संतोषी माता आरती | Santoshi Mata Aarti Hindi PDF Summary
दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं संतोषी माता आरती PDF / Santoshi Mata Aarti PDF in Hindi सनातन धर्म में अनेक देवी – देवताओं का वर्णन आता है किन्तु हमारे हिन्दू धर्म में ऐसे भी देवी – देवता प्रचलित हैं जिनका उल्लेख वैदिक धर्म ग्रंथो में नहीं आता है। संतोषी माता जी भी उन्ही देवी में से एक हैं। जिनकी स्थानीय लोगो में अत्यधिक मान्यता है। संतोषी माता जी की कृपा प्राप्त करने एवं उन्हें प्रसन्न करने हेतु उनके भक्त अनेक प्रकार के उपाय करते हैं। जिनमे से संतोषी आरती का भी अपना ही एक विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि संतोषी माता आरती का पाठ करने से भक्तों के अनेक प्रकार के कष्ट तत्काल ही दूर हो जाते है।
संतोषी माता की चालीसा और आरती एवं व्रत का नियमत रूप से पालन करने से भी मनुष्य के जीवन के सारे दुःख दूर होते हैं एवं घर में प्रसन्नता, शांति एवं सौहार्द का वातावरण बना रहता है। यहाँ हमने आपके लिए श्री संतोषी माता आरती भी उपलब्ध की है जिसे आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करके निशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। श्री संतोषी माता आरती हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।
संतोषी माता आरती PDF | Santoshi Mata Aarti Lyrics PDF in Hindi
॥ आरती श्री सन्तोषी माँ ॥
जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन को,सुख सम्पत्ति दाता॥
जय सन्तोषी माता॥
सुन्दर चीर सुनहरीमाँ धारण कीन्हों।
हीरा पन्ना दमके,तन श्रृंगार कीन्हों॥
जय सन्तोषी माता॥
गेरू लाल छटा छवि,बदन कमल सोहे।
मन्द हंसत करुणामयी,त्रिभुवन मन मोहे॥
जय सन्तोषी माता॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी,चंवर ढुरें प्यारे।
धूप दीप मधुमेवा,भोग धरें न्यारे॥
जय सन्तोषी माता॥
गुड़ अरु चना परमप्रिय,तामे संतोष कियो।
सन्तोषी कहलाई,भक्तन वैभव दियो॥
जय सन्तोषी माता॥
शुक्रवार प्रिय मानत,आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई,कथा सुनत मोही॥
जय सन्तोषी माता॥
मन्दिर जगमग ज्योति,मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक,चरनन सिर नाई॥
जय सन्तोषी माता॥
भक्ति भावमय पूजा,अंगीकृत कीजै।
जो मन बसै हमारे,इच्छा फल दीजै॥
जय सन्तोषी माता॥
दुखी दरिद्री, रोग,संकट मुक्त किये।
बहु धन-धान्य भरे घर,सुख सौभाग्य दिये॥
जय सन्तोषी माता॥
ध्यान धर्यो जिस जन ने,मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर,घर आनन्द आयो॥
जय सन्तोषी माता॥
शरण गहे की लज्जा,राखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे,दयामयी अम्बे॥
जय सन्तोषी माता॥
सन्तोषी माता की आरती,जो कोई जन गावे।
ऋद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति,जी भरकर पावे॥
जय सन्तोषी माता॥
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