तिल चौथ व्रत कथा इन हिंदी | Til Chauth Katha Hindi PDF Summary
दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं तिल चौथ व्रत कथा इन हिंदी PDF / Til Chauth Katha PDF in Hindi जिसके माध्यम से आप बड़ी आसानी से इसे डाउनलोड कर सकते हैं। तिल चतुर्थी को सकट चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है जो हर साल माघ महीने में आता है। इस साल तिल चतुर्थी 10 जनवरी को मनाया जा रहा है। इसी दिन संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं संकट चौथ का व्रत पूजन भी कर रही हैं। सकट चौथ को तिल चौथ कहने की वजह यह है कि इस व्रत में तिल और गुड़ से भगवान गणेशजी की पूजा होती है। इस आर्टिकल में हमने सकट चौथ कथा PDF / Sakat Chauth Katha PDF in Hindi को डाउनलोड करने के लिए डायरेक्ट लिंक दिया है।
माघ मास में दो चतुर्थी आती है कृष्णपक्ष की और शुक्ल पक्ष की। कृष्ण पक्ष की संकष्टी और शुक्ल पक्ष की विनायकी चतुर्थी दोनों को ही श्रद्धालु तिलकूट चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। तिल चतुर्थी 10 जनवरी को चौथ माता और गणेशजी की पूजा का समय शाम 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट तक है।
तिल चौथ व्रत कथा इन हिंदी PDF | Til Chauth Katha PDF in Hindi
किसी नगर मे एक कुम्हार रहता था। एक बार उसने बर्तन बनाकर आँवा लगाया तो आँवा पका ही नही । हारकर वह राजा के पास जाकर प्रार्थना करने लगा । राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा तो राजपंडित ने कहा कि हर बार आँवा लगाते समय बच्चे कि बलि देने से आँवा पक जाएगा। राजा का आदेश हो गया । बलि आरम्भ हुई । जिस परिवार की बारी होती वह परिवार अपने बच्चो मे से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता। इसी तरह कुछ दिनों बाद सकट के दिन एक बुढ़िया के लड़के की बारी आई । बुढ़िया के लिए वही जीवन का सहारा था। राजा आज्ञा कुछ नही देखती। दुःखी बुढ़िया सोच रही थी कि मेरा तो एक ही बेटा है, वह भी सकट के दिन मुझसे जुदा हो जाएगा।
बुढ़िया ने लड़के को सकट की सुपारी और दूब का बीड़ा देकर कहा ” भगवान् का नाम लेकर आँवा मे बैठ जाना । सकट माता रक्षा करेंगी ।” बालक आँवा मे बिठा दिया गया और बुढ़िया सकट माता के सामने बैठ कर पूजा करने लगी। पहले तो आँवा पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवा पक गया था । सवेरें कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया । आँवा पक गया था । बुढ़िया का बेटा तथा अन्य बालक भी जीवित एवं सुरक्षित थे। नगर वासियों ने सकट की महिमा स्वीकार की तथा लड़के को भी धन्य माना । सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे।
सकट चौथ कथा PDF – दूसरी व्रत कथा
एक सुबह माँ पारवती स्नान करने गईं। उन्होंने अपने पुत्र श्री गणेश को आदेश दिया की जब तक मैं खुद स्नान करके बाहर नहीं आऊं, कोई भी भीतर ना आ पाए चाहे वो कोई भी हो। उन्होंने अपने पुत्र को द्वार पे रखवाली के लिए खड़ा कर दिया और वे स्नान करने चली गईं।
आज्ञाकारी श्री गणेश जी अपनी माँ की बात मानते हुए द्वार पे खड़े रहे। कुछ समय बाद ही भगवान शिव माता पारवती से मिलने वहां आए। शिव जी जैसे ही भीतर जाने लगे, गणेश जी ने उन्हे रोक दिया। शिव जी को समझ नहीं आया की क्यू उनको भीतर जाने से रोका गया और उन्हें ये बात बड़ी अपमानजनक लगी। शिव जी क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रोध में आकर गणेश जी पर त्रिशूल से वार किया जिससे गणेश जी की शीश शरीर से अलग होकर दूर जा गिरा।
जब ये सब हो रहा था तब बहुत शोर हुआ और यह शोर और हल्ला सुनकर माँ पारवती जब स्नानघर से बाहर आई तो उन्होंने गणेश जी का शीश कटा हुआ देखा। ये देखकर माँ बहुत क्रोधित हुई और साथ ही रोने लगी। उन्होंने शिव जी को गणेश जी के प्राण वापिस देने को कहा।
यह सब देखकर भगवान शिव को बहुत बुरा लगा और उन्हें लगा की उनसे बहुत बड़ी गलती हो गईं क्यूंकि गणेश जी तो बस अपनी माँ की आज्ञा का पालन कर रहे थे। तभी शिव जी ने अपनी शक्तियों से एक हाथी का सर गणेश जी के शरीर से जोड़ा और उन्हें नई ज़न्दगी मिली।
Sakat Chauth Katha PDF in Hindi – तीसरी व्रत कथा
एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही गरीब और दृष्टिहीन थीं। उसके एक बेटा और बहू थे। वह बुढ़िया सदैव गणेश जी की पूजा किया करती थी। एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले-
“बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले।”
बुढ़िया बोली – “मुझे तो मांगना नहीं आता। कैसे और क्या मांगू?”
तब गणेशजी बोले – “अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले।”
तब बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा – गणेशजी कहते हैं “तू कुछ मांग ले, बता मैं क्या मांगू?”
पुत्र ने कहा- “मां! तू धन मांग ले।”
बहू से पूछा तो बहू ने कहा- “नाती मांग ले।”
तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं। अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा – “बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे। तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी जिंदगी आराम से कट जाए।”
इस पर बुढ़िया बोली- “यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें।”
यह सुनकर तब गणेशजी बोले- “बुढ़िया मां! तुमने तो हमें ठग लिया। फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा।” और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उधर बुढ़िया मां ने जो कुछ मांगा वह सब कुछ मिल गया। हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना।
सकट चौथ कथा PDF | Sakat Chauth Katha PDF in Hindi – पूजा विधि
- सुबह स्नान ध्यान करके भगवान गणेश की पूजा करें।
- तत्पश्चात सूर्यास्त के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- गणेश जी की मूर्ति के पास एक कलश में जल भर कर रखें।
- धूप-दीप, नैवेद्य, तिल, लड्डू, शकरकंद, अमरूद, गुड़ और घी अर्पित करें।
- तिलकूट का बकरा भी कहीं-कहीं बनाया जाता है।
- पूजन के बाद तिल से बने बकरे की गर्दन घर का कोई सदस्य काटता है।
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