Sant Ravidas Ji Ke Dohe Hindi PDF Summary
नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए Sant Ravidas Ji Ke Dohe in Hindi PDF free download करने के लिए प्रदान करने जा रहे हैं। जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि हमारे प्राचीन भारत में अनेकों ऐसे महान संत एवं महात्मा हुए हैं जिन्होंने अपनी रचना से इस समाज में फैली कुरूतियों और अन्धविश्वासो को दूर करने में बहुत ही महत्वूर्ण भूमिका निभाई है।
ऐसे ही एक संत गुरु रविदास जी के बारे में आप इस लेख के माध्यम से आसानी से जान सकते हैं। सभी संतों की तरह संत रविदास जी भी अमर संत हो गए हैं। संत रविदास जी को रैदास जी के नाम से भी जाना जाता है। इन्होनें अपने दोहे और पदों के माध्यम से समाज में जागरूकता फ़ैलाने का बहुत ही बड़ा प्रयास किया था। संत रैदास अर्थात रविदास जी कहते हैं कि मनुष्य को हमेशा बुरे कर्मों को छोड़कर सत्य मार्ग पर चलना चाहिए।
इसी के साथ सदैव ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। इसी के साथ मनुष्य को हमेशा अपने कर्म में विश्वास रखना चाहिए तथा फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। तो दोस्तों यदि यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो और इस विषय पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हों तो हमारे इस लेख के द्वारा आप संत रविदास जी ke दोहे in hindi pdf प्रारूप में प्राप्त कर सकते हैं जो कि आपके लिए अत्यंत ही लाभकारी सिद्ध होगी।
Sant Ravidas Ji Ke Dohe PDF in Hindi
1. ऐसा चाहूँ राज मैं जहाँ मिलै सबन को अन्न।
छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न।।
2. करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस।
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास।।
3. कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।
4. कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।।
5. गुरु मिलीया रविदास जी दीनी ज्ञान की गुटकी।
चोट लगी निजनाम हरी की महारे हिवरे खटकी।।
6. जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।
7. जा देखे घिन उपजै, नरक कुंड मेँ बास।
प्रेम भगति सों ऊधरे, प्रगटत जन रैदास।।
8. रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।
नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।।
9. रैदास कनक और कंगन माहि जिमि अंतर कछु नाहिं।
तैसे ही अंतर नहीं हिन्दुअन तुरकन माहि।।
10. रैदास कहै जाकै हृदै, रहे रैन दिन राम।
सो भगता भगवंत सम, क्रोध न व्यापै काम।।
11. वर्णाश्रम अभिमान तजि, पद रज बंदहिजासु की।
सन्देह-ग्रन्थि खण्डन-निपन, बानि विमुल रैदास की।।
12. हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस।
ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।
13. हिंदू तुरक नहीं कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा।
दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा।।
14. मस्जिद सों कुछ घिन नहीं, मंदिर सों नहीं पिआर।
दोए मंह अल्लाह राम नहीं, कहै रैदास चमार॥
15 . ऊँचे कुल के कारणै, ब्राह्मन कोय न होय।
जउ जानहि ब्रह्म आत्मा, रैदास कहि ब्राह्मन सोय॥
16. रैदास प्रेम नहिं छिप सकई, लाख छिपाए कोय।
प्रेम न मुख खोलै कभऊँ, नैन देत हैं रोय॥
17. हिंदू पूजइ देहरा मुसलमान मसीति।
रैदास पूजइ उस राम कूं, जिह निरंतर प्रीति॥
18. माथे तिलक हाथ जपमाला, जग ठगने कूं स्वांग बनाया।
