शिव अमृतवाणी | Shiv Amritwani Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप शिव अमृतवाणी PDF / Shiv Amritwani PDF प्राप्त कर सकते हैं। शिव जी का पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के संकटों का अंत होता है तथा शिव जी की विशिष्ट कृपा प्राप्त होती है। शिव जी की कृपा से व्यक्ति अज्ञात मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है।
शिव अमृतवाणी का पाठ करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं तथा मनोवांछित वर प्रदान करते हैं। यदि आप भी अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के संकटों से घिर चुके हैं तथा उनसे मुक्त होना चाहते हैं तो शिव अमृतवाणी का पाठ व श्रवण अवश्य करें तथा भगवान् भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त करके अपना जीवन परिवर्तित करें।
सोमवार के दिन भोले के भक्तों को पूजा अर्चना कर के शिव जी आरती भी अवश्य करनी चाहिए। जो भी भक्तजन शिव स्तुति मंत्र करते है उन पर भोलेनाथ की असीम कृपा होती है। ॐ जय शिव ओमकारा आरती के गायन से अनोखे संतोष का अनुभव होता है। शिव की महिमाअपरंपार है, शिव पुराण में भी शिवजी लीलाओं का वर्णन किया गया है। इसके अलवा शिव तांडव स्तोत्र का जाप करने से शिव शंकर अतिप्रसन्न हो जाते हैं वहीं शिव शतनाम स्तोत्र के गायन से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
शिव अमृतवाणी PDF | Shiv Amritwani PDF in Hindi
कल्पतरु पुन्यातामा, प्रेम सुधा शिव नाम
हितकारक संजीवनी, शिव चिंतन अविराम
पतिक पावन जैसे मधुर, शिव रसन के घोलक
भक्ति के हंसा ही चुगे, मोती ये अनमोल
जैसे तनिक सुहागा, सोने को चमकाए
शिव सुमिरन से आत्मा, अध्भुत निखरी जाये
जैसे चन्दन वृक्ष को, दस्ते नहीं है नाग
शिव भक्तो के चोले को, कभी लगे न दाग
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!!
दया निधि भूतेश्वर, शिव है चतुर सुजान
कण कण भीतर है, बसे नील कंठ भगवान
चंद्र चूड के त्रिनेत्र, उमा पति विश्वास
शरणागत के ये सदा, काटे सकल क्लेश
शिव द्वारे प्रपंच का, चल नहीं सकता खेल
आग और पानी का, जैसे होता नहीं है मेल
भय भंजन नटराज है, डमरू वाले नाथ
शिव का वंधन जो करे, शिव है उनके साथ
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!!
लाखो अश्वमेध हो, सोउ गंगा स्नान
इनसे उत्तम है कही, शिव चरणों का ध्यान
अलख निरंजन नाद से, उपजे आत्मा ज्ञान
भटके को रास्ता मिले, मुश्किल हो आसान
अमर गुणों की खान है, चित शुद्धि शिव जाप
सत्संगती में बैठ कर, करलो पश्चाताप
लिंगेश्वर के मनन से, सिद्ध हो जाते काज
नमः शिवाय रटता जा, शिव रखेंगे लाज
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय!!
शिव चरणों को छूने से, तन मन पवन होये
शिव के रूप अनूप की, समता करे न कोई
महा बलि महा देव है, महा प्रभु महा काल
असुराणखण्डन भक्त की, पीड़ा हरे तत्काल
शर्वा व्यापी शिव भोला, धर्म रूप सुख काज
अमर अनंता भगवंता, जग के पालन हार
शिव करता संसार के, शिव सृष्टि के मूल
रोम रोम शिव रमने दो, शिव न जईओ भूल
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!!
