Qurbani Ka Tarika Urdu PDF Summary
Hey folks, here we are offering Qurbani Ka Tarika PDF to those who follow Islam. Qurbani is a part of eid al-adha. During this time, all the Muslim behads the animals including goats, camels, sheep, a many more. This shuttering of animals on this day is known as Qurbani.
Similarly, there is a special place of sacrifice in Mali worship! Because the reality was that one’s life and property would have been sacrificed. And whenever needed, every Muslim would have sacrificed all this for the sake of Islam. But under normal circumstances, slaughtering an animal in memory of Hazrat Ibrahim and Ismail Al-His Salam on the tenth day of Jilhijjah is said to be enough.
Qurbani Ka Tarika in Urdu PDF
कुर्बानी के जानवर को बाएं पहलू पर इस तरह लिटाएं कि किब्ले की तरफ उसका मुंह हो और ज़ब्ह करने वाला अपना दाहिना पांव उसके पहलू पर रख कर तेज छूरी से जल्द ज़ब्ह कर दे !
और ज़ब्ह से पहले यह दुआ पढे ! “इन्नी वज्जहतु… तर्जमा मैने अपना मुंह उसकी तरफ़ किया जिसने आसमान और ज़मीन बनाए और मैं मुश्रिक़ीन में नहीँ । ( पारा 7 सूरह अनआम ) अल्लाहुम्म लका वमिन का बिस्मिल्लाहीँ अल्लाहु अकबर दुआ ख़त्म होते ही छुरी चला दें !
कुर्बानी अपनी तरफ से हो तो ज़ब्ह के बाद ये दुआ पढे ।
अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम !
अगर दूसरे की तरफ से ज़ब्ह किया हो तो मिन्नी कीं जगह मिन फला कहें ! यानी उसका नाम ले ! मतलब अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन ( यहाँ जिसकी तरफ से क़ुरबानी हो उसका नाम ले जैसे- मिन रशीद , मिन जमील वगैरह ) कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम !
और अगर जानवर मुश्तरक ( शिरकत की कुर्बानी ) हो ! मतलब कुछ लोग मिलकर क़ुर्बानी कर रहे हो तो – ऊंट, भैंस वगेरह, तो फला ( मिन ) की जगह सब शरीको के नाम ले !
नोट कुर्बानी का जानवर अगर खुद ज़ब्ह ना कर सके तो किसी सुन्नी सहीहुल अकीदा ही से ज़ब्ह कराएं ! अगर किसी बद अकीदा और बेदीन जैसे वहाबी, देवबंदी, गैर मुकल्लिद, कादियानी वगेरह से क़ुर्बानी का जानवर ज़ब्ह कराया तो कुर्बानी नही होगी !
ईसीं तरह हरगिज़ हरगिज़ किसी बद मजहब व बेदीन के साथ कुर्बानी में हिस्सा ना लें । वरना आपकी कुर्बानी भी जाया (बेकार) हो जाएगी ! और गुनाह का बोझ सर पर आएगा वो अलग है ! ख़याल रहे कि क़ुर्बानी का गोश्त वगेरह कुफ्फार व मुश्रिक़ीन को देना मना है !
( फ़तावा रज़विया, फतावा फेजुर्रसूल )
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