शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha PDF in Hindi
Published / Updated On: By: deep
शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha Hindi PDF Download
शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha in Hindi PDF download link is given at the bottom of this article. You can direct download PDF of शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha in Hindi for free using the download button.
शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha PDF Details
PDF Name
शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha PDF
शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha Hindi PDF Summary
दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपके लिए शनि प्रदोष व्रत कथा PDF अपलोड किया हैं। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार प्रदोष के साथ-साथ शनिवार का आना शनि प्रदोष का विशेष संयोग बना रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं इस दिन उपवास और पीपल के कुछ उपाय करने से शनि समेत कैसे दूसरे अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर किया जा सकता है। शास्त्रों में कहा गया है शनिवार को जब त्रयोदशी तिथि होती है तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य को उसका खोया हुआ मान-सम्मान, धन वैभव और पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। यहाँ से आप शनि प्रदोष व्रत कथा PDF मुफ्त में बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। शनि प्रदोष व्रत कथा मराठी में पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
शनि प्रदोष व्रत कथा PDF | Shani Pradosh Vrat Katha Hindi PDF
शनि प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में एक नगर सेठ थे। सेठजी के घर में हर प्रकार की सुख-सुविधाएं थीं लेकिन संतान नहीं होने के कारण सेठ और सेठानी हमेशा दुःखी रहते थे।
काफी सोच-विचार करके सेठजी ने अपना काम नौकरों को सौंप दिया और खुद सेठानी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। अपने नगर से बाहर निकलने पर उन्हें एक साधु मिले, जो ध्यानमग्न बैठे थे। सेठजी ने सोचा, क्यों न साधु से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा की जाए।
सेठ और सेठानी साधु के निकट बैठ गए। साधु ने जब आंखें खोलीं तो उन्हें ज्ञात हुआ कि सेठ और सेठानी काफी समय से आशीर्वाद की प्रतीक्षा में बैठे हैं। साधु ने सेठ और सेठानी से कहा कि मैं तुम्हारा दुःख जानता हूं। तुम शनि प्रदोष व्रत करो, इससे तुम्हें संतान सुख प्राप्त होगा।
साधु ने सेठ-सेठानी प्रदोष व्रत की विधि भी बताई और भगवान शंकर की यह वंदना बताई।
भगवान शंकर की वंदना –
हे रुद्रदेव शिव नमस्कार।
शिवशंकर जगगुरु नमस्कार।।
हे नीलकंठ सुर नमस्कार।
शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार।।
हे उमाकांत सुधि नमस्कार।
उग्रत्व रूप मन नमस्कार।।
ईशान ईश प्रभु नमस्कार।
विश्वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार।।
दोनों साधु से आशीर्वाद लेकर तीर्थयात्रा के लिए आगे चल पड़े। तीर्थयात्रा से लौटने के बाद सेठ और सेठानी ने मिलकर शनि प्रदोष व्रत किया जिसके प्रभाव से उनके घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ।
शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि-
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े धारण करें।
भगवान शंकर और माता पार्वती को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।
अब भगवान को बेल पत्र, गंध, अक्षत , फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग व इलायची अर्पित करें।
शाम को भगवान शिव की इसी तरह पूजा करें और पुनः एक बार उक्त सभी सामग्री भगवान को अर्पित करें। इस दिन अगर संभव हो
तो इस दिन कांसे की कटोरी में तिल का तेल लेकर अपना चेहरा देखना चाहिये और जो भी शनिदेव के नाम का दान स्वीकार करता हो उसे तेल दान कर दें।
इस दिन बूंदी के लड्डू काली गाय को और काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी हुई रोटी खिलाने से भाग्योदय होता है।
शनि प्रदोष के दिन कम से कम एक माला शनि मंत्र का जाप करना चाहिए।
गरीब को तेल में बने खाद्य पदार्थ खिलाएं।
शनिदेव की प्रतिमा को देखते समय भगवान की आंखों में नहीं देखें।
इस दिन पीपल को जल देने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनिदेव चालीसा का गान करना भी अत्यंत लाभदायक माना गया है
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप शनि प्रदोष व्रत कथा PDF / Shani Pradosh Vrat Katha Hindi PDF डाउनलोड कर सकते हैं।
शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha PDF Download Link
REPORT THISIf the download link of शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha PDF is not working or you feel any other problem with it, please Leave a Comment / Feedback. If शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha is a copyright material Report This. We will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.