ऋणमोचक मंगल स्तोत्र | Rinmochan Mangal Stotra PDF in Hindi

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र | Rinmochan Mangal Stotra Hindi PDF Download

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ऋणमोचक मंगल स्तोत्र | Rinmochan Mangal Stotra Hindi PDF Summary

नमस्कार पाठकों, यहां आप ऋणमोचक मंगल स्तोत्र PDF निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। ऋणमोचक मंगल स्तोत्र हनुमान जी को समर्पित एक बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है जिसके नियमित पाठ से आप न केवल हनुमान जी को प्रसन्न कर सकते हैं बल्कि राम जी की कृपा भी प्राप्त कर सकते हैं। जो लोग बहुत लम्बे समस्य से कर्ज में दबे हुए हैं तथा बहुत प्रयास करने पर भी कर्ज से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है तो इस स्तोत्र के पाठ से शीघ्र ही कर्ज उतरने में सहयता होती है।

यह बहुत ही सिद्ध स्तोत्र है जिसका पाठ पवित्रता से करना चाहिए तथा इस स्तोत्र का उच्चारण करते हुए किसी भी प्रकार की गलती नहीं करनी चाहिए अन्यथा इसका पूर्ण प्रभाव नहीं होता है तथा आपको सम्पूर्ण लाभ नहीं प्राप्त हो पाता है। यदि आप भी अपने जीवन में आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तथा उससे शीघ्र छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। इसके अलावा मंगल देव की चालीसा का गायन भी अत्यंतत शुभ मन जाता है। जो भी लोग इसका मनन करते हैं उन पर सदा हनुमान जी की कृपा बनी रहती है।

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ pdf / Rinmochan Mangal Stotra Lyrics PDF

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥1॥

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।

धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥2॥

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।

व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥3॥

एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥4॥

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥5॥

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।

न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥6॥

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।

त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥7॥

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।

भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥ 8 ||

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्॥9॥

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।

तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥10॥

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।

ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥11॥

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।

महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥12॥

|| इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ||

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ कैसे करें ?

  • सर्वप्रथम नहाधोकर स्वच्छ हो जाएँ।
  • अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • उसके बाद उस चौकी पर श्री हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • अब अपने बाएं हाथ की तरफ देशी घी का दीपक जलाएं।
  • दाएं हाथ की तरफ तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें।
  • अब हनुमान जी को गुड़ व चना अर्पित करें।
  • अब श्रद्धापूर्वक श्री ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें।
  • पाठ संपन्न होने पर हनुमान जी की आरती करें।
  • अंत में हनुमान जी से आशीर्वाद ग्रहण करें।

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