शनि अमावस्या पूजन विधि | Shani Amavasya Puja Vidhi Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप शनि अमावस्या पूजन विधि PDF / Shani Amavasya Puja Vidhi PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। शनि अमावस्या का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। शनिदेव जी को हिन्दू धर्म में शनि अमावस्या के दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण रूप से पूजा जाता है। शनिदेव जी को न्याय का देवता माना जाता है।
यदि आप भी अपने जीवन में उत्पन होने वाले कष्टों व संघर्षों से मुक्ति पाना चाहते हैं तथा शनिदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो शनि अमावस्या पूजन विधि का व्रत अवश्य करें। यह व्रत बहुत ही अधिक लाभकारी है जिसके विधिवत पालन करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
शनि अमावस्या पूजन विधि PDF / Shani Amavasya Puja Vidhi PDF in Hindi
- इस दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें ।
- काले रंग के कपड़े धारण करें।
- इसके बाद भगवान शनि की अराधना करें।
- भगवान शनि के नाम पर सरसों के तेल क दीपक जलाएं
- भगवान गणेश के पूजन से पूजा प्रारंभ करें।
- सबसे पहले फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं।
- तिलक लगाने के बाद भोग में लड्डू और फल चढ़ाए।
- इसके बाद जल अर्पित करें।
- इसके बाद शनि चालीसा का पाठ करते हुए आरती करें।
- पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें।
- पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें।
शनिदेव की आरती / Shani Dev Ki Aarti Lyrics in Hindi
जय जय श्री शनिदेवभक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभुछाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
श्याम अंग वक्र-दृष्टिचतुर्भुजा धारी।
निलाम्बर धार नाथगज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
क्रीट मुकुट शीश सहजदिपत है लिलारी।
मुक्तन की माल गलेशोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
मोदक और मिष्ठान चढ़े,चढ़ती पान सुपारी।
लोहा, तिल, तेल, उड़दमहिषी है अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
देव दनुज ऋषि मुनिसुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान हमहैं शरण तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
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