Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika PDF

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Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika PDF Summary

Dear readers, we are presenying Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika PDF to all of you. Voluntary Prayers offered after the Night (Isha) Prayers are called “Salaat ul-Layl” (The Night-time Prayers). Voluntary Prayers offered during the night are better than those offered during the day. The Tahajjud Prayer is a kind of Salaat ul-Layl.
The Tahajjud consists of a minimum of 2 and a maximum of 8 Cycles. When a person sleeps after offering Isha and gets up at any time during the night, it is the time for Tahajjud – and the best time for this is the final third part of the night.

Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika in Hindi PDF – Tahajjud ki Namaz क्या है?

Tahajjud ki Namaz के बारे आपको थोड़ा बहुत तो जानकारी जरुर होगा तभी इस पोस्ट को पढ़ रहे हो लेकिन मेरी कोशिश है की आपको ज्यादा से ज्यादा इस्लाम की जानकारी हो।
तहज्जुद की नमाज़ को “Night Prayer” या “Qiyam-u-lail” के नाम से जाना जाता है। तहज्जुद की नमाज़ ईशा की नमाज़ के बाद शुरू होता है। Tahajjud शब्द Hujud से लिया गया है जिसका अर्थ होता है “कुरान के साथ जागना”। तहज्जुद की नमाज़ की बहुत बढ़ी फ़ज़ीलत है जो आपको निचे पढ़ने को मिलने वाला है।
तहज्जुद की नमाज़ फ़र्ज़ नहीं नफिल है और इस नमाज़ का पढना बहुत ज्यादा सवाब का काम अगर नहीं भी पढ़ा तो आप पर गुनाह नहीं होगा लेकिन आप बहुत सारे खजाने से मरहूम हो जायेंगे।

Tahajjud Ki Namaz Ka Time

किसी भी नमाज़ समय अलग अलग होता है चाहे फ़र्ज़, सुन्नत, नफिल, या तहज्जुद की नमाज़ सभी का टाइम अलग अलग होता है। अगर आप टाइम के अंदर पढ़ते है तो आपको ज्यादा से ज्यादा सवाब मिलता है।
आप ईशा की नमाज़ पढ़कर सो (Sleep) जाए और जब आपकी नींद खोले तो तहज्जुद की नमाज़ का टाइम स्टार्ट होता है और सुबह सादिक तक होता है.
वैसे तहज्जुद का टाइम रात 11 से 12 बजे से शुरू हो जाता है.
सबसे अच्छा समय ये है की रात में जब आपकी नींद खोले तो उसी वक़्त वजू करके नमाज़ अदा करे।
बेहतर है फज़र की अज़ान से पहले 1 घंटे या 1.5 ही नमाज़ अदा करे।

तहज्जुद की नमाज में कितनी रकात होती है?

Tahajjud ki namaz ki rakat जानने से पहले आपको ये जानना होगा की हमारे नबी मुहम्मद मुस्तफा सल्लाहू अलैहे वसल्लम कितनी rakat पढ़ा करते थे तो हमारे नबी 8 रकात की तहज्जुद नमाज पढ़ते थे, या फिर कभी कभी 12 रकात की भी पढ़ लेते थें।
तहज्जुद की नमाज़ 2 rakat से शुरू होकर 12 rakat तक होती है और आप 2, 2 rakat करके पूरी नमाज़ पूरी कर सकते है।
अगर कोई शख्स तहज्जुद की नमाज पढ़ रहा हो और इसी दौरान फज्र की अज़ान हो जाये या किसी और तरह से ये पता चले कि सुबह सादिक हो गई है तो ऐसी सूरत में अपनी नमाज़ पूरी कर ले।
अबू हुरैरा (रजि.) से रिवायत है कि नबी (स.अ.व) ने इर्शाद फरमाया ; फर्ज़ की नमाज के बाद सबसे अफजल नमाज दरमियान रात वाली नमाज है।