मारग छाड़ि कुमारग उहकै, सांची प्रीत बिनु राम न पाया॥
19. जनम जात मत पूछिए, का जात अरू पात।
रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात॥
20. मुसलमान सों दोस्ती, हिंदुअन सों कर प्रीत।
रैदास जोति सभ राम की, सभ हैं अपने मीत॥
21. रैदास इक ही बूंद सो, सब ही भयो वित्थार।
मुरखि हैं तो करत हैं, बरन अवरन विचार॥
22. प्रेम पंथ की पालकी, रैदास बैठियो आय।
सांचे सामी मिलन कूं, आनंद कह्यो न जाय॥
23. रैदास जीव कूं मारकर कैसों मिलहिं खुदाय।
पीर पैगंबर औलिया, कोए न कहइ समुझाय॥
24. मंदिर मसजिद दोउ एक हैं इन मंह अंतर नाहि।
रैदास राम रहमान का, झगड़उ कोउ नाहि॥
25. रैदास हमारौ राम जी, दशरथ करि सुत नाहिं।
राम हमउ मांहि रहयो, बिसब कुटंबह माहिं॥
26. पराधीनता पाप है, जान लेहु रे मीत।
रैदास दास पराधीन सौं, कौन करैहै प्रीत॥
27. रैदास ब्राह्मण मति पूजिए, जए होवै गुन हीन।
पूजिहिं चरन चंडाल के, जउ होवै गुन प्रवीन॥
28. ब्राह्मण खतरी बैस सूद रैदास जनम ते नांहि।
जो चाहइ सुबरन कउ पावइ करमन मांहि॥
29. जात पांत के फेर मंहि, उरझि रहइ सब लोग।
मानुषता कूं खात हइ, रैदास जात कर रोग॥
30. जो ख़ुदा पच्छिम बसै तौ पूरब बसत है राम।
रैदास सेवों जिह ठाकुर कूं, तिह का ठांव न नाम॥
31. रैदास सोई सूरा भला, जो लरै धरम के हेत।
अंग−अंग कटि भुंइ गिरै, तउ न छाड़ै खेत॥
32. सौ बरस लौं जगत मंहि, जीवत रहि करू काम।
रैदास करम ही धरम हैं, करम करहु निहकाम॥
33. अंतर गति राँचै नहीं, बाहरि कथै उजास।
ते नर नरक हि जाहिगं, सति भाषै रैदास॥
34. रैदास न पूजइ देहरा, अरु न मसजिद जाय।
जह−तंह ईस का बास है, तंह−तंह सीस नवाय॥
35. जिह्वा भजै हरि नाम नित, हत्थ करहिं नित काम।
रैदास भए निहचिंत हम, मम चिंत करेंगे राम॥
36. नीचं नीच कह मारहिं, जानत नाहिं नादान।
सभ का सिरजन हार है, रैदास एकै भगवान॥
37. साधु संगति पूरजी भइ, हौं वस्त लइ निरमोल।
सहज बल दिया लादि करि, चल्यो लहन पिव मोल॥
38. रैदास जन्मे कउ हरस का, मरने कउ का सोक।
बाजीगर के खेल कूं, समझत नाहीं लोक॥
39. देता रहै हज्जार बरस, मुल्ला चाहे अजान।
रैदास खोजा नहं मिल सकइ, जौ लौ मन शैतान॥
40. बेद पढ़ई पंडित बन्यो, गांठ पन्ही तउ चमार।
रैदास मानुष इक हइ, नाम धरै हइ चार॥
41. धन संचय दुख देत है, धन त्यागे सुख होय।
रैदास सीख गुरु देव की, धन मति जोरे कोय॥
42. रैदास मदुरा का पीजिए, जो चढ़ै उतराय।
नांव महारस पीजियै, जौ चढ़ै उतराय॥
43. रैदास जन्म के कारनै होत न कोए नीच।
नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच॥
44. मुकुर मांह परछांइ ज्यौं, पुहुप मधे ज्यों बास।
तैसउ श्री हरि बसै, हिरदै मधे रैदास॥
45. राधो क्रिस्न करीम हरि, राम रहीम खुदाय।
रैदास मोरे मन बसहिं, कहु खोजहुं बन जाय॥
46. जिह्वा सों ओंकार जप, हत्थन सों कर कार।
राम मिलिहि घर आइ कर, कहि रैदास विचार॥
47. जब सभ करि दोए हाथ पग, दोए नैन दोए कान।
रैदास प्रथक कैसे भये, हिन्दू मुसलमान॥
48. सब घट मेरा साइयाँ, जलवा रह्यौ दिखाइ।
रैदास नगर मांहि, रमि रह्यौ, नेकहु न इत्त उत्त जाइ॥
49. रैदास स्रम करि खाइहिं, जौं लौं पार बसाय।
नेक कमाई जउ करइ, कबहुं न निहफल जाय॥
50. गुरु ग्यांन दीपक दिया, बाती दइ जलाय।
रैदास हरि भगति कारनै, जनम मरन विलमाय॥
51. रैदास हमारो साइयां, राघव राम रहीम।
सभ ही राम को रूप है, केसो क्रिस्न करीम॥
Sant Ravidas Ji Ke Dohe in Hindi PDF with Meaning
ब्राह्मण मत पुजिये जो होवे गुणहीन !
पुजिये चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण !!
