श्री सूर्य अष्टकम | Surya Ashtakam Lyrics PDF Sanskrit

श्री सूर्य अष्टकम | Surya Ashtakam Lyrics Sanskrit PDF Download

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श्री सूर्य अष्टकम | Surya Ashtakam Lyrics Sanskrit - Description

नमस्कार पाठकों !
यहाँ आपके लिए श्री सूर्य अष्टकम स्तोत्रम (Shri Surya Aashtakam Lyrics in Sanskrit PDF) प्रस्तुत कर रहे हैं, जो कि भगवान् श्री सूर्य देव को समर्पित एक अत्यधिक प्रभावशाली अष्टकम है। सूर्यदेव को ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। अतः जो भी इस दिव्य श्री सूर्य अष्टकम का पाठ करता है उसके मनोमस्तिष्क में एक नयी ऊर्जा का संचार होता है। जिन जातकों को सामन्यतः नेत्र सम्बंधित पीड़ा रहती है उन्हें भी इसके पाठ से विशेष लाभ होता है। जिस प्रकार सूर्यदेव सदैव ऊर्जावान व तेजोमय रहते हैं उसी प्रकार सूर्यदेव की उपासना करने वाले व्यक्ति के मुख पर एक तेज प्रकट होता है। सूर्य अष्टकम स्तोत्र को मुख्यतः संस्कृत भाषा में लिखा गया है किन्तु इसे अन्य भाषाओँ में भी अनुवादित किया गया है। यह एक छोटा सा अष्टक जीवन में बड़े – बड़े परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है। अतः आप भी नीचे दिए हुए सूर्य अष्टक डाउनलोड लिंक पर क्लिक करके श्री सूर्य अष्टकम pdf / Surya Ashtakam Lyrics PDF निशुलक डाउनलोड कर सकते हैं तथा अपने जीवन में परिवर्तन का अनुभव कर सकते हैं।

श्री सूर्य अष्टकम स्तोत्र लिरिक्स / Surya Ashtakam Lyrics in Sanskrit :

 

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।

दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥1॥

सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।

श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥2॥

लोहितं  रथमारूढं  सर्वलोक पितामहम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥3॥

त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम् ।

महापापहरं  देवं तं  सूर्यं  प्रणमाम्यहम् ॥4॥

बृहितं तेजः  पुञ्ज च वायु आकाशमेव च ।

प्रभुत्वं सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥

बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।

एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥6॥

तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् ।

महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥7॥

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥8॥

सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम् ।

अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत् ॥9॥

अमिषं  मधुपानं च  यः करोति रवेर्दिने ।

सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता ॥10॥

स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने ।

न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति ॥11॥

 

श्री सूर्य अष्टक पाठ के लाभ / Surya Ashtakam Benefits in Hindi ;

  • श्री सूर्याष्टक का नित्य पाठ करने से व्यक्ति रोग मुक्त हो कर दीर्घायु होता है।
  • सूर्य ग्रह की महादशा व अन्तर्दशा की अवधी में जातक को सूर्याष्टकम का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  • जिनके जीवन में आजीविका संबधी समस्या चल रही है उन्हें भी इसका पाठ अवश्य करना चाहिए। सूर्य अष्टकम पाठ से उनके जीवन में व्यवसाय के नए मार्ग खुलेंगे।
  • नेत्र रोगों से पीड़ित जातकों को भी इसके पाठ से अप्रत्याशित लाभ होता है।
  • यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच का है तो इसके प्रभाव से आप के कुंडली में सूर्य संबधी दोष मिट जाते हैं।

 
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