Part – 2 & 3
शिव अमृत की पावन धारा, धो देती हर कष्ट हमारा
शिव का काज सदा सुखदायी, शिव के बिन है कौन सहायी
शिव की निसदिन की जो भक्ति, देंगे शिव हर भय से मुक्ति
माथे धरो शिव नाम की धुली, टूट जायेगी यम कि सूली
शिव का साधक दुःख ना माने, शिव को हरपल सम्मुख जाने
सौंप दी जिसने शिव को डोर, लूटे ना उसको पांचो चोर
शिव सागर में जो जन डूबे, संकट से वो हंस के जूझे
शिव है जिनके संगी साथी, उन्हें ना विपदा कभी सताती
शिव भक्तन का पकडे हाथ, शिव संतन के सदा ही साथ
शिव ने है बृह्माण्ड रचाया, तीनो लोक है शिव कि माया
जिन पे शिव की करुणा होती, वो कंकड़ बन जाते मोती
शिव संग तान प्रेम की जोड़ो, शिव के चरण कभी ना छोडो
शिव में मनवा मन को रंग ले, शिव मस्तक की रेखा बदले
शिव हर जन की नस-नस जाने, बुरा भला वो सब पहचाने
अजर अमर है शिव अविनाशी, शिव पूजन से कटे चौरासी
यहाँ वहाँ शिव सर्व व्यापक, शिव की दया के बनिये याचक
शिव को दीजो सच्ची निष्ठां, होने न देना शिव को रुष्टा
शिव है श्रद्धा के ही भूखे, भोग लगे चाहे रूखे-सूखे
भावना शिव को बस में करती, प्रीत से ही तो प्रीत है बढ़ती।
शिव कहते है मन से जागो, प्रेम करो अभिमान त्यागो।
|| दोहा ||
दुनिया का मोह त्याग के शिव में रहिये लीन।
सुख-दुःख हानि-लाभ तो शिव के ही है अधीन।।
सॉंग लिरिक्स इन हिंदी
भस्म रमैया पार्वती वल्ल्भ, शिव फलदायक शिव है दुर्लभ
महा कौतुकी है शिव शंकर, त्रिशूल धारी शिव अभयंकर
शिव की रचना धरती अम्बर, देवो के स्वामी शिव है दिगंबर
काल दहन शिव रूण्डन पोषित, होने न देते धर्म को दूषित
दुर्गापति शिव गिरिजानाथ, देते है सुखों की प्रभात
सृष्टिकर्ता त्रिपुरधारी, शिव की महिमा कही ना जाती
दिव्या तेज के रवि है शंकर, पूजे हम सब तभी है शंकर
शिव सम और कोई और न दानी, शिव की भक्ति है कल्याणी
कहते मुनिवर गुणी स्थानी, शिव की बातें शिव ही जाने
भक्तों का है शिव प्रिय हलाहल, नेकी का रस बाटँते हर पल
सबके मनोरथ सिद्ध कर देते, सबकी चिंता शिव हर लेते
बम भोला अवधूत सवरूपा, शिव दर्शन है अति अनुपा
अनुकम्पा का शिव है झरना, हरने वाले सबकी तृष्णा
भूतो के अधिपति है शंकर, निर्मल मन शुभ मति है शंकर
काम के शत्रु विष के नाशक, शिव महायोगी भय विनाशक
रूद्र रूप शिव महा तेजस्वी, शिव के जैसा कौन तपस्वी
हिमगिरी पर्वत शिव का डेरा, शिव सम्मुख न टिके अंधेरा
लाखों सूरज की शिव ज्योति, शस्त्रों में शिव उपमान होशी
शिव है जग के सृजन हारे, बंधु सखा शिव इष्ट हमारे
गौ ब्राह्मण के वे हितकारी, कोई न शिव सा पर उपकारी
|| दोहा ||
शिव करुणा के स्रोत है शिव से करियो प्रीत।
शिव ही परम पुनीत है शिव साचे मन मीत।।
शिव सर्पो के भूषणधारी, पाप के भक्षण शिव त्रिपुरारी
जटाजूट शिव चंद्रशेखर, विश्व के रक्षक कला कलेश्वर
शिव की वंदना करने वाला, धन वैभव पा जाये निराला
कष्ट निवारक शिव की पूजा, शिव सा दयालु और ना दूजा
पंचमुखी जब रूप दिखावे, दानव दल में भय छा जावे
डम-डम डमरू जब भी बोले, चोर निशाचर का मन डोले
घोट घाट जब भंग चढ़ावे, क्या है लीला समझ ना आवे
शिव है योगी शिव सन्यासी, शिव ही है कैलास के वासी
शिव का दास सदा निर्भीक, शिव के धाम बड़े रमणीक
शिव भृकुटि से भैरव जन्मे, शिव की मूरत राखो मन में
शिव का अर्चन मंगलकारी, मुक्ति साधन भव भयहारी
भक्त वत्सल दीन द्याला, ज्ञान सुधा है शिव कृपाला
शिव नाम की नौका है न्यारी, जिसने सबकी चिंता टारी