अर्थ : इस दोहे के माध्यम से संत रैदास जी कहते है कि किसी मनुष्य को सिर्फ इसलिए नहीं पूजना चाहिए कि वह किसी ऊँचे कुल में जन्मा है ! हमें उस व्यक्ति को नहीं पूजना चाहिए जिसमे कोई गुण नहीं हो ! हमें ऐसे व्यक्ति को पूजना चाहिए जो गुणवान हो चाहे वह किसी नीची जाती का ही क्यों न हो !
In English: Through this couplet, Saint Raidas ji says that no man should be worshipped just because he is born into a high family. We should not worship a person who does not have any qualities. We should worship such a person who is virtuous, even if he belongs to a lower caste.
कह रैदास तेरी भगति दूरि है , भाग बड़े सो पावे !
तजि अभिमान मेटी आपा पर , पिपिलक हवे चुनि खावै !!
अर्थ : संत रैदास जी कहते है कि मनुष्य को भगवान की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है ! जिस मनुष्य में थोडा सा भी अभिमान नहीं है उसका सफल होना निश्चित है ! यह ठीक उसी प्रकार है जैसे एक विशाल हाथी शक्कर के दानो को नहीं बीन सकता , लेकिन एक छोटी से चीटी शक्कर के दानो को आसानी से बीन लेती है !
In English: Saint Raidas ji says that man gets the devotion of God with great luck. A man who does not have the slightest pride is sure to succeed. It’s just like a giant elephant can’t glean sugar grains, but a small ant can easily pick up sugar granules.
मन चंगा तो कठौती में गंगा !
अर्थ : रैदास जी इस दोहे में कहते है कि जिस मनुष्य का मन पवित्र है , उसके बुलाने पर माँ गंगा एक कठौती ( चमड़ा भिगोने वाला पात्र ) में भी आ जाती है !
In English: Raidas ji says in this couplet that on the call of a person whose mind is pure, Mother Ganga also comes in a Kathoti (a vessel for soaking leather).
करम बंधन में बन्ध रहियो , फल की न तज्जियो आस !
कर्म मानुष का धर्म है , सत भाखे रविदास !!
अर्थ : संत रैदास जी इस दोहे में कहते है कि मनुष्य को हमेशा अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए कभी भी फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए ! क्योंकि कर्म करना मनुष्य का धर्म है तो फल पाना हमारा सौभाग्य !
In English: Saint Raidas ji says in this couplet that a man should always focus on his karma and never desire for the fruits. Because doing the action is the religion of man, then it is our good fortune to get the fruits.
मन ही पूजा मन ही धुप !
मन ही सेऊँ सहज स्वरूप !!
अर्थ : इस दोहे के माध्यम से संत रैदास जी हमें यह कहते है कि एक पवित्र मन में ही ईश्वर का वास होता है ! यदि इस मन की किसी के प्रति कोई भेद – भाव , लालच या द्वेष की भावना नहीं है तो ऐसा मन ही भगवान का मंदिर है , दीपक है और धुप है ! ऐसे मन में ही ईश्वर निवास करते है !
In English: Through this couplet, Saint Raidas ji tells us that God resides only in a pure mind. If this mind has no feelings of discrimination, greed or malice towards anyone, then such a mind is the temple of God, it is a lamp and there is incense! God resides in such a mind.
जा देखे घिन उपजे , नरक कुंड में बांस !
प्रेम भगति सो उधरे , प्रगटत जन रैदास !!
अर्थ : जिस रविदास को देखने से लोगो को घृणा होती थी , जिनके रहने का स्थान नर्क के समान था , ऐसे रविदास का ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना , ऐसा ही है जैसे मनुष्य के रूप में इनकी दौबारा उत्पति हुई हो !
In English: People used to hate seeing Ravidas, whose place of residence was like hell, such Ravidas being absorbed in the devotion of God, it is as if he was born again in the form of a human.
कृस्न , करीम , राम , हरि , राघव , जब लग एक न पेखा !
वेद कतेब कुरान , पुरानन , सहज एक नहीं देखि !!
अर्थ : रैदास जी कहते है कि कृष्ण, राम करीम, हरि, राघव सब एक ही परमेश्वर के अलग – अलग नाम है ! वेद, कुरान, पुराण आदि सभी ग्रंथो में एक ही ईश्वर की बात करते है , और सभी ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार का पाठ पढ़ते है !
In English: Raidas ji says that Krishna, Ram Karim, Hari, and Raghav are all different names of the same God. Vedas, Quran, Puranas etc. talk about only one God in all the scriptures, and all read the lesson of virtue for the devotion of God.
हरि – सा हीरा छांड के , करे आन की आस !
ते नर जमपुर जाहिंगे , सत भाषे रविदास !!
