सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र | Siddhi Lakshmi Stotram Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के द्वारा आप सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र PDF आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यह स्तोत्र एक अत्यंत ही चमत्कारी और दिव्य स्तोत्र है। इस लाभकारी स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के जीवन में आ रही आर्थिक समस्याओं का शीघ्र ही नाश हो जाता है। जो भी व्यक्ति अपने जीवन में आर्थिक समस्याओं जैसे : कर्ज़े या गरीबी से प्रताड़ित या पीड़ित है उसे इस स्तोत्र का प्रतिदिन अवश्य पाठ करना चाहिए।
यदि आप भी अपने जीवन में आर्थिक समस्याओं से लगातार जूझ रहे हैं या बहुत समय से कर्ज़ में डूबे हुये हैं और माँ लक्ष्मी की कृपा – दृष्टि पाना चाहते हैं तो आपको इस चमत्कारी सिद्ध लक्ष्मी का प्रतिदिन पूर्ण विधि – विधान से अवश्य पाठ करना चाहिए किन्तु अगर आप प्रतिदिन पाठ कने में संभव नहीं हैं तो आपको मात्र शुक्रवार को देशी घी का दीपक प्रज्ज्वलित करके लक्ष्मी जी के समक्ष इस दिव्य स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए इससे आपके घर में धन – धान्य की वृद्धि होगी।
भक्तजनों को माँ लक्ष्मी का ध्यान कर के श्री महालक्ष्मी सुप्रभातम का पाठ करना चाहिए। जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों को प्राप्त करने के लिए कोजागिरी पौर्णिमा का व्रत करना चाहिए साथ ही कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा भी अवश्य सुननी चाहिए। श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र तथा श्री महालक्ष्मी स्तोत्र को निरंतर पढने से आपके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र के नियमपूर्वक पठन से माँ लक्ष्मी जी अपने भक्तों पर विशेष कृपा करती है। श्री महालक्ष्मी कवच भक्तों के जीवन से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। महालक्ष्मी अष्टकम तथा श्री लक्ष्मी चालीसा को सच्चे मन से पढने वाले भक्तजनों पर लक्ष्मी माता खूब धनवर्षा करती हैं।
सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र PDF / Siddhi Lakshmi Stotram Lyrics in Sanskrit
आकारब्रह्मरूपेण ओंकारं विष्णुमव्ययम् ।
सिद्धिलक्ष्मि! परालक्ष्मि! लक्ष्यलक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥
याः श्रीः पद्वने कदम्बशिखरे राजगृहे कुंजरे
श्वेते चाश्वयुते वृषे च युगले यज्ञे च यूपस्थिते ।
शंखे देवकुले नरेन्द्रभवने गंगातटे गोकुले
या श्रीस्तिष्ठति सर्वदा मम गृहे भूयात् सदा निश्चला ॥
या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गम्भीरावर्तनाभिः स्तनभरनमिता शुद्धवस्त्रोत्तरीया ।
लक्ष्मिर्दिव्यैर्गजेन्द्रैर्मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भै-
र्नित्यं सा पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्ययुक्ता ॥
॥ इति सिद्धिलक्ष्मीस्तुतिः समाप्ता ॥
लक्ष्मी जी की आरती / Lakshmi Ji Ki Aarti PDF
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन
सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
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