सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotram Sanskrit - Description
नमस्कार मित्रों, यहाँ हम आप सभी के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र PDF / Siddha Kunjika Stotram PDF in Sanskrit प्रस्तुत कर रहे हैं। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र PDF का पाठ परम कल्याणकारी है। इस स्तोत्र का पाठ मनुष्य के जीवन में आ रही समस्या और विघ्नों को दूर करने वाला है। मां दुर्गा के इस पाठ का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। केवल सिद्ध कुंजिका के पाठ से दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है। यह सिद्ध कुंजिका अत्यन्त गुप्त और देवों के लिए भी दुर्लभ है।
शिव जी पार्वती जी से कहते हैं ! यह उत्तम सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ मात्रा से दोष , सम्मोहन मारण, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन आदि उद्देश्यों को सिद्ध करता है। राम रक्षा स्तोत्र और नारायण कवच की तरह यह स्तोत्र भी सपूर्ण रूप से आपकी रक्षा करता है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र PDF | Siddha Kunjika Stotram PDF
॥ सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम् ॥
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥1॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥2॥
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥3॥
गोपनीयं प्रयत्नेनस्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यंस्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत्कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥4॥
॥ अथ मन्त्रः ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालयज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वलहं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥
॥ इति मन्त्रः ॥
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥1॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे॥2॥
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते॥3॥
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥4॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥5॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥6॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥7॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥8॥
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रंमन्त्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यंगोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुञ्जिकाया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायतेसिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
॥ इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Siddha Kunjika Stotram PDF – फायदे
- देवी का यह पाठ आपको शसख्त बनती है।
- सिद्ध कुंजिका स्तोत्र से आपकी मनोकामना पूर्ण होती है।
- पाठ का अर्थ समझने के बाद ,सभी भक्त माता के इस मंत्र का अर्थ समझकर ,देवी को प्रसन्न करते है।
- यह पाठ माता को प्रसन्न करने के लिए है।
- अगर आप पूरी भक्ति के साथ माता का यह सिद्ध कुंजिका पाठ करेंगे तो माता आपकी किसी प्रकार की मनोकामना हो ,पूरा करेंगी।
- अघोरी साधू इस पाठ का दुरूपयोग करते है ,तो आप सब इस सिद्ध कुंजिका का पाठ को किसी अच्छे कार्य के लिए करें।
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