संकटापन्न प्रजातियां PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप संकटापन्न प्रजातियां PDF के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। संकटापन्न प्रजातियां अथवा लुप्तप्राय प्रजातियां जीवों की उन प्रजातियों को कहा जाता है जो किसी न किसी कारण से इस पृथ्वी से विलुप्त होती जा रही हैं । आज न जाने ऐसी कितनी ही प्रजातियाँ हैं जो अब तक पूर्ण रूप से पृथ्वी से लूप हो चुकी हैं,
और न जाने कितनी ही प्रजातियाँ अब भी लुप्त होने की कगार पर हैं । किसी भी प्रजाति के विपलुप्त होने के पीछे अनेकों कारण होते हैं जिनमें प्र्कृतिक तथा अप्रकृतिक दोनों ही प्रकार के कारण होते हैं । यदि आप विभिन्न प्रकार की संकटापन्न प्रजातियों के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख में दी गयी पीडीएफ़ को डाउनलोड करें।
संकटापन्न प्रजातियां PDF
क्लाउडेड लेपर्ड (Clouded Leopard):
- इसका वैज्ञानिक नाम नियोफे लिसनेबुलोसा’ (Neofelis ncbulosa) है । इस प्रजाति का नामकरण इस पर लेपित धब्बे के कारण हुयी है। यह जंगलों में कम ही देखी जाती है और इसका पर्यावास भी कुछ हद तक रहस्यमयी बना हुआ है। इस प्रजाति की विशेषता यह है कि यह जमीन के बजाय पेड़ों पर रहना अधिक सहज महसूस करती है। पर्यावास नाश एवं शिकार के कारण इसकी संख्या कम हो रही है।
एशियाई जंगली भैंसा (Asiatic Wild Buffalo):
- एशियाई जंगली भैंसा का वैज्ञानिक नाम ‘बुबालुस आनी” (Bubalus arnee) है। इसे आर्थिक तौर पर महत्वपूर्ण जानवर समझा जाता है क्योंकि इसे पालतू भैसों का मूल स्रोत समझा जाता है। यह संकटापन्न प्रजाति मध्य भारत में पाई जाती है। आईयूसीएन की लाल सूची में वाटर बफैलो को संकटापन्न सूची में वर्गीकृत किया गया है।
निकोबार मेगायोड (Nicobar megapode):
- निकोबार मेगापोड को निकोबार स्क्रबफाउल (Nicobar Scrublowl) भी कहा जाता है। यह निकोबार द्वीप की स्थानिक (एंडेमिक) प्रजाति है। बड़े पैड़ो वाला यह पक्षी प्रजाति अपना घौंसला जमीन पर बनाती हैं। वर्ष 2004 की सूनामी के पश्चात इसकी संख्या में काफी कमी आई है क्योंकि जिस टीला में यह अपना घोंसला बनाती है वह लगभग बह गयी थी और केवल लगभग 20 प्रतिशत ही बची थी। हालांकि आईयूसीएन की लाल सूची में इसे वल्नरेब्ल श्रेणी में शामिल किया गया है परंतु इनकी संख्या कम हो रही है।
एडिब्ल नेस्ट स्विफ्टलेट (Ediblenest Swiftlet):
- यह एक पक्षी पजाति है जिसका वैज्ञानिक नाम एरोड़ामस फ्युसिफेगस’ (Acrodramus fuciphagus) है। आईयूसीएन की लाल सूची में इसे ‘न्यून चिंताजनक (Least conccrn) त्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है। यह पक्षी प्रजाति अंडमान-निकोबार में पाई जाती है। दरअसल यह पक्षी अपना घौंसला चूनापत्थर वाली गुफा में अपनी लार से बनाता है। सिविपटलेट का प्रत्येक जोड़ा लगभग 10 ग्राम का लार थूक के रूप में फेककर घोसला का निर्माण करता है।
रेड पांडा (Red Panda):
- भारत में रेड पांडा सिक्किम, पश्चिम बंगाल. मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में पाई जाती है। भारत के अलावा यह नेपाल, भूटान, म्यांभार एवं चीन में पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘ऐलुरस फुल्गेस’ (Ailurus fulgcns) है। यह एक लघु वानस्पतिक स्तनधारी है। आईयूसीएन की लाल सूची में इसे संकटापन्न सूची में शामिल किया गया है।
मिश्मी ताकिन (Mishmi Takin):
- यह बकरी-मृग प्रजाति है जो भारत में अरुणाचल प्रदेश में पाई जाती है। सिक्किम में भी इसकी उपस्थिति रिपोर्ट की गई है। भारत के अलावा यह भूटान, म्यांमार व चीन में पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम बुडोरकास टैक्सीकलर (Budorcas taxicolor) है। आईयूसीएन की लाल सूची में इसे ‘वल्नरेव्ল’ श्रेणी में रखा गया है।
भारत में लुप्तप्राय जानवर
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ( अरडॉटइस निग्रिकेप्स) या इंडियन बस्टर्ड
- जेर्डोन कर्सर (क्रसोरियस बिटोरकातुस ) (ब्लिथ)
- हिमालय मोनल, तीतर – लोफोफोरस इम्पेजनुस (लैथम)
- सारस क्रेन (ग्रूस अन्तिगोने )
- एशियाटिक लायन – पेन्थेरा लियो पर्सिका (मेयर)
- कृष्णमृग – एंटीलोप सर्विकाप्रा (लिनिअस)
- गंगा नदी डॉल्फिन – प्लेटेनिस्टा गैन्गेटिक
- हूलॉक गिब्बन (ह्यलोबाटेस हूलॉक)
- नीलगिरि लंगूर (प्रेस्बायटिस जोहनी )
- जंगली गधा (एकस हेमिनस खुर )
- शेर मकाक – मकैक सिलेंस (लिनिअस)
- ओलिव रिडले समुद्री कछुए – लेपिडोचेलयस ओलिवासा
- भारतीय छिपकली – मानिस क्रेसिकौड़ता (ग्रे)
- नीलगिरि तहर (नीलगिरीतरगुस हैलोकर्स )
- तेंदुआ बिल्ली (परिवाइलुरूस बैंगालेंसिस )
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