संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि | Sankashti Chaturthi Puja Vidhi Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि / Sankashti Chaturthi Puja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। गणेश जी को बुद्धि तथा ज्ञान का देवता माना जाता है। वह अपने भक्तों के जीवन में आने वाले सारे विघ्नों को दूर करते हैं।
किसी भी तरह की पूजा, हवन – यज्ञ तथा अनुष्ठान से पहले गणेश जी का पूजन अनिवार्य रूप से किया जाता है। गणेश जी का पूजन सबसे पहले करने से ही व्यक्ति को किसी भी प्रकार के पूजन व अनुष्ठान का पूर्ण फल प्राप्त हो सकता है। यदि आप भी संकष्टी व्रत करना चाहते हैं, तो यहां से संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि पढ़ा वा प्राप्त कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि | Sankashti Chaturthi Pujan Vidhi PDF
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
- भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।
- भगवान गणेश का ध्यान करें।
- गणेश जी को भोग भी लगाएं।
- आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।
- इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है।
- शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें।
- भगवान गणेश की आरती जरूर करें।
संकष्टी चतुर्थी आरती | Sankashti Chaturthi Aarti Lyrics
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे,मूसे की सवारी॥
(माथे पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी)
पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
(हार चढ़े, फूल चढ़े,और चढ़े मेवा)
लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।
कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
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