शब्द हजारे पाठ इन हिंदी | Shabad Hazare Path PDF in Hindi

शब्द हजारे पाठ इन हिंदी | Shabad Hazare Path Hindi PDF Download

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शब्द हजारे पाठ इन हिंदी | Shabad Hazare Path Hindi PDF Summary

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए शब्द हजारे पाठ PDF / Shabad Hazare Path in Hindi PDF Download free में प्रदान करने जा रहे हैं। शब्द हजारे पाठ एक अत्यंत ही प्रचलित एवं अद्भुत प्रार्थना है। इस प्रार्थना को पंजाबी भाषा में बानी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि शब्द हज़ारे पाठ एक शिष्य द्वारा गुरु राम दास को लिखा गया बड़ा ही सुंदर प्रेम पत्र है।

यह भक्तों को एक हजार शब्दों का फल प्रदान करता है इसीलिए इस पाठ का नाम शब्द हजारे पाठ है। सिक्ख धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस पाठ का नित्य-प्रतिदिन भक्ति-भाव से पाठ करने से मनुष्य का तन-मन शुद्ध हो जाता है तथा उसे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाता है। इसी के साथ अंत समय में उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

इस पाठ को अत्यंत ही दिव्य और चमत्कारी पाठ इसीलिए भी माना जाता है क्योंकि यदि किसी के परिवार का कोई सदस्य कई सालों से घर नहीं आया हो या किसी कारणवश बिछड़ गया हो तो इस पाठ के श्रद्धा-भाव से जाप करने से वह शीघ्र ही अपने परिवार के पास आ जाता है। इसीलिए यह कहा जाता है कि जो भी भक्त इस पाठ का पूर्ण श्रद्धा से जाप करता है तो वह अपने प्रिय से कभी अलग नहीं होगा।

Shabad Hazare Path in Hindi PDF | शब्द हजारे पाठ PDF इन हिंदी

माझ महला ५ चउपदे घरु १ ॥

मेरा मनु लोचै गुर दरसन ताई ॥ बिलप करे चात्रिक की निआई ॥

त्रिखा न उतरै सांति न आवै बिनु दरसन संत पिआरे जीउ ॥ १ ॥

हउ घोली जीउ घोलि घुमाई गुर दरसन संत पिआरे जीउ ॥ १ ॥ रहाउ ॥

तेरा मुखु सुहावा जीउ सहज धुनि बाणी ॥ चिरु होआ देखे सारिंगपाणी ॥

धंनु सु देसु जहा तूं वसिआ मेरे सजण मीत मुरारे जीउ ॥ २ ॥

हउ घोली हउ घोलि घुमाई गुर सजण मीत मुरारे जीउ ॥ १ ॥ रहाउ ॥

इक घड़ी न मिलते ता कलिजुगु होता ॥ हुणि कदि मिलीऐ प्रिअ तुधु भगवंता ॥

मोहि रैणि न विहावै नीद न आवै बिनु देखे गुर दरबारे जीउ ॥ ३ ॥

हउ घोली जीउ घोलि घुमाई तिसु सचे गुर दरबारे जीउ ॥ १ ॥ रहाउ ॥

भागु होआ गुरि संतु मिलाइआ ॥ प्रभु अबिनासी घर महि पाइआ ॥

सेव करी पलु चसा न विछुड़ा जन नानक दास तुमारे जीउ ॥ ४ ॥

हउ घोली जीउ घोलि घुमाई जन नानक दास तुमारे जीउ ॥ रहाउ ॥ १ ॥ ८ ॥

धनासरी महला १ घरु १ चउपदे

ੴ सति नामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुरप्रसादि ॥

जीउ डरतु है आपणा कै सिउ करी पुकार ॥ दूख विसारणु सेविआ सदा सदा दातारु ॥ १ ॥

साहिबु मेरा नीत नवा सदा सदा दातारु ॥ १ ॥ रहाउ ॥

अनदिनु साहिबु सेवीऐ अंति छडाए सोइ ॥ सुणि सुणि मेरी कामणी पारि उतारा होइ ॥ २ ॥

दइआल तेरै नामि तरा ॥ सद कुरबाणै जाउ ॥ १ ॥ रहाउ ॥

सरबं साचा एकु है दूजा नाही कोइ ॥ ता की सेवा सो करे जा कउ नदरि करे ॥ ३ ॥

तुधु बाझु पिआरे केव रहा ॥ सा वडिआई देहि जितु नामि तेरे लागि रहां ॥

दूजा नाही कोइ जिसु आगै पिआरे जाइ कहा ॥ १ ॥ रहाउ ॥

सेवी साहिबु आपणा अवरु न जाचंउ कोइ ॥ नानकु ता का दासु है बिंद बिंद चुख चुख होइ ॥ ४ ॥

