शीतला माता की आरती | Shitala Mata Ki Aarti Lyrics Hindi PDF Summary
नमस्कार मित्रों !
यहाँ हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं शीतला माता की आरती जिसका गायन करने से आप अनेक प्रकार के रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। शीतला सातम गुजरात में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में हर्सोल्लाष से मनाया जाता है। यह उत्सव देवी शीतला माता को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि देवी शीतला अपने भक्तों एवं उनके परिवारों की खसरा व चेचक जैसे दुर्गम रोगों से रक्षा करती हैं । अतः आपको भी देवी शीतला की आरती का गायन अवश्य करना चाहिए ताकि आप भी स्वयं व अपने परिवार की अनेक प्रकार के असाध्य रोगों से रक्षा कर सकें। यदि आप श्री शीतला माता आरती पीडीऍफ़ हिंदी में डाउनलोड करना चाहते हैं तो नीचे दिए हुए शीतला माता आरती पीडीऍफ़ लिंक पर क्लिक करें।
शीतला माता की आरती लिरिक्स | Shitala Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi :
॥ श्री शीतला माता की आरती ॥
जय शीतला माता,मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानीसब फल की दाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
रतन सिंहासन शोभित,श्वेत छत्र भाता।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर डोलावें,जगमग छवि छाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
विष्णु सेवत ठाढ़े,सेवें शिव धाता।
वेद पुराण वरणतपार नहीं पाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
इन्द्र मृदङ्ग बजावतचन्द्र वीणा हाथा।
सूरज ताल बजावैनारद मुनि गाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
घण्टा शङ्ख शहनाईबाजै मन भाता।
करै भक्त जन आरतीलखि लखि हर्षाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
ब्रह्म रूप वरदानीतुही तीन काल ज्ञाता।
भक्तन को सुख देतीमातु पिता भ्राता॥
ॐ जय शीतला माता…।
जो जन ध्यान लगावेप्रेम शक्ति पाता।
सकल मनोरथ पावेभवनिधि तर जाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
रोगों से जो पीड़ित कोईशरण तेरी आता।
कोढ़ी पावे निर्मल कायाअन्ध नेत्र पाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
बांझ पुत्र को पावेदारिद्र कट जाता।
ताको भजै जो नाहींसिर धुनि पछताता॥
ॐ जय शीतला माता…।
शीतल करती जन कीतू ही है जग त्राता।
उत्पत्ति बाला बिनाशनतू सब की माता॥
ॐ जय शीतला माता…।
दास नारायणकर जोरी माता।
भक्ति आपनी दीजैऔर न कुछ माता॥
ॐ जय शीतला माता…।
श्री शीतला माता पूजन विधि | Shitala Mata Puja Vidhi in Hindi :
- सर्वप्रथम प्रातः स्नान आदि करके स्वच्छ हो जाएँ।
- शीतला माता के पूजन हेतु सदैव शीतल जल से ही स्नान करना चाहिए।
] - शीतला सप्तमी के पूजन के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। इसलिए एक दिन पूर्व ही प्रसाद आदि के लिए भोजन की व्यवस्था करें।
- देवी शीतला माता व्रत की कथा सुने।
- शीतला माता के मंदिर में धुप, दीप और नारियल से पूजा करें।
- तत्पश्चात शीतला माता आरती का गायन करें व आशीर्वाद ग्रहण करें।
शीतला माता की उत्पत्ति कैसे हुई ?
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता शीतला जी उत्पत्ति भगवान् ब्रह्मा जी से हुयी थी। ब्रह्मा जी ने माता देवी शीतला को पृथ्वीलोक पर जनकल्याण हेतु भेजा था। देवलोक से पृथ्वीलोक पर आने से पूर्व शीतला माता ने शिव जी के पसीने से प्रकट हुए ज्वारासुर को अपने साथ आने के लिए कहा और उसे भी पृथ्वीलोक पर ले आयीं। देवी जी अपने साथ कुछ दाल के दाने भी लेकर आयीं थीं।
शीतला माता की पूजा क्यों करते हैं ?
उस समय के एक राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए स्थान देने से मना कर दिया जिसके कारण देवी माता शीतला अत्यधिक क्रोधित हो गयीं। शीतला माता के क्रोध की ज्वाला से उस राज्य की सम्पूर्ण प्रजा के शरीर पर लाल – लाल दाने निकल आये व सभी प्राणी भीषण गर्मी से त्रस्त हो गए।
जब राजा को अपने अपराध का बोध हुआ तब उसने शीतला माता से क्षमा – याचना कर उन्हें समुचित स्थान ग्रहण कराया तथा सम्पूर्ण प्रजा ने देवी की क्रोधाणग्नि को शांत करने हेतु ठंडे दूध व कच्ची लस्सी से उनका अभिषेक किया। तदोपरांत माता का क्रोध शांत हुआ तथा उन्होंने समस्त प्रजा के रोगों को दूर किया। तभी से प्रतिवर्ष भक्तगण देवी शीतला का व्रत व पूजा आदि करने लगे।
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