पंचलाइट कहानी की PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप पंचलाइट कहानी की PDF के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। पंचलाइट हिन्दी की सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय कहानीयों में से के है। इस कहानी की रचना श्री फणीश्वर नाथ रेणु जी ने की है जो की एक सफल एवं उत्तम लेखक थे। उनका जन्म ४ मार्च १९२१ अररिया, बिहार, भारत में हुआ था।
रेणु जी द्वारा रचित कहानी संग्रह ‘ठुमरी’ में पंचलाइट की कहानी संकलित है। यह कहानी आंचलिक कहानियों कि श्रेणी में एक प्रमुख कहानी मानी जाती है। इस कहानी की रचना 1950 से 1960 के मध्य की समयावधि में हुई थी। इस रोचक कहानी को यह उत्तर प्रदेश व बिहार में हिन्दी साहित्य के विध्यार्थियों को पढ़ाया जाता है।’
फणीश्वर नाथ “रेणु” जी ने अपने जीवन अनेक सफल व लोकप्रिय साहित्यिक रचनाओं का सृजन किया है। पंचलाइट की कहानी बिहार के ग्रामीण परिवेश को दर्शाती हुई आगे बढ़ती है। रेणु जो उनके प्रथम उपन्यास “मैला आंचल” के लिए उन्हे भारत सरकार के द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
पंचलाइट कहानी की PDF 2023
- शीर्षक
कहानी का शीर्षक ‘पंचलाइट’; एक सार्थक और कलात्मक शीर्षक है। यह शीर्षक संक्षिप्त और उत्सुकतापूर्ण है। शीर्षक को पढ़कर ही पाठक कहानी को पढ़ने के लिए उत्सुक हो जाता है। ‘पंचलाइट’ का अर्थ है ‘पेट्रोमेक्स’ अर्थात् ‘गैस की लालटेन’ शीर्षक ही कथा का केन्द्र बिन्दु है।
- कथानक
महतो- टोली के सरपंच पेट्रोमेक्स खरीद लाये हैं, परन्तु इसे जलाने की विधि वहां कोई नहीं जानता। दूसरे टोले वाले इस बात का मजाक बनाते है। महतो टोले का एक व्यक्ति पंचलाइट जलाना जानता है। और वह है- ‘गोधन’ किन्तु वह बिरादरी से बहिष्कृत है। वह ‘मुनरी’ नाम की लड़की का प्रेमी है। उसकी ओर प्रेम की दृष्टि रखने और सिनेमा का गीत गाने के कारण ही पंच उसे बिरादरी से बहिष्कृत कर देते हैं। मुनरी इस बात की चर्चा करती है कि गोधन पंचलाइट जलाना जानता है।
इस समय जाति की प्रतिष्ठा का प्रश्न है, अतः गोधन को पंचायत में बुलाया जाता है। वह पंचलाइट को स्पिरिट के अभाव में गरी के तेल से ही जला देता है। अब न केवल गोधन पर लगे सारे प्रतिबन्ध हट जाते हैं, वरन् उसे मनोनुकूल आचरण की भी छूट मिल जाती है। पंचलाइट की रोशनी में गाँव में उत्सव मनाया जाता है।
प्रस्तुत कहानी में कहानीकार ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि आवश्यकता किसी भी बुराई को अनदेखा कर देती है। कथानक संक्षिप्त, रोचक, सरल, मनोवैज्ञानिक, आंचलिक और यथार्थवादी है। कौतूहल और गतिशीलता के अलावा इसमें मुनरी तथा गोधन का प्रेम-प्रसंग बड़े स्वाभाविक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
- पात्र तथा चरित्र चित्रण
रेणु जी ने इस कहानी में सामान्य ग्रामीण वातावरण के सीधे-सादे लोगों को पात्रों के रूप में चुना है। कहानी के पात्र वर्गगत हैं। कहानीकार ने स्वयं ग्रामीण यथार्थ को भोगा है, इस कारण पात्र और चरित्र-चित्रण स्वाभाविक तथा सजीव है। कहानी के पात्र दो वर्ग के हैं, एक वर्ग में रूढ़िवाद, जातिवाद तथा ईर्ष्या आदि दोष व्याप्त है तो दूसरे वर्ग मे गोधन और मुनरी है।
ये जाति-पांति या राग-द्वेष के चक्कर में नहीं पड़ते। गोधन निडर है, वह गाने गाकर तथा आँख मटकाकर अपने प्रेम को प्रदर्शित कर देता है, परन्तु मुनरी भोली-भाली लज्जाशील ग्रामीण बालिका है। लेखक ने पात्रों का चयन बड़ी चतुराई से किया है। इस कहानी के सभी पात्र सजीव प्रतीत होते हैं। कहानी में ग्रामवासियों की मनोवृत्ति का परिचय बड़े जीवन्त और यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया गया है। ग्रामीण समूह के चरित्र को उभारने में लेखक को विशेष सहायता मिली है।
फणीश्वर नाथ रेणु जी की साहित्यिक कृतियाँ
कर्मांक |
साहित्यिक कृतियाँ |
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उपन्यास |
नाम |
वर्ष |
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1. | मैला आंचल | 1954 | ||
2. | परती परिकथा | 1957 | ||
3. | जूलूस | – | ||
4. | दीर्घतपा | 1964 | ||
5. | कितने चौराहे | 1966 | ||
6. | कलंक मुक्ति | 1972 | ||
7. | पलटू बाबू रोड | 1979 | ||
कथा-संग्रह |
नाम |
वर्ष |
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1. | ठुमरी, | 1959 | ||
2. | एक आदिम रात्रि की महक, | 1967 | ||
3. | अग्निखोर, | 1973 | ||
4. | एक श्रावणी दोपहर की धूप, | 1984 | ||
5. | अच्छे आदमी, | 1986 | ||
रिपोर्ताज |
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1. | ऋणजल-धनजल | |||
2. | नेपाली क्रांतिकथा | |||
3. | वनतुलसी की गंध | |||
4. | श्रुत अश्रुत पूर्वे | |||
प्रसिद्ध कहानियाँ |
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1. | मारे गये गुलफाम (तीसरी कसम) | |||
2. | एक आदिम रात्रि की महक | |||
3. | लाल पान की बेगम | |||
4. | पंचलाइट | |||
5. | तबे एकला चलो रे | |||
6. | ठेस | |||
7. | संवदिया |
तीसरी कसम पर इसी नाम से राजकपूर और वहीदा रहमान की मुख्य भूमिका में प्रसिद्ध फिल्म बनी जिसे बासु भट्टाचार्य ने निर्देशित किया और सुप्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र इसके निर्माता थे। यह फिल्म हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर मानी जाती है। हीरामन और हीराबाई की इस प्रेम कथा ने प्रेम का एक अद्भुत महाकाव्यात्मक पर दुखांत कसक से भरा आख्यान सा रचा जो आज भी पाठकों और दर्शकों को लुभाता है।
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