नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि | Navratri Puja Vidhi Hindi PDF Summary
दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि PDF / Navratri Puja Vidhi PDF in Hindi नवरात्रि के दौरान देवी माँ स्वयं अपने भक्तों को आशीर्वाद देने आती हैं। नवरात्रि का पर्व न केवल भारत में बल्कि पुरे विश्व में धूम – धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि में देवी पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के मंगल कार्य होते हैं। अतः प्रत्येक मनुष्य को नवरात्रि में पूर्ण भक्ति – भाव से देवी दुर्गा की स्थापना कर उनका पूजन व व्रत करना चाहिए। इस पोस्ट में दिए गए लिंक के द्वारा आप नवरात्रि पूजन विधि PDF 2022 / Navratri Puja Vidhi in Hindi PDF डाउनलोड कर सकते हैं।
दुर्गा सप्ताशी के दिन दुर्गा सप्तशती कवच का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है। इसी तरह अष्टमी वाले दिन दुर्गा अष्टमी व्रत कथा को सुनना चाहिए। नवमी नवरात्रि का अंतिम दिन होता है इस दिन महानवमी व्रत कथा सुनकर कन्याओं(कंजकों) का पूजन कर के उनका भोग लगा कर ही व्रत को खोलना चाहिए। भक्तजन अपनी इच्छा अनुसार विधि-विधान से दुर्गा माता का हवन भी कर सकते है। इन सभी प्रयत्नों के माध्यम से आप माँ दुर्गा को प्रशन्न कर पाएंगे और माता आपको हमेशा सुख-संपत्ति से परिपूर्ण रहने का आशीर्वाद देंगी। दुर्गा चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से माता रानी बहुत प्रशन्न होती हैं।भक्त्जाओ को नौ दिन माता के भजन सुनकर और सुनाकर आनंदित रहना चाहिए। माँ दुर्गा के 108 नाम लेकर उनका ध्यान करना चाहिए।
देवी माता के पूजन में पूजा विधि का बहुत अधिक महत्व होता है। पूजा हमेशा विधि – विधान से ही करनी चाहिए। इस लेख के माध्यम से आप नवरात्रि पूजा विधि हिंदी में दी है, जिसके अनुसार आप अपने घर में देवी पूजन कर सकते हैं तथा देवी माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।हमें यहाँ नवरात्रि पूजन सामग्री की लिस्ट भी दी है। आप उस लिस्ट के अनुसार पूजा सामग्री बाजार से ला सकते हैं। इससे आपको पूजन करने में आसानी होगी।
नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि PDF | Navratri Puja Vidhi PDF in Hindi
नवरात्रि के पहले दिन की पूजा कैसे करें?
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- इसके बाद घर के मंदिर की साफ सफाई कर लें। फिर साफ सुथरी चौकी बिछाएं।
- उस पर गंगाजल का छिड़काव कर उसे शुद्ध कर लें।
- चौकी के पास एक बर्तन रखें जिसमें मिट्टी फैलाकर ज्वार बो दें।
- अब चौकी के पास मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करें और दुर्गा जी को तिलक लगाएं।
- नारियल पर भी तिलक लगाएं। फूलों की माला मां दुर्गा को चढ़ाएं।
- फिर कलश स्थापना की तैयारी करें जिसके लिए सबसे पहले स्वास्तिक बना लें।
- कलश में जल, अक्षत, सुपारी, रोली और सिक्के डालें और फिर एक लाल रंग की चुनरी उस पर लपेट दें।
नवरात्रि घटस्थापना पूजा मुहूर्त 2022
चैत्र घट स्थापना मुहूर्त शनिवार 2 अप्रैल 2022 को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक अवधि – 02 घण्टे 21 मिनट्स है। एवं घटस्थापना अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक कुल अवधि 50 मिनट्स है। अर्थात कलश स्थापना के लिए ये मुहूर्त अत्यंत फलदायी होंगे। पहले मुहूर्त में जो भी श्रद्धालु माता का आह्वान नहीं कर पाए, वे दोपहर वाले अभिजित मुहूर्त में कलश-पूजन कर इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
शैलपुत्री माता की पूजा कैसे करें?
- एक चौकी पर देवी की स्थापना करें।
- गंगाजल से स्थान पवित्र कर धूप, दीप प्रज्जवलित करें।
- शुभ मुहूर्त में घटस्थापना और कलश स्थापना करने बाद माता शैलपुत्री के रूप का ध्यान करें।
- फिर शैलपुत्री माता के व्रत का संकल्प लें।
- अब निम्नलिखत मन्त्र का यथाशक्ति पाठ करें।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
शैलपुत्री माता का बीज मंत्र / Maa Shailputri Beej Mantra
ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
नवरात्रि व्रत महत्व / Navratri Vrat Ka Mahatva
धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार बृहस्पति जी ने ब्रह्माजी से सवाल किया कि चैत्र व आश्विन मास के शुक्लपक्ष में नवरात्र का व्रत और उत्सव क्यों किया जाता है? इस व्रत का क्या फल है, इसे किस प्रकार करना उचित है? पहले इस व्रत को किसने किया?
बृहस्पतिजी के इस सवाल के जवाब में ब्रह्माजी ने कहा- हे बृहस्पतेय! प्राणियों के हित की इच्छा से तुमने बहुत अच्छा प्रश्न किया है। दरअसल, जो मनुष्य मनोरथ पूर्ण करने वाली दुर्गा, महादेव, सूर्य और नारायण का ध्यान करते हैं, वे मनुष्य धन्य हैं। यह नवरात्र व्रत संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। इसके करने से पुत्र की कामना वाले को पुत्र, धन की लालसा वाले को धन, विद्या की चाहना वाले को विद्या और सुख की इच्छा वाले को सुख मिलता है।
इस व्रत को करने से रोगी मनुष्य का रोग दूर हो जाता है। मनुष्य की संपूर्ण विपत्तियां दूर हो जाती हैं और घर में समृद्धि की वृद्धि होती है, बन्ध्या को पुत्र प्राप्त होता है। समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है और मन का मनोरथ सिद्ध हो जाता है।
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नवरात्रि पूजन विधि PDF
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