शिव पार्वती विवाह कथा | Shiv Parvati Vivah Katha Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माधयम से आप शिव पार्वती विवाह कथा PDF / Shiv Parvati Vivah Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। भगवान् भोलेनाथ शंकर की साधना से वह प्रसन्न होते हैं तथा अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। शिव के इस शिव पार्वती विवाह कथा में भगवान् शिव के तथा माता पार्वती जी के दिव्य विवाह का वर्णन है।
शिविरा पंचांग 2021-22 में आप शिव जी से जुडी सभी महत्वपूर्ण दिनों की जानकारी ले सकते हैं। जो भी भक्त महीने में आने वाली शिवरात्रि का व्रत रखते हैं उन्हें मासिक शिवरात्रि व्रत कथा सुनकर ही अपना व्रत खोलना चाहिए। अगर आप भोले जी को प्रशन्न करना चाहते हैं तो शिव महिम्न स्तोत्र का जाप हर सोमवार को करें। सभी शिव के भक्तों को सुबह पूजा करने से पहले शिव नमस्कार अवश्य करना चाहिए। बताया जाता है कि शिव पार्वती विवाह कथा सुनने से दांपत्य जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
शिव पार्वती की विवाह कथा PDF | Shiv Parvati Ki Vivah Katha PDF in Hindi
भगवान शिव के विवाह के बारे में पुराणों में वर्णन मिलता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने सबसे पहले सती से विवाह किया था. भगवान शिव का यह विवाह बड़ी जटिल परिस्थितियों में हुआ था. सती के पिता दक्ष भगवान शिव से अपने पुत्री का विवाह नहीं करना चाहते थे लेकिन ब्रह्मा जी के कहने पर यह विवाह सम्पन्न हो गया. एक दिन राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान कर दिया जिससे नाराज होकर माता सती ने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर ली. इस घटना के बाद भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए. उधर माता सती ने हिमवान के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया. तारकासुर नाम के एक असुर का उस समय आतंक था. देवतागण उससे भयभीत थे.
तारकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसका वध सिर्फ भगवान शिव की संतान ही कर सकती है. उस समय भी भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे. तब सभी देवताओं ने मिलकर शिव और पार्वती के विवाह की योजना बनाई. भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव को भेजा गया लेकिन वह भस्म हो गए. देवताओं की विनती पर शिव जी पार्वती जी से विवाह करने के लिए राजी हुए. विवाह की बात तय होने के बाद भगवान शिव की बारात की तैयार हुई. इस बारात में देवता, दानव, गण, जानवर सभी लोग शामिल हुए. भगवान शिव की बारात में भूत पिशाच भी पहुंचे. ऐसी बारात को देखकर पार्वती जी की मां बहुत डर गईं और कहा कि वे ऐसे वर को अपनी पुत्री को नहीं सौंप सकती हैं. तब देवताओं ने भगवान शिव को परंपरा के अनुसार तैयार किया, सुंदर तरीके से श्रृंगार किया इसके बाद दोनों का विवाह सम्पन्न हुआ.
माता पार्वती जी की आरती PDF | Mata Parvati Ki Aarti Lyrics PDF
जय पार्वती माता जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।
जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।
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