परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा | Parivartani Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा | Parivartani Ekadashi Vrat Katha Hindi PDF Download

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा | Parivartani Ekadashi Vrat Katha in Hindi PDF download link is given at the bottom of this article. You can direct download PDF of परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा | Parivartani Ekadashi Vrat Katha in Hindi for free using the download button.

Tags:

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा | Parivartani Ekadashi Vrat Katha Hindi PDF Summary

प्रिय पाठकों, इस लेख में परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा PDF / Parivartani Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi के सन्दर्भ में जानकारी प्रदान कर रहे हैं। एकादशी व्रत के महत्व को तो हम सभी जानते हैं किन्तु भिन्न – भिन्न एकादशी तिथियों से सम्बन्धित कथाएं भी होती हैं जिनके माध्यम से आप इन विभिन्न एकादशी तिथियों की महिमा के सन्दर्भ में ज्ञात कर हैं। एक वर्ष में २४ एकादशी होती हैं किन्तु जिस वर्ष में अधिक माह होता है उस वर्ष में इनकी सँख्या २६ होती है। यहाँ हम परिवर्तिनी एकादशी के सन्दर्भ में आपको बता रहे हैं।
परिवर्तिनी एकादशी को डोल ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के ज्ञात – अज्ञात पापों का नाश होता है। यदि आप भी परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करना चाहते हैं, तो इस लेख के नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके इसे प्राप्त कर सकते हैं।

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा PDF | Parivartini Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi

एक बार युधिष्ठिर को भगवान श्रीकृष्ण से परिवतर्नी एकादशी व्रत के बारे में जानने की इच्छा हुई। तब श्रीकृष्ण ने उनको परिवतर्नी एकादशी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि त्रेतायुग में दैत्यराज बलि भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। उसके पराक्रम से इंद्र और देवतागण भयभीत थे। इंद्रलोक पर उसका कब्जा था। उसके भय के डर से सभी देव भगवान विष्णु के पास गए।
इंद्र समेत सभी देवताओं ने दैत्यराज बलि के भय से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने अपना वामन अवतार धारण किया। उसके बाद वे दैत्यराज ब​लि के पास गए और उससे तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने वामन देव को तीन पग भूमि देने का वचन दिया।
तब वामन देव ने अपना विकराल स्वरुप धारण किया। उसके बाद एक पग में स्वर्ग और दूसरे पग में धरती नाप दी। फिर उन्होंने बलि से कहा कि वे अपना तीसरा पग कहां रखें। तब उसने कहा कि हे प्रभु! तीसरा पग आप उसके मस्तक पर रख दें। यह कहकर उसने अपना शीश प्रभु के सामने झुका दिया।
इसके बाद प्रभु वामन ने अपना तीसरा पग उसके सिर पर रखा। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे पाताल लोक भेज दिया। इस प्रकार से भगवान विष्णु के वामन अवतार की उद्देश्य पूर्ण हुआ और देवताओं को बलि के भय एवं आतंक से मुक्ति मिली।
श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि जो लोग परिवतर्नी एकादशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनको समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व | Parivartini Ekadashi Significance

परिवर्तिनी एकादशी को पाश्रव एकादशी या पद्मा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक माना गया है। भगवान विष्णु के साथ-साथ इस दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना भी की जाती है। एकादशी का व्रत एक दिन पहले सूर्यास्त से शुरू होकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद तक रखा जाता है। पारण के शुभ मुहूर्त में ही पारण करने पर व्रत का फल मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। इस दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सब कुछ दान में मांग लिया था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी प्रतिमा भगवान विष्णु ने सौंप दी थी। इस वजह से इसे वामन ग्यारस भी कहते हैं। इसके व्रत का महत्व वाजपेज्ञ यज्ञ के समान माना गया है।

परिवर्तिनी एकादशी पूजन सामग्री लिस्ट PDF

परिवर्तिनी एकादशी व्रत हेतु निम्नलिखित समाग्री की आवश्यकता होती है।

  • भगवान विष्णु जी का छायाचित्र अथवा प्रतिमा
  • तुलसी दल
  • पञ्चामृत
  • नारियल
  • चन्दन
  • सुपारी
  • अक्षत
  • भोग
  • पुष्प
  • फल
  • लौंग
  • दीप
  • धूप
  • घी

विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार इस सामग्री में परिवर्तन भी हो सकता है।

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा PDF – पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
  • भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
  • भगवान की आरती करें।
  • भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
  • भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
  • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

आप नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके एकादशी व्रत कथा PDF / Parivartani Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi डाउनलोड कर सकते हैं।

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा | Parivartani Ekadashi Vrat Katha pdf

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा | Parivartani Ekadashi Vrat Katha PDF Download Link

REPORT THISIf the download link of परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा | Parivartani Ekadashi Vrat Katha PDF is not working or you feel any other problem with it, please Leave a Comment / Feedback. If परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा | Parivartani Ekadashi Vrat Katha is a copyright material Report This. We will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

RELATED PDF FILES

Leave a Reply

Your email address will not be published.