Tahajjud ki Namaz ka Tarika

Tahajjud ki Namaz Padhne ka Tarika का कोई नया तरीका नहीं है जिस तरह से फज़र से ईशा तक की नमाज़ पढ़ते है उसी तरह से तहज्जुद की भी नमाज़ पढ़ना होता है.
आपको सिर्फ नियत और rakat में फर्क देखने को मिलेगा मतलब तहज्जुद की नमाज़ और नमाजो की तरह इसका नियत अलग होता है। और दो-दो रकातें करके नमाज पढ़नी है।
जब आप रात को नींद से जग जाए तो अगर आप बा वजू है तो नमाज़ पढने की तैयारी करे और अगर वजू नहीं है तो बेहतर और इत्मीनान से वजू करे।
वजू करने के baad आप जहाँ पर नमाज़ पढ़ते है वहां पर मुसल्लाह बिछा दे और नमाज़ के लिए खड़ा हो जाए।
फिर तहज्जुद की नमाज़ की नियत करे।

Tahajjud ki Namaz ki Niyat क्या है?

दोस्तों जैसा कि हम जानतेे हैं कि हर नमाज की नियत होती है और नियत से ही नमाज शुरु होती है; उसी तरह tahajjud ki namaz ki niyat भी है, जिससे हम इस नमाज़ की नियत के साथ शुरू करते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि तहज्जुद एक नफल नमाज है, तो इसकी नियत नफल नमाज़ों की तरह होगी; तो तहज्जुद की नमाज की नियत आपको नीचे लिखे तरीके से करनी है।
“नियत में करता हूं 2 रकात नमाज नफल तहज्जुद की वास्ते अल्लाह-त-आला के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ” अल्लाह हू अकबर कहकर हाथों को बांध लें।
नियत करने के अपने दोनों हाथो के उंगुलियो को अपने कानो के लॉ तक लाना है फिर दोनों हाथो को नाफ के निचे बांध लेना है फिर सना पढ़ना है।

  • सबसे पहले आप सना पढ़ें यानि “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका”
  • दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ें |
  • सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें |
  • क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें |

उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ दो सजदे होगा और दोनों सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें।
इसी तरह से Tahajjud ki Namaz ka Tarika दूसरी rakat भी पढ़ता होता है अगर आपको अच्छी तरह से नमाज़ पढ़ते का तरीका जानना है तो निचे लिंक पर click करके पढ़े।
अब आपकी Tahajjud ki Namaz ka Tarika in Hindi पूरा हुआ।

Tahajjud ki Namaz ka Tarika for Ladies

औरत (Ladies) के भी यही तरीका होगा जो बताया गया है. जिस तरीके से औरते अपना नमाज़ पढ़ती है उसी तरह से पढ़ना होगा।
लेकिन आपको तहज्जुद की नमाज़ का नियत करना होगा जो हमने ऊपर बताया हूँ. और दो-दो rakat करके पढ़ना होगा, अगर आपके पास समय है तो 8 rakat पढ़े इस तरीके से आपको मुहम्मद सल्लाह अलैहे वसल्लम का सुन्नत भी अदा हो जाएगा और तहज्जुद की सवाब भी मिलेगा।

Tahajjud ki Namaz Padhne ki Fazilat

अगर आप इस पोस्ट को पढ़ रहे है तो आप कही न कही से इस नमाज़ की फज़ीलत और फायदे जरुर ही सुना होगा तभी आपको नमाज़ पढ़ते का मन कर रहा है। लेकिन मै भी आपको कुछ तहज्जुद की नमाज़ की फज़ीलत के बारे में बता देता हूँ।
हदीस में है कि हमारे प्यारे आक़ा “हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम” ने इरशाद फ़रमाया कि हमारा रब अल्लाह ताला हर रात में जब पिछली तिहाई बाकी रहती है तब आसमाने दुनिया पर खास तजल्ली फरमाता है और फरमाता है की:

  • है कोई दुआ करने वाला कि उसकी दुआ क़बूल करूँ,
  • है कोई मांगने वाला कि उसे दूँ,
  • है कोई मग़फ़िरत चाहने वाला कि उसकी वख्शिस कर दूँ

