शनि वज्र पंजर कवच | Shani Vajrapanjara Kavacham Sanskrit - Description
नमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको शनि वज्र पंजर कवच PDF / Shani Vajrapanjara Kavacham PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं।शनि वज्र पंजर कवच एक बहुत ही चमत्कारिक कवच है, जिसके पाठ से शनि देव के प्रकोप से बच सकते हैं साथ ही शनि देव का व्रत विधि अनुसार कर के उनकी विशेष कृपा भी प्राप्त कर सकते हैं। इस कवच का और अधिक लाभ लेने के लिए आपको इसका पाठ हर शनिवार को करना चाहिए। साथ ही आप शनि अष्टकम का पाठ भी कर सकते हैं। शनिवार के दिन इसका पाठ करने से आप साढेशाती के होने वाले दुष्प्रभाव से भी बच सकते है। यह एक बहुत ही सिद्ध कवच है। इस कवच के अतिरिक्त शनि कवच स्तोत्र भी बुरी शक्तियों से भक्तों की रक्षा करता है।
हमने आप सभी के लिए इस लेख के अन्त में शनि वज्र पंजर कवच PDF का लिंक दिया हुआ है जसिके माध्यम से आप उसे द्वोणलोड कर सकते हैं तथा उसका लाभ उठा सकते हैं। शनिदेव को क्रूर ग्रह न मान कर श्रद्धा से इसका पाठ करें तभी इसका पूर्ण लाभ प्राप्त होगा। शनि की अत्यधिक कृपा पाने के लिए हमें शनि शाबर मंत्रो का जाप करना चाहिए। हम शनिदेव से आपके लिए मंगल कामना करते हैं। शनि देव की चालीसा और शनि देव की आरती करने का भी भक्तजनों को बहुत लाभ मिलता है।
शनि वज्र पंजर कवच PDF | Shani Vajra Panjara Kavacham PDF in Hindi
॥ श्रीशनिवज्रपंजरकवचम् ॥
श्री गणेशाय नमः ॥
विनियोगः ।
ॐ अस्य श्रीशनैश्चरवज्रपञ्जर कवचस्य कश्यप ऋषिः,
अनुष्टुप् छन्दः, श्री शनैश्चर देवता,
श्रीशनैश्चर प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥
ऋष्यादि न्यासः ।
श्रीकश्यप ऋषयेनमः शिरसि ।
अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे ।
श्रीशनैश्चर देवतायै नमः हृदि ।
श्रीशनैश्चरप्रीत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ॥
ध्यानम् ।
नीलाम्बरो नीलवपुः किरीटी गृध्रस्थितस्त्रासकरो धनुष्मान् ।
चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नः सदा मम स्याद् वरदः प्रशान्तः ॥ १॥
ब्रह्मा उवाच ॥
शृणुध्वमृषयः सर्वे शनिपीडाहरं महत् ।
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम् ॥ २॥
कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम् ।
शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् ॥ ३॥
ॐ श्रीशनैश्चरः पातु भालं मे सूर्यनन्दनः ।
नेत्रे छायात्मजः पातु पातु कर्णौ यमानुजः ॥ ४॥
नासां वैवस्वतः पातु मुखं मे भास्करः सदा ।
स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठं भुजौ पातु महाभुजः ॥ ५॥
स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु-शुभप्रदः ।
वक्षः पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्तथा ॥ ६॥
नाभिं ग्रहपतिः पातु मन्दः पातु कटिं तथा ।
ऊरू ममान्तकः पातु यमो जानुयुगं तथा ॥ ७॥
पादौ मन्दगतिः पातु सर्वांगं पातु पिप्पलः ।
अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दनः ॥ ८॥
इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य यः ।
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवति सूर्यजः ॥ ९॥
व्यय-जन्म-द्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोऽपि वा ।
कलत्रस्थो गतो वापि सुप्रीतस्तु सदा शनिः ॥ १०॥
अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे ।
कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित् ॥ ११॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा ।
द्वादशाष्टमजन्मस्थदोषान्नाशयते सदा ।
जन्मलग्नस्थितान् दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभुः ॥ १२॥
॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे ब्रह्म-नारदसंवादे शनिवज्रपंजरकवचं सम्पूर्णम् ॥
शनि वज्र पंजर कवच के लाभ / Shani Vajrapanjara Kavacham Benefits
- शनि वज्र पंजर कवच के पाठ से शनि दोष का निवारण होता है।
- इसके प्रतिदिन पाठ से शनि की साढ़ेसाती में कष्ट कम होता है।
- शनि देव न्याय के देवता हैं अतः शनि वज्र पंजर कवच के पाठ से आपके साथ न्याय होता है।
- यह कवच आपको एवं आपके परिवार को सुरक्षित रखता है।
- शनि की महादशा व अंतरदशा में इसके पाठ से चमत्कारिक लाभ होते हैं।
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