Qurbani ki Dua Hindi PDF Summary
नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए Qurbani ki Dua PDF प्रदान करने जा रहे हैं। मुसलमानों के अनुसार, कुर्बानी की दुआ एक खास दुआ होती है, जिसे कुर्बानी देते समय पढ़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पढ़ना अधिक जरूरी नहीं है इसे बिना पढ़े सिर्फ बिस्मिल्लाहि अल्लाह हू अकबर कहकर भी कुर्बानी देने का नियम माना जाता है।
इसी के अतिरिक्त ऐसा भी माना जाता है कि अगर कुर्बानी की दुआ को पढ़ लिया जाए तो इससे सवाब ज्यादा हासिल होता है। कुर्बानी की दुआ हदीस से साबित है, इसलिए कुर्बानी करते वक्त इस दुआ का पढ़ना मुस्ताहब माना जाता है। लेकिन अगर आपको यह दुआ याद नहीं है, तो आप किसी और से भी दुआ पढ़वा सकते हैं, और जब वह अल्लाहु अकबर पर आए तो आप अपनी कुर्बानी कर सकते हैं।
Qurbani ki Dua PDF / Qurbani ki Dua in Hindi PDF
न्नी वज्जह्तुवज्हि -य लि ल्लज़ी फ़-त-रस्समावाति वल अर-ज़ अला मि ल्लति इब्राही- म हनीफ़ंव व मा अना
मि नल मश्रिुश्रिकीन इन-न सलाती व नसु कु ी व महया-य व ममाती लि ल्लाहि रब्बि ल आ ल मी न ला शरी-क लहू
व बि ज़ालि -क उमि र्तु व अना मि नल मस्लिुस्लि मीन अल्लाहुम-म मि न-क व ल-क अन ० बि स्मि ल्लाह वल्लाहू
अकबर।
Qurbani Ki Dua in Arabic Text
إِنِّي وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِي فَطَرَ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضَ حَنِيفًا وَمَا أَنَا مِنَ الْمُشْرِكِينَ
إِنَّ صَلاَتِي وَنُسُكِي وَمَحْيَاىَ وَمَمَاتِي
لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
لاَ شَرِيكَ لَهُ وَبِذَلِكَ أُمِرْتُ وَأَنَا أَوَّلُ الْمُسْلِمِينَ
اللَّهُمَّ مِنْكَ وَلَكَ عَنْ مُحَمَّدٍ وَأُمَّتِهِ
Qurbani ki Dua Hindi Translation / Qurbani ki Dua in Hindi Meaning
मैंने उस ज़ात की तरफ़ अपना रुख मोड़ा जिसने आसमानों को और जमीनों को पैदा किया, इस हाल में मैं इब्राहीम में हनीफ़ के दीन पर हूं और मश्रिुश्रिको में सेनहीं हूँ। बेशक मेरी नमाज़ और मेरी इबादत और मेरा मरना और जीना सब अल्लाह के लिए है जो रब्बलु आलमीन है,
जिसका कोई शरीक नहींऔर मुझे इसी का हुक्म दिया गया है और मैं फरमाबरदारों में से हूं। ऐ अल्लाह, यह कुर्बानी तेरी तौफ़ीक़ से हैऔर तेरे लिए है।
Benefits of Reading Dua When Making Qurbani (Qurbani Ke Waqt Ki Dua)
कुर्बानी बनाते समय दुआ पढ़ने के फायदे (कुर्बानी के वक्त की दुआ)
इस्लाम ने हमें मसनून दुआ का तोहफा दिया है, और कुर्बानी के वक्त की दुआ उनमें से एक है। किसी भी दुआ को पढ़ना जैसे कि कुर्बानी बनाते समय इसे पढ़ने के लिए अल्लाह का आशीर्वाद हमारे पास रहता है। हम कुरबानी के वक्त की दुआ जैसे कई मसनून दुआओं को अक्सर दिल से याद करते हैं, लेकिन हम नहीं जानते कि इसका क्या मतलब है, क्योंकि हम गैर-अरब मुसलमान हैं।
किसी भी गतिविधि को करने के लिए मसनून दुआ का पाठ करना अनिवार्य नहीं है; फिर भी, जब हम क़ुर्बानी के वक़्त की दुआ पढ़ते हैं, तो यह हमें दिखाता है कि हम इस गतिविधि को कितने अच्छे तरीके से करते हैं। साथ ही, इन कुछ शब्दों को पढ़कर जिन्हें हम आसानी से दिल से सीख सकते हैं, हम अल्लाह SWT से अच्छा इनाम कमा सकते हैं।
Qurbani ki Dua PDF in Hindi kya hai?
इसका जवाब आपको हमने ऊपर दे दिया है तथा आप इसके जवाब को दी गयी PDF से भी प्राप्त कर सकते हैं।
कुरबानी का जानवर कैसा खरीदें?