अर्थ : हीरे से कीमती है हरि ! रैदास जी कहते है कि जो लोग भगवान की भक्ति को छोड़कर अन्य चीजो की आशा करते है उन्हें नर्क जाना ही पड़ता है !
In English: Hari is more precious than a diamond! Raidas ji says that those who expect things other than devotion to God, have to go to hell.
रविदास जन्म के कारने , होत न कोउ नीच !
नकर कुं नीच करि डारि है , ओछे करम की कीच !!
अर्थ : कोई भी मनुष्य किसी जाती में जन्म लेने से निचा या छोटा नहीं होता है , मनुष्य हमेशा अपने कर्मो के कारण पहचाना जाता है !
In English: No man is inferior or small by taking birth into any caste, man is always recognized because of his deeds.
जाति – जाति में जाति है , जो केतन के पात !
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात !!
अर्थ : संत रैदास जी कहते है कि जिस प्रकार से किसी केले के तने को छीला जाता है तो उसमे पते के ऊपर पता निकलता रहता है और पूरा पेड़ ख़त्म हो जाता है ! ठीक उसी प्रकार इंसानों को भी जातियों में बाँट दिया गया है , जातियों में बाँटने से इन्सान तो अलग – अलग बंट ही जाते है अंत में इन्सान ही खत्म हो जाता है लेकिन यह जाति कभी ख़त्म नहीं होती है !
In English: Saint Raidas ji says that the way the stem of a banana is peeled, the address keeps coming out on top of the address and the whole tree gets destroyed. In the same way, human beings have also been divided into castes, by dividing them into castes, humans are divided in different ways, in the end, the human being ends, but this caste never ends.
रविदास जन्म के कारने , होत न कोउ नीच !
नर कुं नीच करि डारि है , ओछे करम की कीच !!
अर्थ : संत रैदास जी कहते है कि कोई भी इन्सान जन्म लेने से छोटा या बड़ा , उंच या नीच नहीं होता है ! इन्सान अपने कर्मो के कारण ही छोटा या बड़ा बनता है !
In English: Saint Raidas ji says that no human being becomes small or big, high or low by birth. Man becomes small or big because of his deeds.
रैदास कहे जाकै हदै , रहे रैन दिन राम !
सो भगता भगवंत सम , क्रोध न व्यापे काम !!
अर्थ : इस दोहे में संत रविदास जी कहते है कि भक्ति में ही शक्ति होती है ! जिस मनुष्य के ह्रदय में दिन – रात राम के नाम का वास होता है , वह मनुष्य स्वयं राम के समान होता है ! रविदास जी कहते है कि राम के नाम में ही इतनी शक्ति है कि व्यक्ति को कभी क्रोध नहीं आता और कभी – भी कामभावना का शिकार नहीं होता है!
In English: In this couplet, Sant Ravidas ji says that there is power in devotion only. The man in whose heart the name of Rama resides day and night, that man himself is equal to Rama. Ravidas ji says that there is so much power in the name of Ram that a person never gets angry and never becomes a victim of lust.
रहिमन निज सम्पति बिना , कोऊ न बिपति सहाय !
बिनु पानी ज्यो जलज को , नहीं रवि सके बचाय !!
अर्थ : संत रैदास जी कहते है कि जब मनुष्य की मुश्किल घडी आती है तब उस समय उसकी कोई मदद नहीं करता है , उस समय उसके पास मौजूद सम्पति ही उसकी सहायता करती है ! ठीक उसी प्रकार सूर्य भी तालाब का पानी सुख जाने पर कमल को सूखने से नहीं बचा सकता है !
In English: Saint Raidas ji says that when a man’s difficult time comes, then no one helps him at that time, only the wealth he had at that time helps him. In the same way, the sun cannot save the lotus from drying up when the water of the pond dries up.
एकै साधे सब सधै , सब साधे सब जाय !
रहिमन मूलहि सींचिबो , फुले फले अगाय !!
अर्थ : संत रैदास जी कहते है कि एक – एक काम साधने से हमारे सभी काम सध जाते है ! यदि हम एक साथ सभी कामो को साधने की कोशिश करते है तो उनमे हमें असफलता ही मिलती है ! यदि किसी पेड़ की पति और टहनी को सींचा जाये और उसकी जड को सुखा छोड़ दिया जाए तो वह पेड़ कभी फल नहीं दे पायेगा !
In English: Sant Raidas ji says that all our work gets accomplished by doing one thing at a time. If we try to do all the work together, then we only get failure in them. If the husband and twig of a tree are watered and its root is left dry, then that tree will never be able to bear fruit.
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