प्लेटो का सिद्धांत PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप प्लेटो का सिद्धांत PDF के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। प्लेटो महान दार्शनिक सुकरात के शिष्य थे । प्लेटो को समूचे विश्वभर में एक प्रसिद्ध ग्रीक साहित्य समीक्षक तथा ग्रीक इतिहास के प्रथम विचार के रूप में जाना जाता है। प्लेटो ने अपने जीवन काल में अनेक सिद्धान्त समाज को दिये ।
प्रस्तुत लेख में हम प्लेटो के मुख सिद्धान्त के संबंध में चर्चा करेंगे। यदि आप एक विध्यार्थी हैं अथवा साहित्य में रुचि रखते हैं तो आपको इनके विचार एवं सिद्धान्त के संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए कहीं और जाने कि अवश्यकता नहीं है क्योंकि इस लेख के अंत में दी गयी पीडीएफ़ फ़ाइल में आप विस्तार में इस बारे में पढ़ सकते हैं।
प्लेटो का सिद्धांत PDF
क्रमांक | प्रश्न | विवरण |
---|---|---|
1. | पूरा नाम | प्लेटो |
2. | अन्य नाम | अफ़लातून |
3. | जन्म | 428 ई. पू. |
4. | जन्म भूमि | एथेंस |
5. | मृत्यु | 347 ई. पू. |
6. | मृत्यु स्थान | एथेंस |
7. | अभिभावक | पिता ‘अरिस्टोन’ तथा माता ‘पेरिक्टोन’ |
8. | गुरु | सुकरात |
9. | कर्म भूमि | यूनान |
10. | कर्म-क्षेत्र | पाश्चात्य दर्शन |
11. | मुख्य रचनाएँ | ‘द रिपब्लिक’, ‘द स्टैट्समैन’, ‘द लाग’, ‘इयोन’, ‘सिम्पोजियम’ |
12. | प्रसिद्धि | दार्शनिक |
13. | नागरिकता | ग्रीक |
14. | संबंधित लेख | सुकरात, अरस्तु |
15. | अन्य जानकारी | 404 ई. पू. में प्लेटो सुकरात का शिष्य बना तथा सुकरात के जीवन के अंतिम क्षणों तक उनका शिष्य बना रहा। सुकरात की मृत्यु के बाद प्रजातंत्र के प्रति प्लेटो को घृणा हो गई। उसने मिस्र, इटली, सिसली आदि देशों की यात्रा की तथा अन्त में एथेन्स लौट कर अकादमी की स्थापना की। |
प्लेटो का काव्य सिद्धांत PDF
- सुकरात के शिष्य यवन आचार्य प्लेटो पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान के आदि स्रोत हैं। वे मूलतः एक दार्शनिक एवं स्मृतिकार थे और यूनान के दार्शनिकों में उन्हें मूर्धन्य स्थान प्राप्त है। अनुमान के आधार पर उनका जन्म 427 ई.पू. तथा मृत्यु 347 ई.पू. मानी जाती है। उनके माता और पिता-दोनों का सम्बन्ध एथेन्स के अत्यंत संभ्रान्त और प्रतिष्ठित कुलों से था।
- प्लेटो का वास्तविक नाम अरिस्तोतल्स था। बाद में वे प्लतौन उपनाम से प्रसिद्ध हो गये। लगभग 387 ई.पू. में उन्होंने एक विद्यापीठ की स्थापना की, जहाँ उनके निर्देशन में दर्शन-शा., प्राकृतिक-विज्ञान, न्याय एवं विधि सम्बंधी शिक्षा दी जाती थी। उन्होंने कीड़ो तथा गणतंत्र जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे।
- प्लेटो के मत से काव्य-सत्य का मूल्य है, उसका नैतिक औदात्य और सामाजिक उपादेयता है। प्लेटो ईश्वरवादी थे। आत्मा-परमात्मा तथा परमात्मा और विश्व के सम्बन्ध के विषय में, उनके दर्शन में नैतिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों का मिश्रण है। सत्य का मूल्य निश्चित करते हुए प्लेटो अपने नैतिक सिद्धान्तों का आश्रय लिया।
- प्लेटो के अनुसार इस परिवर्तनशील दृश्यमान जगत् के पीछे अपरिवर्तनशील अदृश्य शक्ति की स्थिति है। प्रत्येक पदार्थ का गोचर रूप उसकी अगोचर सत्ता बिम्ब है, यह अगोचर सत्ता ही सत्य है।
- वही पदार्थ का आदर्श है, इस आगोचर सत्ता इंद्रियानुभूति से असंपृक्त बुद्धि के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। पदार्थ के ये सभी आदर्श रूप ईश्वर की सत्ता पर आधारित हैं। इसी परमसत्ता ज्ञान ही गुण है।
- तात्पर्य यह है कि सभी विशेष सत्ताएं एक परम सत्ता में पर आधारित हैं, वही परम और एकमात्र सत्य है। उसी का ज्ञान शुद्ध है, वही सात्विक सत्य है। प्लेटो का यूरोपीय विचारधारा पर जितना गंभीर और व्यापक प्रभाव पड़ा है उतना कदाचित् ही किसी अन्य विचारक का पड़ा हो। फिर भी उसमें उसने जो लिखा, कहा उसमें मुख्य विचार उसके गुरु सुकरात का है।
- कहा जाता है कि सुकरात ने कुछ नहीं लिखा, प्लेटो ने कुछ नही कहा। पाश्चात्य आलोचना में मौलिक सिद्वांतों का सर्वप्रथम प्रतिपादन प्लेटो और अरस्तू द्वारा ही हुआ।
- यूनान उस समय तक यूरोप की संस्कृति का प्रतिनिधित्व कर रहा था। किन्तु चौथी सदी तक आते-आते यूनानी जीवन के राजनीतिक, सामाजिक तथा साहित्यिक सभी क्षेत्रों में अराजकता फैल गयी थी। उसके सांस्कृतिक वैभव का विघटन जोरों से प्रारंभ हो चुका था।
- सुकरात, प्लेटो, अरस्तू की विचारधाराओं ने क्रमिक रूप से यूनान की संस्कृति के उत्थान में अपना अत्यन्त शक्तिशाली और महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- धर्म और आध्यात्म आदि के क्षेत्रों में भी प्लेटों ने कतिपय मौलिक स्थापना की। सुकरात की मृत्यु के बाद वह दर्शनशा. का अध्यापन करने लगा। उसकी एकेडमी एथेंस के नजदीक ही स्थिति थी। जहाँ उसके जीवन का अधिकांश समय व्यतीत हुआ। सुकरात के साथ-साथ उसके ऊपर यूनानी गणितज्ञ, पैथागोरस का भी प्रभाव था।
You can download प्लेटो का सिद्धांत PDF by clicking on the following download button.