प्रमुख रजनीति सिद्धांत | Pramukh Rajneeti Siddhant PDF Hindi

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प्रमुख रजनीति सिद्धांत | Pramukh Rajneeti Siddhant Hindi - Description

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको का प्रमुख रजनीति सिद्धांत / Pramukh Rajneeti Siddhant PDF  लिंक दे रहे हैं सामाजिक गठन की ऐतिहासिक व्याख्या का मार्क्स का सिद्धांत हेगेल की द्वंद्वात्मक पद्धति की आलोचना करता है। मार्क्स ने कैपिटल वॉल्यूम I लिखते हुए, डायलेक्टिक्स और हेगेल के प्रति अपना दृष्टिकोण व्यक्त किया – “हेगेल के लिए मानव मन की जीवन प्रक्रिया, यानी विचार की प्रक्रिया, जिसे उन्होंने ‘विचार’ के नाम से एक स्वतंत्र कर्ता के रूप में बनाया है। वास्तविक दुनिया का निर्माता है और वास्तविक दुनिया ‘विचार’ का एक बाहरी रूप से बोधगम्य रूप है। इसके विपरीत, मेरे विचार के अलावा और कुछ नहीं है कि भौतिक दुनिया मानव मन में परिलक्षित होती है और विचार के रूपों में बदल जाती है। हाथ में हेगेल की डायलेक्टिक्स रहस्य में शामिल है, लेकिन यह सच है कि हेगेल सबसे पहले विस्तृत और सचेत रूप से समझाते थे कि द्वंद्वात्मकता अपने सामान्य रूप में कैसे काम करती है। यदि आप इसके रहस्यमयी घूंघट के भीतर छिपे तर्कसंगत सार की खोज करना चाहते हैं, तो आपको इसे उल्टा करना होगा नीचे उतरो और फिर अपने पैरों पर सीधे खड़े हो जाओ।”

प्रमुख रजनीति सिद्धांत / Pramukh Rajneeti Siddhant PDF

आधार और अधिरचना

मार्क्सवाद के अनुसार सामाजिक संरचना की आर्थिक व्याख्या करने वाला यह प्रमुख सिद्धांत है। यह सिद्धांत उन्नीसवीं शताब्दी के बाद लागू होता है। उससे पहले इस विचारधारा के होने या पाए जाने के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं। आर्थिक रुप से शोषण करने वालों (शोषक)के खिलाफ़ आवाज उठाने में मार्क्सवाद का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
मार्क्स के प्रेरणा स्रोत
हीगल,फ्रांसीसी समाजवाद,सेंट साइमन,ब्रिटिश समाजवादी-एडम स्मिथ।

वर्ग संघर्ष

मार्क्सवाद मानव सभ्यता और समाज को हमेशा से दो वर्गों -शोषक और शोषित- में विभाजित मानता है। माना जाता है साधन संपन्न वर्ग ने हमेशा से उत्पादन के संसाधनों पर अपना अधिकार रखने की कोशिश की तथा बुर्जुआ विचारधारा की आड़ में एक वर्ग को लगातार वंचित बनाकर रखा। शोषित वर्ग को इस षडयंत्र का भान होते ही वर्ग संघर्ष की ज़मीन तैयार हो जाती है। वर्गहीन समाज (साम्यवाद) की स्थापना के लिए वर्ग संघर्ष एक अनिवार्य और निवारणात्मक प्रक्रिया है।
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