शिवाष्टक स्तोत्र | Shivashtakam Mantra Stotram Sanskrit - Description
नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको शिवाष्टक स्तोत्र PDF / Shivashtakam Mantra Stotram PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। भगवान् शिव को उनके भक्त अनेक प्रकार के भिन्न – भिन्न नामों से पुकारते हैं, उन्ही में से उनका एक दिव्य नाम है भगवान् भोलेनाथ। शिवजी के भोले स्वाभाव के कारण उन्हें यह नाम प्राप्त हुआ है।
यूँ तो भगवान् भोलेनाथ थोड़ी सी पूजा – अर्चना में ही प्रसन्न हो जाते हैं किन्तु उनकी विशेष कृपा प्राप्त करने के लिये हमारे वैदिक हिन्दू धर्मग्रंथों में कुछ दिव्य स्तोत्रों एवं मन्त्रों का वर्णन किया गया है। शिवाष्टकम भी उन्हीं दिव्य स्तोत्रों में से एक हैं जिसके विधिपूर्वक पाठ करने से भगवान् भोलेशंकर अत्यंत ही प्रसन्न होते हैं।
साथ ही इस स्तोत्र के पाठ से भगवान शंकर जातक के समस्त प्रकार के कष्टों व दुखों को भी हर लेते हैं। इसीलिए यदि आप भी इस दिव्य अष्टक का चमत्कारी लाभ लेना चाहते हैं तो नीचे दिए हुए लिंक से अभी शिवाष्टक पीडीऍफ़ डाउनलोड करें।
अगर किसी के जीवन में किसी भी प्रकार का कोई संकट आ गया हो तो उन्हें शिव रुद्राष्टकम का जाप करना चाहिए ताकि उसके संकट टल सकें। शिव सहस्त्रनाम स्तोत्र तथा शिव पंचाक्षर स्तोत्र के नियमित जाप से शिव शंकर को प्रशन्न किया जा सकता है। जो भी भक्तजन शिव पार्वती विवाह कथा को सच्चे मन से सुनते हैं उनका वैवाहिक जीवन अत्यंत सुखद होता है।शिव शतनाम स्तोत्र भी एक शक्तिशाली स्तोत्र है जिसके ध्यान करने से हमे आनंद की प्राप्ति होती है।
शिवाष्टक स्तोत्र PDF / Shivashtakam Mantra Stotram PDF in Hindi
॥ अथ श्री शिवाष्टकम् ॥
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथंजगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम्।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥१॥
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालंमहाकाल कालं गणेशादि पालम्।
जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गै र्विशालं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥२॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तंमहा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम्।
अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥३॥
वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासंमहापाप नाशं सदा सुप्रकाशम्।
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥४॥
गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहंगिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम्।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥५॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानंपदाम्भोज नम्राय कामं ददानम्।
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥६॥
शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रंत्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम्।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥७॥
हरं सर्पहारं चिता भूविहारंभवं वेदसारं सदा निर्विकारं।
श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥८॥
स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणेपठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम्।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रंविचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति॥
॥ इति श्रीशिवाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
शिवाष्टक स्तोत्र पाठ के लाभ / Shivashtakam Stotram Benefits
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है यदि वह विधिवत शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करते हैं तो उन्हें अपने जीवन में कल सर्प दोष के कारण उत्पन्न होने वाले कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता।
- यदि आपका कोई कार्य लम्बे समय से अटकता आ रहा हो तो श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को नियमित व्रत का पालन करते हुए शिव मंदिर में इस दिव्य अष्टक का संकल्प सहित पाठ करने से वह कार्य निश्चित ही संपन्न हो जाता है।
- इस स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से दाम्पत्य जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- जिन अविवाहितों के विवाह में व्यवधान आ रहा हो उन्हें भी इस स्तोत्र का पाठ करने से लाभ होता है।
- जो व्यक्ति शिवाष्टकम का प्रतिदिन पाठ करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
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