Tahajjud Padne Ki Fazilat:-

  • नबी करीम कहते हैं कि तहज्जुद की नमाज़ बहुत बड़ी दौलत है अल्लाह की; जिसे पढ़ने से अल्लाह काफी खुश होता है और सवाब देता है।
  • तहज्जुद की नमाज जहन्नुम की आग से बचाती है।
  • कुछ हदीसों में है कि तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से मुसलमान अल्लाह से काफी करीब होते हैं।
  • तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से हम गुनाहों से बचते हैं और ये नमाज़ हमे गुनाहों से बचाती है।
  • तहज्जुद की नमाज़ का मर्तबा फर्ज नमाज के बाद सबसे आला है।
  • तहज्जुद गुज़ार लोग सलामती के साथ जनत में दाखिल होंगे।
  • प्यारे नबी कहते हैं कि तहज्जुद की नमाज़ में मांगी गई दुआ; और फर्ज नमाज के बाद मांगी गई दुआ सभी दुआओं में सबसे ज्यादा कबूलियत वाला है।
  • तहज्जुद कब्र की वहशत से बचाती है।
  • नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) कहते हैं, कि तहज्जुद नमाज़ पढ़ने वाले को अल्लाह एक के बदले 100 या उससे भी ज्यादा देगा।
  • मिया बीवी साथ उठकर तहज्जुद की नमाज पढ़ें; अगर दोनों में से एक उठ जाए और दूसरा ना उठे तो सोते हुए भर पानी झोंक दो; ताकि दूसरे की नींद टूट जाए और नमाज़ पढे।
  • रात में जब सब सो रहे हो उस वक्त अल्लाह َकी इबादत करना निहायत ही मुफीद अमल है। ना मालुम कौन सा वक़्त क़बूलियात् का हो और हमारी दुआ सुन ली जाए।
  • और भी कई सारे………

Tahajjud Ki Namaz Aur Neend

कोई शख्स तहज्जुद की नमाज़ पढ़ रहा हो लेकिन उस पर नींद तारी हो तो उस के लिए सो जाना बेहतर है।
हदीस में आता है कि रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने फ़रमाया ; जब तुम में से किसी को नमाज़ में नींद आ जाये तो वो सो जाए जब तक कि उसकी नींद न चली जाए , क्यूंकि जब नमाज़ पढ़ते वक़्त नींद आ रही हो , तो हो सकता है कि इस्तिग्फार के बजाये वो अपने आप को गालियाँ दे रहा हो।
तहज्जुद के लिए कैसे उठें ?

  1. सूरह कहफ़ की आखिरी पांच आयात “इन्नल लज़ीना से लेकर आखिर तक” सोते वक़्त पढ़ लेने से उसकी हिफाज़त होगी और वो रात में जब चाहेगा उठ जाएगा।
  2. सूरह ज़िल्ज़ाल तीन मरतबा पढ़ कर सो जाने से आदमी जब चाहे उठ सकता है किसी के जगाने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी।

Tahajjud ki Namaz ki Hadees

तहज्जुद की नमाज़ के बारे में बहुत सारे हदीस में आया है लेकिन मै यहाँ पर कुछ 2 हदीस को बताने जा रहा हूँ। जिसको पढ़कर आप नमाज़ पढने के लिए Motivate हो जाएंगे।
First Hadees
अबु हुरैरा से रिवायत है कि; नबी पाक सल्लल्लाहो-अलेही – वसल्लम फरमाते हैं, कि फर्ज नमाज के बाद सबसे ज्यादा अफजल तहज्जुद की नमाज है.
इसलिए हमें तहज्जुद की नमाज अदा करनी चाहिए; क्योंकि इसका मर्तबा काफी आला है।
Second Hadees
अबु हुरैरा से रिवायत है कि; नबी पाक सल्लल्लाहो-अलेही – वसल्लम फरमाते हैं कि रात चार तिहाई पूरी होने के बाद; अल्लाह-त-आला आसमान-ए-दुनिया मे नाजिल होता है और कहता है…
“क्या कोई बांदा है, जो मुझसे दुआ मांगे और मैं कबूल करूँ; क्या कोई बांदा है जो मुझसे माफी मांगे और मैं माफ़ करूँ.”

क्या सोने से पहले तहज्जुद पढ़ सकते है?

हाँ जरुर, अगर आप देर रात तक जागते हो और 12 या 1 बजे सोते हो और आपको सक है की फजर की अज़ान से पहले नहीं उठ पाऊंगा तो बेहतर है की तहज्जुद पढ़ कर ही सोना चाहिए।
या आपको रात में उठने में परेशानी होती है तो आप ईशा के नमाज़ के बाद तहज्जुद की भी नमाज़ पढ़ कर सो जाए।
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