सकट चौथ कथा | Sakat Chauth Vrat Katha Hindi PDF Summary
नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए सकट चौथ कथा / Sakat Chauth Katha PDF in Hindi भाषा में प्रदान करने जा रहे हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष की माघ माह की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत विवाहित स्त्रियों द्वारा रखा जाता है। यह व्रत भगवान् श्री गणेश जी को समर्पित होता है। इस दिन स्त्रियाँ अपने पुत्र की दीर्घायु तथा सुखी जीवन की कामना के लिए भगवान गणेश जी से प्रार्थना करती हैं।
जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि भगवान् श्री गणेश जी को हिन्दू धर्म में प्रथमपूज्य माना जाता है अतः किसी भी प्रकार के पूजन, हवन आदि धार्मिक कार्यक्रमों के आरम्भ से पूर्ण गणेश जी का पूजन करना अनिवार्य होता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से समस्त प्रकार के संकटों से छुटकारा प्राप्त होता है तथा घर में सुख, समृद्धि एवं सौहार्द का आगमन होता है।
इसीलिए यदि आप भी भगवान गणेश जी की कृपा अपने जीवन में प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख के माध्यम से सकट चौथ कथा इन हिंदी पीडीएफ डाउनलोड करके इस व्रत का पूर्ण विधि-विधान से पालन कर सकते हैं। यह एक निर्जला व्रत है अतः इस व्रत में जल भी पीना वर्जित है। प्रत्येक वर्ष 12 संकष्टी चतुर्थी व्रत आते हैं लेकिन सभी में माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व होता है।
सकट चौथ कथा PDF | Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi PDF
- एक समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह की तैयारियां चल रही थीं, इसमें सभी देवताओं को निमंत्रित किया गया लेकिन विघ्नहर्ता गणेश जी को निमंत्रण नहीं भेजा गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह में आए लेकिन गणेश जी उपस्थित नहीं थे, ऐसा देखकर देवताओं ने भगवान विष्णु से इसका कारण पूछा।
- उन्होंने कहा कि भगवान शिव और माता पार्वती को निमंत्रण भेजा है, गणेश अपने माता-पिता के साथ आना चाहें तो आ सकते हैं। हालांकि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि वे नहीं आएं तो अच्छा है। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता।
- इस दौरान किसी देवता ने कहा कि गणेश जी अगर आएं तो उनको घर के देखरेख की जिम्मेदारी दी जा सकती है। उनसे कहा जा सकता है कि आप चूहे पर धीरे-धीरे जाएंगे तो बारात आगे चली जाएगी और आप पीछे रह जाएंगे, ऐसे में आप घर की देखरेख करें।
- योजना के अनुसार, विष्णु जी के निमंत्रण पर गणेश जी वहां उपस्थित हो गए। उनको घर के देखरेख की जिम्मेदारी दे दी गई। बारात घर से निकल गई और गणेश जी दरवाजे पर ही बैठे थे, यह देखकर नारद जी ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि विष्णु भगवान ने उनका अपमान किया है। तब नारद जी ने गणेश जी को एक सुझाव दिया।
- गणपति ने सुझाव के तहत अपने चूहों की सेना बारात के आगे भेज दी, जिसने पूरे रास्ते खोद दिए। इसके फलस्वरूप देवताओं के रथों के पहिए रास्तों में ही फंस गए। बारात आगे नहीं जा पा रही थी। किसी के समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए, तब नारद जी ने गणेश जी को बुलाने का उपाय दिया ताकि देवताओं के विघ्न दूर हो जाएं।
- भगवान शिव के आदेश पर नंदी गजानन को लेकर आए। देवताओं ने गणेश जी का पूजन किया, तब जाकर रथ के पहिए गड्ढों से निकल तो गए लेकिन कई पहिए टूट गए थे।
