शिव नमस्कार | Shiva Namaskar Mantra PDF Hindi

शिव नमस्कार | Shiva Namaskar Mantra Hindi PDF Download

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शिव नमस्कार | Shiva Namaskar Mantra Hindi - Description

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप शिव नमस्कार pdf / Shiva Namaskar Mantra PDF प्राप्त कर सकते हैं। शिव नमस्कार मन्त्र एक ऐसा दिव्य मन्त्र हैं जिसके माध्यम से आप प्रातःकाल शिव जी का ध्यान करके उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। शिव जी को प्रसन्न करके आप समस्त प्रकार के भौतिक व मानसिक सुख प्राप्त कर सकते हैं।

यह एक सिद्ध मन्त्र हैं जिसके द्वारा आप शिव जी को बहुत ही कम समय में प्रसन्न कर सकते हैं। इस मन्त्र में शिव जी को प्रणाम किया हैं, इसीलिए इस मन्त्र को शिव नमस्कार कहा जाता हैं। हमें अपने प्रिये पाठकों के लिए शिव नमस्कार PDF का लिंक इस लेख के अंत में दिया हैं। आप उस लिंक के माध्यम से शिव नमस्कार मन्त्र प्रपात कर सकते हैं तथा इसके प्रयोग से अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं।

भगवान् शिव आप पर अपनी कृपा सदैव बनी रहे ऐसी हम कामना करते हैं। शिव रुद्राष्टकम  एक ऐसा पाठ है जो हमारे सभी दुखों और कष्टों का निवारण करता है। शिव पंचाक्षर स्तोत्र तथा शिव सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ भी अगर नियमित रूप से किया जाये तो भी जीवन में अनोखे आनंद की प्राप्ति होती है। शिविरा पंचांग 2021-22 में शिवजी से जुडी सभी महत्वपूर्ण तिथियों की जानकारी दी गई है। जो भी भक्तजन भोले जी का मासिक व्रत रखते है उन्हें मासिक शिवरात्रि व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए तभी ये व्रत पूर्ण होता है।

Shiva Namaskar Mantra Lyrics in Sanskrit PDF

भगवान शिव को नमस्कार

नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शङ्कराय च ।
मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च ॥ १॥

ईशानः सर्वविद्यानामीश्वरः सर्वभूतानां
ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपतिर्ब्रह्मा शिवो मे अस्तु  दाशिवोम् ॥ २॥

तत्पुरुषाय विद्दाहे महादेवाय धीमहि ।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥ ३॥

अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः
सर्वशर्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रुद्ररूपेभ्यः ॥ ४॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय
नमः कालाय नमः कलविकरणाय नमो बलविकरणाय
नमो बलाय नमो बलप्रमथनाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥ ५॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नातिभवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥ ६॥

नमः सायं नमः प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चोभाभ्यामकरं नमः ॥ ७॥

यस्य निःश्वसितं वेदा यो वेदेभ्योऽखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥ ८॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ।
पुरुषो वै रुद्रः सन्महो नमो नमः ।
विश्वं भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायमानं च यत् ।
सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥

Shiva Namaskar Mantra Lyrics in Hindi PDF


भगवान शिव को नमस्कार

कल्याण एवं सुखके मूल स्रोत भगवान शिवको नमस्कार है । कल्याणके विस्तार करनेवाले तथा सुखके विस्तार करने वाले भगवान शिव को नमस्कार है । मंगलस्वरूप और मंगलमयता की सीमा भगवान शिवको नमस्कार है ।
जो सम्पूर्ण विद्याओंके ईश्वर, समस्त भूतोंके अधीश्वर, ब्रह्म- वेदके अधिपति, ब्रह्म-बल-वीर्यके प्रतिपालक तथा साक्षात् ब्रह्मा एवं परमात्मा हैं, वे सच्चिदानन्दमय शिव मेरे लिये नित्य कल्याणस्वरूप बने रहें ।
तत्पदार्थ-परमेश्वररूप अन्तर्यामी पुरुषको हम जानें, उन महादेवका चिन्तन करें, वे भगवान रुद्र हमें सद्धर्मके लिये प्रेरित करते रहें ।
जो अघोर हैं, घोर हैं, घोरसे भी घोरतर हैं और जो सर्वसंहारी रुद्ररूप हैं, आपके उन सभी स्वरूपोंको मेरा नमस्कार हो ।
प्रभो! आप ही वामदेव, ज्येष्ठ, श्रेष्ठ, रुद्र, काल, कलविकरण, बलविकरण, बल, बलप्रमथन, सर्वभूतदमन तथा मनोन्मन आदि नामों से प्रतिपादित होते हैं, इन सभी नाम-रूपोंमें आपके लिये मेरा बारम्बार नमस्कार है ।
मैं सद्योजात [शिव]-की शरण लेता हूँ । सद्योजातको मेरा नमस्कार है । किसी जन्म या जगत्में मेरा अतिभव-पराभव न करें । आप भवोद्भवको मेरा नमस्कार है ।
हे रुद्र! आपको सायंकाल, प्रातःकाल, रात्रि और दिन में भी नमस्कार है । मैं भवदेव तथा रुद्रदेव दोनोंको नमस्कार करता हूँ । वेद जिनके निःश्वास हैं, जिन्होंने वेदोंसे सारी सृष्टिकी रचना को और जो विद्याओंके तीर्थ हैं, ऐसे शिवकी मैं वन्दना करता हूँ ।
तीन नेत्रोंवाले, सुगन्धयुक्त एवं पुष्टिके वर्धक शंकरका हम पूजन करते हैं, वे शंकर हमको दुःखोंसे ऐसे छुड़ायें जैसे खरबूजा पककर बन्धन से अपने-आप छूट जाता है, किंतु वे शंकर हमें मोक्षसे न छुड़ायें ।
जो रुद्र उमापति हैं वही सब शरीरोंमें जीवरूपसे प्रविष्ट हैं, उनके निमित्त हमारा प्रणाम हो ।प्रसिद्ध एक अद्वितीय रुद्र ही पुरुष है, वह ब्रह्मलोकमें ब्रह्मारूपसे, प्रजापतिलोकमें प्रजापतिरूपसे, सूर्यमण्डलमें वैराटरूपसे तथा देहमें जीवरूपसे स्थित हुआ है; उस महान सच्चिदानन्दस्वरूप रुद्रको बारम्बार प्रणाम हो । समस्त चराचरात्मक जगत् जो विद्यमान है, हो गया है तथा होगा, बह सब प्रपंच रुद्रकी सत्तासे भिन्न नहीं हो सकता, यह सब कुछ रुद्र ही है, इस रुद्रके प्रति प्रणाम हो ।
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