साहिब तेरे नाम विटहु बिंद बिंद चुख चुख होइ ॥ १ ॥ रहाउ ॥ ४ ॥ १ ॥

तिलंग महला १ घरु ३

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

इहु तनु माइआ पाहिआ पिआरे लीतड़ा लबि रंगाए ॥

मेरै कंत न भावै चोलड़ा पिआरे किउ धन सेजै जाए ॥ १ ॥

हंउ कुरबानै जाउ मिहरवाना हंउ कुरबानै जाउ ॥

हंउ कुरबानै जाउ तिना कै लैनि जो तेरा नाउ ॥

लैनि जो तेरा नाउ तिना कै हंउ सद कुरबानै जाउ ॥ १ ॥ रहाउ ॥

काइआ रंङणि जे थीऐ पिआरे पाईऐ नाउ मजीठ ॥

रंङण वाला जे रंङै साहिबु ऐसा रंगु न डीठ ॥ २ ॥

जिन के चोले रतड़े पिआरे कंतु तिना कै पासि ॥

धूड़ि तिना की जे मिलै जी कहु नानक की अरदासि ॥ ३ ॥

आपे साजे आपे रंगे आपे नदरि करेइ ॥

नानक कामणि कंतै भावै आपे ही रावेइ ॥ ४ ॥ १ ॥ ३ ॥

तिलंग मः १ ॥

इआनड़ीए मानड़ा काइ करेहि ॥

आपनड़ै घरि हरि रंगो की न माणेहि ॥

सहु नेड़ै धन कमलीए बाहरु किआ ढूढेहि ॥

भै कीआ देहि सलाईआ नैणी भाव का करि सीगारो ॥

ता सोहागणि जाणीऐ लागी जा सहु धरे पिआरो ॥ १ ॥

इआणी बाली किआ करे जा धन कंत न भावै ॥

करण पलाह करे बहुतेरे सा धन महलु न पावै ॥

विणु करमा किछु पाईऐ नाही जे बहुतेरा धावै ॥

लब लोभ अहंकार की माती माइआ माहि समाणी ॥

इनी बाती सहु पाईऐ नाही भई कामणि इआणी ॥ २ ॥

जाइ पुछहु सोहागणी वाहै किनी बाती सहु पाईऐ ॥

जो किछु करे सो भला करि मानीऐ हिकमति हुकमु चुकाईऐ ॥

जा कै प्रेमि पदारथु पाईऐ तउ चरणी चितु लाईऐ ॥

सहु कहै सो कीजै तनु मनो दीजै ऐसा परमलु लाईऐ ॥

एव कहहि सोहागणी भैणे इनी बाती सहु पाईऐ ॥ ३ ॥

आपु गवाईऐ ता सहु पाईऐ अउरु कैसी चतुराई ॥

सहु नदरि करि देखै सो दिनु लेखै कामणि नउ निधि पाई ॥

आपणे कंत पिआरी सा सोहागणि नानक सा सभराई ॥

ऐसै रंगि राती सहज की माती अहिनिसि भाइ समाणी ॥

सुंदरि साइ सरूप बिचखणि कहीऐ सा सिआणी ॥ ४ ॥ २ ॥ ४ ॥

Shabad Hazare Path Benefits in Hindi

  • इस पाठ का जाप यदि आप नियमित रूप से करते हैं तो जीवन में सुख-शांति और समृद्धि सहजता से प्राप्त हो जाती है।
  • इसका पाठ करने से भक्तों को वाहेगुरु का विशेष आशीर्वाद आसानी से प्राप्त हो सकता है।
  • अपने किसी प्रिय से मिलने हेतु इस प्रार्थना का पाठ अत्यंत ही सुलभ एवं सरल उपाय है।
  • शबद हजारे बानी का पाठ करने से आपको मनुष्य के मन को प्रसन्नता एवं जीवन में सुखद अनुभव होता है।
  • यदि आप अपने जीवन में मनोवांछित फल प्राप्त करना चाहते हैं तो इस दिव्य पाठ जाप नित्य-प्रतिदिन मन,कर्म, वचन से शुद्ध होकर अवश्य करें।

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