- उस समय पास में ही एक लोहार काम कर रहा था, उसे बुलाया गया। उसने अपना काम शुरू करने से पहले गणेश जी का मन ही मन स्मरण किया और देखते ही देखते सभी रथों के पहियों को ठीक कर दिया। उसने देवताओं से कहा कि लगता है आप सभी ने शुभ कार्य प्रारंभ करने से पहले विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा नहीं की है, तभी ऐसा संकट आया है।
- आप सब गणेश जी का ध्यान कर आगे जाएं और गणेश जी आरती गाकर उनका स्मरण करें , आपके सारे काम हो जाएंगे।देवताओं ने गणेश जी की जय जयकार की और बारात अपने गंतव्य तक सकुशल पहुंच गई। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हो गया।
Ganesh (Sakat) Chauth Vrat Katha in Hindi PDF – दूसरी व्रत कथा
एक दिन माता पार्वती नदी किनारे भगवान शिव के साथ बैठी थीं। उनको चोपड़ खेलने की इच्छा हुई, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो खेल में हार-जीत का फैसला करे। ऐसे में माता पार्वती और शिव जी ने एक मिट्टी की मूर्ति में जान फूंक दी और उसे निर्णायक की भूमिका दी। खेल में माता पार्वती लगातार तीन से चार बार विजयी हुई, लेकिन एक बार बालक ने गलती से माता पार्वती को हारा हुआ और भगवान शिव को विजयी घोषित कर दिया। इस पर पार्वती जी उससे क्रोधित हो गई।
क्रोधित पार्वती जी ने उसे बालक को लंगड़ा बना दिया। उसने माता से माफी मांगी, लेकिन उन्होंने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता, पर एक उपाय है। संकष्टी के दिन यहां पर कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। तुम भी वैसे ही व्रत और पूजा करना। माता पार्वती के कहे अनुसार उसने वैसा ही किया। उसकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश उसके संकटों को दूर कर देते हैं।
Ganesh (Sakat) Chauth Vrat Katha PDF – तीसरी व्रत कथा
- राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। वह मिट्टी के बर्तन बनाता, लेकिन वे कच्चे रह जाते थे। एक पुजारी की सलाह पर उसने इस समस्या को दूर करने के लिए एक छोटे बालक को मिट्टी के बर्तनों के साथ आंवा में डाल दिया। उस दिन संकष्टी चतुर्थी का दिन था।
- उस बच्चे की मां अपने बेटे के लिए परेशान थी। उसने गणेश जी से बेटे की कुशलता की प्रार्थना की। दूसरे दिन जब कुम्हार ने सुबह उठकर देखा तो आंवा में उसके बर्तन तो पक गए थे, लेकिन बच्चजे का बाल भी बांका नहीं हुआ था। वह डर गया और राजा के दरबार में जाकर सारी घटना बताई।
- इसके बाद राजा ने उस बच्चे और उसकी मां को बुलवाया तो मां ने सभी तरह के विघ्न को दूर करने वाले संकष्टी चतुर्थी का वर्णन किया। इस घटना के बाद से महिलाएं संतान और परिवार के सौभाग्य के लिए सकट चौथ का व्रत करने लगीं।
सकट चौथ व्रत पूजा विधि / Sakat Chauth Vrat Puja Vidhi PDF
- सुबह स्नान ध्यान करके भगवान गणेश की पूजा करें।
- तत्पश्चात सूर्यास्त के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- गणेश जी की मूर्ति के पास एक कलश में जल भर कर रखें।
- धूप-दीप, नैवेद्य, तिल, लड्डू, शकरकंद, अमरूद, गुड़ और घी अर्पित करें।
- तिलकूट का बकरा भी कहीं-कहीं बनाया जाता है।
- पूजन के बाद तिल से बने बकरे की गर्दन घर का कोई सदस्य काटता है।
सकट चौथ व्रत शुभ मुहूर्त / Sakat Chauth Puja Muhurt
Sakat Chauth Katha PDF Hindi
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