जीवन सिंधु सहज जो तरना, शिव का हरपल नाम सुमिरना
तारकासुर को मारने वाले, शिव है भक्तो के रखवाले
शिव की लीला के गुण गाना, शिव को भूल के ना बिसराना
अन्धकासुर से देव बचाये, शिव ने अद्भुत खेल दिखाये
शिव चरणो से लिपटे रहिये, मुख से शिव शिव जय शिव कहिये
भस्मासुर को वर दे डाला, शिव है कैसा भोला भाला
शिव तीर्थो का दर्शन कीजो, मन चाहे वर शिव से लीजो
|| दोहा ||
शिव शंकर के जाप से मिट जाते सब रोग।
शिव का अनुग्रह होते ही पीड़ा ना देते शोक।।
ब्र्हमा विष्णु शिव अनुगामी, व है दीन हीन के स्वामी
निर्बल के बलरूप है शम्भु, प्यासे को जलरूप है शम्भु
रावण शिव का भक्त निराला, शिव को दी दश शीश कि माला
गर्व से जब कैलाश उठाया, शिव ने अंगूठे से था दबाया
दुःख निवारण नाम है शिव का, रत्न है वो बिन दाम शिव का
शिव है सबके भाग्यविधाता, शिव का सुमिरन है फलदाता
शिव दधीचि के भगवंता, शिव की तरी अमर अनंता
शिव का सेवादार सुदर्शन, सांसे कर दी शिव को अर्पण
महादेव शिव औघड़दानी, बायें अंग में सजे भवानी
शिव शक्ति का मेल निराला, शिव का हर एक खेल निराला
शम्भर नामी भक्त को तारा, चन्द्रसेन का शोक निवारा
पिंगला ने जब शिव को ध्याया, देह छूटी और मोक्ष पाया
गोकर्ण की चन चूका अनारी, भव सागर से पार उतारी
अनसुइया ने किया आराधन, टूटे चिन्ता के सब बंधन
बेल पत्तो से पूजा करे चण्डाली, शिव की अनुकम्पा हुई निराली
मार्कण्डेय की भक्ति है शिव, दुर्वासा की शक्ति है शिव
राम प्रभु ने शिव आराधा, सेतु की हर टल गई बाधा
धनुषबाण था पाया शिव से, बल का सागर तब आया शिव से
श्री कृष्ण ने जब था ध्याया, दश पुत्रों का वर था पाया
हम सेवक तो स्वामी शिव है, अनहद अन्तर्यामी शिव है
|| दोहा ||
दीन दयालु शिव मेरे, शिव के रहियो दास।
घट घट की शिव जानते, शिव पर रख विश्वास।।
सॉंग लिरिक्स इन हिंदी
परशुराम ने शिव गुण गाया, कीन्हा तप और फरसा पाया
निर्गुण भी शिव शिव निराकार, शिव है सृष्टि के आधार
शिव ही होते मूर्तिमान, शिव ही करते जग कल्याण
शिव में व्यापक दुनिया सारी, शिव की सिद्धि है भयहारी
शिव है बाहर शिव ही अन्दर, शिव ही रचना सात समुन्द्र
शिव है हर इक के मन के भीतर, शिव है हर एक कण कण के भीतर
तन में बैठा शिव ही बोले, दिल की धड़कन में शिव डोले
‘हम’कठपुतली शिव ही नचाता, नयनों को पर नजर ना आता
माटी के रंगदार खिलौने, साँवल सुन्दर और सलोने
शिव हो जोड़े शिव हो तोड़े, शिव तो किसी को खुला ना छोड़े
आत्मा शिव परमात्मा शिव है, दयाभाव धर्मात्मा शिव है
शिव ही दीपक शिव ही बाती, शिव जो नहीं तो सब कुछ माटी
सब देवो में ज्येष्ठ शिव है, सकल गुणो में श्रेष्ठ शिव है
जब ये ताण्डव करने लगता, बृह्माण्ड सारा डरने लगता
तीसरा चक्षु जब जब खोले, त्राहि त्राहि यह जग बोले
शिव को तुम प्रसन्न ही रखना, आस्था लग्न बनाये रखना
विष्णु ने की शिव की पूजा, कमल चढाऊँ मन में सुझा
एक कमल जो कम था पाया, अपना सुंदर नयन चढ़ाया
साक्षात तब शिव थे आये, कमल नयन विष्णु कहलाये
इन्द्रधनुष के रंगो में शिव, संतो के सत्संगों में शिव
|| दोहा ||
महाकाल के भक्त को मार ना सकता काल।
द्वार खड़े यमराज को शिव है देते टाल।।
(नोट – यहां सम्पूर्ण शिव अमृतवाणी नहीं लिखी है सम्पूर्ण शिव अमृतवाणी पढ़ने के लिए पीडीऍफ़ डाउनलोड करें।)
श्री शिव जी की आरती | Shiv Ji Aarti Lyrics PDF
ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
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