वराह पुराण | Varaha Purana Hindi - Description
नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए वराह पुराण PDF/ Varaha Purana in Hindi PDF प्रदान करने जा रहे हैं। सनातन हिन्दू धर्म में पुराणों का वर्णन आता है। उन्हीं में से एक वराह पुराण है। इस पुराण में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों में से एक वराह भगवान की महिमा का वर्णन किया गया है। भगवान विष्णु को हिन्दू धर्म में अत्यधिक बड़े स्तर पर पूजा जाता है।
हिन्दू धर्म ग्रन्थों में भी भगवान विष्णु की विशेष महिमा का वर्णन अनेक स्थानों पर प्राप्त होता है। यही कारण है कि वह इतने महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस पुराण में दो सौ सत्तरह अध्याय और लगभग दस हज़ार श्लोकों का वर्णन मिलता है। इन श्लोकों में भगवान वराह के धर्म उपदेशों को कथाओं के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
वराह पुराण में भगवान श्री हरी विष्णु जी के मुख्य अवतार का पूजन-विधान, शिव-पार्वती की कथाएँ, वराह क्षेत्रवर्ती आदित्य तीर्थों की महिमा, मोक्षदायिनी नदियों की उत्पत्ति और माहात्म्य एवं त्रिदेवों की महिमा आदि पर भी विशेष प्रकाश डाला गया है। इस लेख के द्वारा आप वराह पुराण इन हिंदी पीडीएफ को प्राप्त करके वराह पुराण के बारे में विभिन्न जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
वराह पुराण हिंदी में PDF / Varaha Purana in Hindi PDF: Highlights
पुस्तक का नाम (Name of Book) | श्री वराहपुराण / Varaha Purana |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Gita Press / गीता प्रेस |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी / Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 24 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total Pages in Ebook) | 1082 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | वेद-पुराण / Ved-Puran |
वराह पुराण की कथा / Varaha Purana Katha (Story) PDF in Hindi
उसके बाद सत्यतपा के व्रत की कथा दी गयी है, तदनन्तर अगस्त्य गीता तथा रुद्रगीता कही गयी है, महिषासुर के विध्वंस में ब्रह्मा विष्णु रुद्र तीनों की शक्तियों का माहात्म्य प्रकट किया गया है, तत्पश्चात पर्वाध्याय श्वेतोपाख्यान गोप्रदानिक इत्यादि सत्ययुग वृतान्त मैंने प्रथम भाग में दिखाया गया है, फ़िर भगवर्द्ध में व्रत और तीर्थों की कथायें है, बत्तीस अपराधों का शारीरिक प्रायश्चित बताया गया है, प्राय: सभी तीर्थों के पृथक पृथक माहात्मय का वर्णन है, मथुरा की महिमा विशेषरूप से दी गयी है।
उसके बाद श्राद्ध आदि की विधि है, तदनन्तर ऋषि पुत्र के प्रसंग से यमलोक का वर्णन है, कर्मविपाक एवं विष्णुव्रत का निरूपण है, गोकर्ण के पापनाशक माहात्मय का भी वर्नन किया गया है, इस प्रकार वाराहपुराण का यह पूर्वभाग कहा गया है, उत्तर भाग में पुलस्त्य और पुरुराज के सम्वाद में विस्तार के साथ सब तीर्थों के माहात्मय का पृथक पृथक वर्णन है। फ़िर सम्पूर्ण धर्मों की व्याख्या और पुष्कर नामक पुण्य पर्व का भी वर्णन है।
इस वराहपुराण में सबसे पहले पृथ्वी और वाराह भगवान का शुभ संवाद है, तदनन्तर आदि सत्ययुग के वृतांत में रैम्य का चरित्र है, फ़िर दुर्जेय के चरित्र और श्राद्ध कल्प का वर्णन है, तत्पश्चात महातपा का आख्यान, गौरी की उत्पत्ति, विनायक, नागगण सेनानी (कार्तिकेय) आदित्यगण देवी धनद तथा वृष का आख्यान है।
उसके बाद सत्यतपा के व्रत की कथा दी गयी है, तदनन्तर अगस्त्य गीता तथा रुद्रगीता कही गयी है, महिषासुर के विध्वंस में ब्रह्मा विष्णु रुद्र तीनों की शक्तियों का माहात्म्य प्रकट किया गया है, तत्पश्चात पर्वाध्याय श्वेतोपाख्यान गोप्रदानिक इत्यादि सत्ययुग वृतान्त मैंने प्रथम भाग में दिखाया गया है, फ़िर भगवर्द्ध में व्रत और तीर्थों की कथायें है, बत्तीस अपराधों का शारीरिक प्रायश्चित बताया गया है।
प्राय: सभी तीर्थों के पृथक पृथक माहात्मय का वर्णन है, मथुरा की महिमा विशेषरूप से दी गयी है, उसके बाद श्राद्ध आदि की विधि है, तदनन्तर ऋषि पुत्र के प्रसंग से यमलोक का वर्णन है, कर्मविपाक एवं विष्णुव्रत का निरूपण है, गोकर्ण के पापनाशक माहात्मय का भी वर्नन किया गया है, इस प्रकार वाराहपुराण का यह पूर्वभाग कहा गया है।
उत्तर भाग में पुलस्त्य और पुरुराज के सम्वाद में विस्तार के साथ सब तीर्थों के माहात्मय का पृथक पृथक वर्णन है। फ़िर सम्पूर्ण धर्मों की व्याख्या और पुष्कर नामक पुण्य पर्व का भी वर्णन है।
Varaha Purana in Hindi PDF – FAQs
उ. वराह पुराण में दो सौ सत्तरह अध्याय हैं।
उ. वराह पुराण में लगभग दस हज़ार श्लोक हैं।
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