडित चूड़ामणि मिश्र की पत्नी और बहुएं तथा भतीजे आदि भी करते हैं। यही सामाजिक सत्य लोगों के सामने लाने के लिए श्री भगवतीचरण वर्मा जी ने इस कहानी की रचना की है।

वसीयत कहानी का सारांश PDF

  • ‘वसीयत’ कहानी ‘भगवती चरण वर्मा’ द्वारा लिखित पारिवारिक ताने-बाने पर आधारित एक कहानी है। जिसमें कहानी के मुख्य पात्र पंडित चूड़ामणि मिश्र अपने बच्चों द्वारा उपेक्षित व्यक्ति हैं।
  • इनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं, लेकिन सब उनकी उपेक्षा करते हैं और उनसे अलग रहते हैं। यहाँ तक कि उनकी पत्नी भी उनसे अलग रहती हैं।
  • एक लंबी बीमारी के बाद जब उनका देहांत होता है तो वे अपने बच्चों और पत्नी आदि के नाम जैसी वसीयत करके जाते हैं, यह कहानी उसी विषय पर आधारित है।
  • आचार्य चूड़ामणि मिश्र के दो बेटे लालमणि और नीलमणि हैं। जिनके नाम वह वसीयत में अपनी संपत्ति का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा कर जाते हैं। वे अपनी बेटियों तथा पत्नी को भी संपत्ति का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा देकर जाते हैं।
  • यह कहानी संपत्ति के लोभी संबंधियों की मनोदशा दर्शाती है जो संपत्ति के लोभ में रिश्ते नातों की मर्यादा तक भूल जाते हैं। यह कहानी पिता-पुत्र, पति-पत्नी के बीच के संबंधों के बीच, आज की भागती दौड़ती जिंदगी और संपत्ति के लोभ के कारण उत्पन्न हुई दरार को दर्शाती है।
  • ‘वसीयत’ कहानी भगवती चरण वर्मा द्वारा लिखित एक ऐसी सामाजिक ताने-बाने की कहानी है, जो लोभी प्रवृत्ति के संबंधियों की मानसिकता पर केंद्रित है। ये कहानी मुख्य पात्र पंडित चूड़ामणि मिश्र के द्वारा की गई वसीयत पर आधारित है,
  • तथा ऐसे पुत्र-पुत्री जिन्होंने अपने पिता का जीते जी कभी ध्यान नही रखा तथा एक ऐसी पत्नी जिसने अपने पति की जीते जी कोई सम्मान नहीं किया, की लोभी प्रवृत्ति पर प्रकाश डालती है।
  • जब चूड़ामणि मिश्र मरने के उपरांत उनके नाम अपनी संपत्ति का हिस्सा छोड़ जाते है तो वह उस पिता का गुणगान गाने लगते हैं। पहले जिस पिता को अपशब्द बोल रहे थे, धन के मिलते ही वह अपने पिता के प्रति संवेदना का सामाजिक दिखावा करते हैं। ऐसा ही दिखावा पंडित चूड़ामणि मिश्र की पत्नी और बहुएं तथा भतीजे आदि भी करते हैं।
  • यह कहानी हमारे उस सामाजिक मानसिकता पर प्रकाश डालती है, जहाँ सारे रिश्ते बंधन केवल स्वार्थ और धन की डोर से बंधे हैं ।धन-संपत्ति केंद्र-बिंदु में आने पर वही रिश्ते प्रिय लगने लगते हैं और धन-संपत्ति की वजह से ही रिश्तो में दरार भी आ जाती है।
  • यह कहानी उस सामाजिक विडंबना को भी प्रदर्शित करती है जहाँ रिश्तो में आत्मीयता का अभाव हो गया है और केवल वे अपने स्वार्थ पूर्ति के साधन बनकर रह गए हैं। पति-पत्नी और पिता-पुत्र-पुत्री जैसे प्रगाढ़ संबंध भी स्वार्थ की डोर से बंधकर रह गये हैं।
  • कहानी के मुख्य पात्र पंडित चूड़ामणि मिश्र भी ऐसे ही स्वार्थी संबंधों के भुक्त-भोगी हैं, जो कि उनकी मृत्यु के उपरांत भी कायम रहता है। यही समस्या समाज की सबसे गहरी समस्या है।

वसीयत कहानी का सारांश PDF – लेखक का परिचय

जन्म 30 अगस्त 1903
शफीपुर, संयुक्त प्रान्त, ब्रितानी भारत
मृत्यु 5 अक्टूबर 1981 (उम्र 78)
व्यवसाय लेखक
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा बी ए, एल एल बी
उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय
विधा उपन्यास, कहानी, नाटक
उल्लेखनीय सम्मान पद्मभूषण
साहित्य अकादमी पुरस्कार

भगवतीचरण वर्मा कहानी-संग्रह

  • दो बांके 1936, मोर्चाबंदी, इंस्टालमेंट, मुगलों ने सल्तल्त बख्श दी

भगवतीचरण वर्मा कविता-संग्रह

  • मधुकण (1932)
  • तदन्तर दो और काव्यसंग्रह- ‘प्रेम-संगीत’ और ‘मानव’ निकले।

भगवतीचरण वर्मा नाटक

  • वसीहत
  • रुपया तुम्हें खा गया
  • सबसे बड़ा आदमी

भगवतीचरण वर्मा संस्मरण

  • अतीत के गर्भ से

भगवतीचरण वर्मा साहित्यालोचन

  • साहित्य के सिद्घान्त
  • रुप

भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास की सूची

1.         पतन (1928),
2.         चित्रलेखा (1934),
3.         तीन वर्ष,
4.         टेढे़-मेढे रास्ते (1946) – इसमें मार्क्सवाद की आलोचना की गई थी.
5.         अपने खिलौने (1957)
6.         भूले-बिसरे चित्र (1959)
7.         वह फिर नहीं आई
8.         सामर्थ्य और सीमा (1962),
9.         थके पांव
10.     रेखा
11.     सीधी सच्ची बातें
12.     युवराज चूण्डा
13.     सबहिं नचावत राम गोसाईं, (1970)
14.     प्रश्न और मरीचिका, (1973)
15.     धुप्पल
16.     चाणक्य
17.     क्या निराश हुआ जाए

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