रक्षाबंधन की कथा | Raksha Bandhan Katha - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप रक्षाबंधन की कथा pdf / Raksha Bandhan Katha PDF पीडीऍफ़ के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि आप जानते ही हैं भारत पर्वों व त्यौहारों का देश है। इन्हीं पर्वों के माध्यम से व्यक्ति एक दूसरे से जुड़े रहते हैं तथा सामाजिक एकता कायम रखते है। रक्षा बंधन का पवित्र त्यौहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह उत्सव भाई बहन के सम्बन्ध को और अधिक महत्वपूर्ण एवं मधुर बनाने का कार्य करता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधती है तथा भाई अपनी बहन को सुरक्षा एवं सहयोग प्रदान करने का वचन देते हैं। यदि आप इस सुन्दर पर्व के विषय में और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख में दी गयी पीडीऍफ़ डाउनलोड करके पढ़े। नीचे दी गयी पीडीऍफ़ में आप रक्षाबंधन से सम्बंधित विभिन्न कथाएं पढ़ सकते हैं जिनमें पौराणिक कथाओं के साथ साथ लोक कथाओं को भी सम्मिलित किया गया है।
Raksha Bandhan Katha PDF 2023
राखी का त्योहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है। इतिहास मे कृष्ण और द्रौपदी की कहानी प्रसिद्ध है, जिसमे युद्ध के दौरान श्री कृष्ण की उंगली घायल हो गई थी, श्री कृष्ण की घायल उंगली को द्रौपदी ने अपनी साड़ी मे से एक टुकड़ा बाँध दिया था, और इस उपकार के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट मे द्रौपदी की सहायता करने का वचन दिया था। स्कन्ध पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत में वामनावतार नामक कथा में रक्षाबन्धन का प्रसंग मिलता है। कथा कुछ इस प्रकार है, दानवेन्द्र राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयत्न किया तो इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण कर राजा बलि से भिक्षा माँगने पहुँचे। गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। भगवान ने तीन पग में सारा आकाश पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। इस प्रकार भगवान विष्णु द्वारा बलि राजा के अभिमान को चकनाचूर कर देने के कारण यह त्योहार बलेव नाम से भी प्रसिद्ध है। कहते हैं एक बार बलि रसातल में चला गया तब बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया।[ङ] भगवान के घर न लौटने से परेशान लक्ष्मी जी को नारद जी ने एक उपाय बताया। उस उपाय का पालन करते हुए लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे रक्षाबन्धन बांधकर अपना भाई बनाया और अपने पति भगवान विष्णु को अपने साथ ले आयीं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। विष्णु पुराण के एक प्रसंग में कहा गया है कि श्रावण की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव के रूप में अवतार लेकर वेदों को ब्रह्मा के लिये फिर से प्राप्त किया था। भगवान हयग्रीव को विद्या और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कब है 2023? / Raksha Bandhan 2023 Date and Time Shubh Muhurat in Hindi
रक्षा बन्धन बुधवार, अगस्त 30, 2023 को
रक्षा बन्धन अनुष्ठान का समय – 09:01 पी एम के बाद
रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय – 09:01 पी एम
रक्षा बन्धन भद्रा पूँछ – 05:30 पी एम से 06:31 पी एम
रक्षा बन्धन भद्रा मुख – 06:31 पी एम से 08:11 पी एम
भद्रा के समाप्त होने पर ही प्रदोष के पश्चात मुहूर्त उपलब्ध है।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अगस्त 30, 2023 को 10:58 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – अगस्त 31, 2023 को 07:05 ए एम बजे
Source – (drikpanchang)
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