Shani Mahima Granth PDF Summary
Dear readers, here we are going to share शनि महिमा ग्रन्थ PDF / Shani Mahima Granth PDF with all of you. Shani Mahima Granth is one of the most important scriptures which is dedicated to Lord Shanidev. Mahima generally refers to the glory or significance which means this is a scripture that describes the significance of Lord Shanidev.
Shani Dev is one of the most worshipped deities in Hindu Dharma. He is also considered very important in Hindu Vedic astrology. Lord Shani plays a very vital role in a person’s Kundali. Shani Mahima Granth will help you to know more about Lord Shani and his miracles.
शनि महिमा ग्रन्थ PDF | Shani Mahima Granth PDF
जय श्री शनिदेव इस घोर कलियुग में इस स्थूल मानव शरीर की उत्पत्ति उपरान्त अनेकों भयंकर व भारी कष्ट प्रारब्ध संचित व वर्तमान कर्मफल प्रतिकूल परिस्थितियाँ लेकर सामने उपस्थित होता है। जिसे स्वेच्छा, देवेच्छा और परेच्छापूर्वक हम सभी कर्मफल भोग की प्रवृत्ति से भोगते हैं। नियमानुसार प्रारब्ध घटित होकर ही रहता है परन्तु मनुष्य द्वारा किए या श्रेष्ठ ब्राह्मणों द्वारा कराए गए विधिपूर्वक देव अनुष्ठान से आशातीत लाभ अवश्य ही प्राप्त होता है। कलियुग में जाग्रत शनिदेव घोर व दीर्घ तप के कारण जिन्हें भगवान शंकर ने ग्रह उपाधि प्रदान की। अनुकुल व प्रतिकूल परिस्थितियों के द्वारा कर्मफल भुगताकर सभी बन्धनों से विमुक्त कर विशुद्धि प्रदान करते हैं।
मैंने पाया श्री शनि भगवान से जल्द प्रसन्न होने वाला और कोई देवता नहीं है। श्रद्धानुसार तन्मय होकर उनकी कोई भी स्तुति पाठ की जाए, उसी से वे शीघ्र प्रसन्न होकर पुरुषार्थ के चारों साधन (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) प्रदान करते हैं। इन सभी स्तुतियों के निरन्तर पाठ से आप सबको शनि कृपा व शनि सायुज्य प्राप्त हो।
ॐ शं शनैश्चराय नमः जगत कल्याणकारी श्री शनिदेव भगवान की चरण रज का पिपासु, मैं अकिंचन ‘मनु’ शनि अनुकम्पा एवं आप सभी भक्तों के सहयोग से ‘बृहद् शनि-महिमा ग्रंथ’ का तृतीय संस्करण आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ, जो शनि भगवान की लोक कल्याणकारी स्तुतियों, भजनों, गायत्री, मंत्रों व साधनाओं का शनि अनुकूलता एवं शनि कृपा प्राप्ति हेतु संग्रहनीय होगा।
श्री शनिदेव महाराज कलियुग में जाग्रत हैं, सभी राशियों के स्वामी हैं, राशि फल दाता हैं व ग्रह राज हैं। एकमात्र वो ही ऐसे ग्रह देव हैं जो अपनी ही नहीं, अन्य ग्रहों द्वारा दी जाने वाली पीड़ा को भी शांत करने वाले हैं। शनिदेव के आशीर्वाद से मैंने शनि भक्ति धारा में अविरल बहकर जो पाया है, वही मंगलमय भगवान शनि का रूप आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
जो लोग शनि साढेसाती, ढैय्या या शनि की महादशा में अनेकानेक कर्म दुख भोग रहे हैं और कारण केवल शनि को मान रहे हैं, मेरा कार्य उनका वास्तविकता से परिचय कराना है। कुछ लोभी ज्योतिष करने वालों लोगों ने जन साधारण को शनि से डराकर रखा हुआ है और विभिन्न उपायों के माध्यम से उनसे धन ऐंठकर अपना घर भरते रहते हैं।
श्री शनि कल्याणकारी भगवान हैं। ये किसी से वैर रखने वाले नहीं हैं। अगर ऐसा ही होता तो वे भगवान शिव के शिष्य नहीं होते, भगवान श्रीकृष्ण के भक्त नहीं होते तथा हनुमान जी के परम मित्र नहीं होते। राहु, बुध से उनकी मित्रता जग प्रसिद्ध है।
शनि देव आरती PDF | Shani Dev Aarti Hindi PDF
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
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