सफला एकादशी व्रत कथा | Saphala Ekadashi Vrat Katha Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप सफला एकादशी व्रत कथा PDF / Saphala Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। एक वर्ष में २४ एकादशी तिथियां होती हाँ तथा जिस वर्ष में अधिक मास होता है उसमें एकादशी तिथियों की संख्या बढ़ कर २६ हो जाती है।
एकादशी का व्रत भगवान् विष्णु जी को समर्पित होता है तथा इसका विधि – विधान से पालन करने से व्यक्ति को मनोवांछित फलों की सरलता से प्राप्ति हो जाती है। यदि आप अपने जीवन में भगवान् श्री हरी विष्णु जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो एकादशी के व्रत का पालन अवश्य करें तथा अपने परिवारीजनों के साथ भगवान् विष्णु जी का पूजन अवश्य करें।
सफला एकादशी व्रत कथा PDF / Saphala Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi
व्रत की कथा अनुसार चम्पावती नगरी में महिष्मत नाम के राजा के पांच पुत्र थे। बड़ा पुत्र चरित्रहीन था और देवताओं की निन्दा करता था। मांसभक्षण और अन्य बुराइयों ने भी उसमें प्रवेश कर लिया था, जिससे राजा और उसके भाइयों ने उसका नाम लुम्भक रख राज्य से बाहर निकाल दिया। फिर उसने अपने ही नगर को लूट लिया। एक दिन उसे चोरी करते सिपाहियों ने पकड़ा, पर राजा का पुत्र जानकर छोड़ दिया। फिर वह वन में एक पीपल के नीचे रहने लगा। पौष की कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन वह सर्दी के कारण प्राणहीन सा हो गया।
अगले दिन उसे चेतना प्राप्त हुई। तब वह वन से फल लेकर लौटा और उसने पीपल के पेड़ की जड़ में सभी फलों को रखते हुए कहा, ‘इन फलों से लक्ष्मीपति भगवान विष्णु प्रसन्न हों। तब उसे सफला एकादशी के प्रभाव से राज्य और पुत्र का वरदान मिला। इससे लुम्भक का मन अच्छे की ओर प्रवृत्त हुआ और तब उसके पिता ने उसे राज्य प्रदान किया। उसे मनोज्ञ नामक पुत्र हुआ, जिसे बाद में राज्यसत्ता सौंप कर लुम्भक खुद विष्णु भजन में लग कर मोक्ष प्राप्त करने में सफल रहा।
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