शिव स्तुति | Shiv Stuti Sanskrit PDF Summary
दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं शिव स्तुति PDF / Shiv Stuti PDF in Sanskrit संस्कृत भाषा में। भगवान शंकर भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें ‘आशुतोष’ भी कहा जाता है। वैसे तो धर्मग्रंथों में भोलेनाथ की कई स्तुतियां हैं, पर श्रीरामचरितमानस का ‘रुद्राष्टकम’ अपने-आप में बेजोड़ है। कोई भी मनुष्य प्रतिदिन या सिर्फ प्रति सोमवार सुबह-शाम भगवान शिव की पूजा कर इसका पाठ और स्मरण करता है, वह मनुष्य जीवन के समस्त सुखों को प्राप्त करता है। जानिए शिव पूजन की सरल विधि और मंगलमयी मंत्र स्तुति। शिव स्तुति मंत्र PDF का अर्थ है स्तुति, स्तुति गाना, तांडव और ईश्वर के गुणों, कर्मों और प्रकृति को अपने दिलों में महसूस करके उनकी प्रशंसा करना। इस पोस्ट में हमने आपके लिए Shiv Stuti Sanskrit PDF / शिव स्तुति संस्कृत PDF डाउनलोड करने के लिए डायरेक्ट लिंक भी दिया हैं।
जैसा कि सभी भक्तजन जानते हैं शिव की महिमा अपरंपार है, शिव पुराण में भी शिवजी लीलाओं का वर्णन किया गया है। इसके अलवा शिव तांडव स्तोत्र का जाप करने से शिव शंकर अतिप्रसन्न हो जाते हैं वहीं शिव शतनाम स्तोत्र के गायन से हमे संसार के सभी सुख मिलते हैं और जो भी भक्तजन शिव स्तुति मंत्र करते है उन पर भोलेनाथ की असीम कृपा होती है। ॐ जय शिव ओमकारा आरती के गायन से अनोखे संतोष का अनुभव होता है।
शिव स्तुति मंत्र संस्कृत PDF | Shiv Stuti PDF in Sanskrit
शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, शैल – कन्या – वरं, परमरम्यं ।
काम – मद – मोचनं, तामरस – लोचनं, वामदेवं भजे भावगम्यं ॥1॥
कंबु – कुंदेंदु – कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
सिद्ध – सनकादि – योगींद्र – वृंदारका, विष्णु – विधि – वन्द्य चरणारविंदं ॥2॥
ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
नौमि करुणाकरं, गरल – गंगाधरं, निर्मलं, निर्गुणं, निर्विकारं ॥3॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
कालकालं, कलातीतमजरं, हरं, कठिन – कलिकाल – कानन – कृशानुं ॥4॥
तज्ञमज्ञान – पाथोधि – घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।
प्रचुर – भव – भंजनं, प्रणत – जन – रंजनं, दास तुलसी शरण सानुकूलं ॥5॥
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Shiv Stuti PDF in Sanskrit / शिव स्तुति PDF संस्कृत भाषा में डाउनलोड कर सकते हैं।