कुर्बानी का जानवर खरीदने से पहले कुछ सावधानी बरतनी बहुत ही जरूरी है; क्योंकि अगर कुर्बानी का जानवर सही नहीं होगा यानी वह शरियत के मुताबिक नहीं हुआ तो कुर्बानी नहीं मानी जाएगी। कुर्बानी का जानवर खरीदते वक्त आपको यह देखना है, कि जानवर तंदुरुस्त हो उसकी आंखें ठीक हों, पैर ठीक हो और तंदुरुस्त हो साथ ही साथ यह भी देखें कि कहीं उसके शरीर में गोश्त की कमी तो नहीं या कमजोर तो नहीं।
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया जब तुम कुरबानी का जानवर खरीदने जाओ तो इन जानवरों को खरीदने से बचो।
- लंगडा।
- भैंगा।
- बिमार।
- कमज़ोर।
लंगडा जानवर।
कुर्बानी का जानवर खरीदते वक्त आपको यह देखना है, कि जो आप जानवर खरीदने जा रहे हैं, वह लंगड़ा तो नहीं है; क्योंकि लंगड़े जानवर पर जिसका लंगड़ापन जाहिर हो रहा हो उसकी कुर्बानी देना जायज नहीं।
भैंगा जानवर।
ऐसा कोई जानवर जो भैंगा हो और जिसका भैंगापन साफ जाहिर हो रहा हो तो उसकी कुर्बानी देने से बचना चाहिए।
बिमार जानवर की क़ुरबानी ना दें।
जब आप कुर्बानी का जानवर खरीदने जाएं तो अपने जानवर में यह जरूर देखें कि कहीं वह बीमार तो नहीं है; बीमारी चाहे जैसी भी हो आपको उस जानवर को नहीं खरीदना है। ऐसे जानवर जिन की बीमारी जाहिर हो रही होती है, तो उस पर कुर्बानी नहीं मानी जाती।
कमज़ोर जानवर।
कमजोर जानवर या कहें ऐसे जानवर जिनके बदन पर गोश्त नहीं होता या वह छोटे हैं; तो उन पर कुर्बानी नहीं देनी चाहिए ऐसा सख्त मना किया गया है।
कुरबानी का जानवर कैसा खरीदें? / Qurbani ka janwar kaisa kharidna chahiye?
हदीसों के मुताबिक कुर्बानी का जानवर एकदम तंदुरुस्त होना चाहिए उसके शरीर का हर एक हिस्सा ठीक होना चाहिए और सही सलामत काम करना चाहिए। ऐसे जानवर पर कुर्बानी जायज नहीं जो कमजोर हो और जिसके बदन में गोश्त कम हो या वह कम उम्र का हो।
हुज़ैफा रज़ी अल्लाहु अन्हा से रिवायत है, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया जब हम कुर्बानी का जानवर खरीदने के लिए जाएं तो जानवर की आंखें और कान अच्छे तरीके से देख लें।
एक इंसान कितनी कुरबानी कर सकता है? / Ek insan kitni qurbani kar sakta hai?
वैसे तो यह बात हम सभी जानते हैं, कि कुर्बानी का सवाब लेने के लिए एक ही जानवर की कुर्बानी काफी है; और अगर अल्लाह ने आपको ज्यादा माल से नवाजा है, तो आप ज्यादा कुर्बानी भी दे सकते हैं, इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर आपको अल्लाह ने माल ओ दौलत से नवाजा है, तो आप जितनी और जिस भी जानवर की चाहे उतनी कुर्बानी कर सकते हैं; लेकिन सवाब पाने के लिए एक कुर्बानी तो जरूरी है।
- कुर्बानी का गोश्त बर्बाद ना होने दें क्योंकि जब कोई शख्स ढेर सारे जानवरों को कुर्बान करता है; तो उनके ढेर सारे गोश्त निकलते हैं और अगर इन गोश्त को बांटा ना गया तो यह खराब हो जाएंगे जिसका अज़ाब कुर्बानी देने वाले को मिलेगा।
- सारा का सारा गोश्त खुद ही ना खा जाए कुछ गरीबों मे बाटें तो कुछ रिश्तेदारों मे और जो बचा उसे अपने लिए रख लें। ऐसा देखा गया है कि लोग कुर्बानी का गोश्त बांटते नहीं हैं और सोचते हैं, कि खुद ही खाकर खत्म कर देंगे लेकिन कर नहीं पाते तो वो गोश्त खराब हो जाता है, जिसका गुनाह मिलता है।
- लोगों को दिखाने के लिए ढेर सारे जानवरों की कुर्बानी ना दें सिर्फ उतना ही दें जितना आप बांट और खा सकते हैं।
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