नवरात्रि कथा | Navratri Path Book PDF in Hindi

नवरात्रि कथा | Navratri Path Book Hindi PDF Download

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नवरात्रि कथा | Navratri Path Book Hindi PDF Summary

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप नवरात्रि पाठ कथा PDF / Navratri Path Book PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्रि का पर्व देवी माता के नौ रूपों को समर्पित एक अत्यधिक महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय त्यौहार है। नवरात्रि के नौ दिन देवी माता की भक्ति एवं साधना हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। यदि आप भी देवी माता की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के नौ दिनों की अवधि में देवी माता की पूर्ण भक्तिभाव से पूजा – अर्चना अवश्य करें।

नवरात्रि के पावन अवसर पर देवी माता के प्रत्येक भक्त के घर में माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है साथ ही साथ कलश स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना को कहीं कहीं घटस्थापना के नाम से भी जाना जाता है। इस उत्सव के में माता रानी के विभिन्न रूपों की महिमा का गान करते हुए उनकी पूजा – अराधना की जाती है। यदि आप माता के कोई विशेष मंत्र अथवा पूजा विधि नहीं जानते हैं तो मात्र दुर्गा चालीसा का भक्तिभाव से पाठ कर सकते हैं।

नवरात्रि में प्रत्येक दिन पर माता दुर्गा के भिन्न-भिन्न रूपों की कृपा प्राप्त की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिवस के अवसर पर माता शैलपुत्री देवी का पूजन किया जाता है। माता का विधिवत पूजन करने के उपरांत शैलपुत्री माता की आरती की जाती है। आप इस दौरान अपनी श्रद्धानुसार माता के विभिन्न मंत्रों का ध्यान करते हुए उनका जाप कर सकते हैं। नीचे दिये गए लेख के माध्यम से आप नवरात्रि की सरल पूजन विधि, कथा, आरती, चालीसा आदि के संदर्भ में विस्तार से जान सकते हैं।

नवरात्रि पाठ कथा PDF / Navratri Path Book PDF in Hindi

लंका-युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और बताए अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल की व्यवस्था की गई। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया।

यह बात इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम से श्रीराम के पास पहुँचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ यथासभंव पूर्ण होने दिया जाए। इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता-सा नजर आने लगा। भय इस बात का था कि देवी माँ रुष्ट न हो जाएँ।

दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी, तब भगवान राम को सहज ही स्मरण हुआ कि मुझे लोग ‘कमलनयन नवकंच लोचन’ कहते हैं, तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही तूणीर से एक बाण निकालकर अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए, तब देवी ने प्रकट ह हुई , हाथ पकड़कर कहा- राम मैं प्रसन्न हूँ और विजयश्री का आशीर्वाद दिया। वहीं रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धर कर हनुमानजी सेवा में जुट गए। निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर माँगने को कहा।

इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- प्रभु, आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए। ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया। मंत्र में जयादेवी… भूर्तिहरिणी में ‘ह’ के स्थान पर ‘क’ उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है।

भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और ‘करिणी’ का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करवा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में ‘ह’ की जगह ‘क’ करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी।

नवरात्रि की नौ देवियों के नाम / Navratri Ke Nau Din Ke Naam PDF

नवरात्रि, एक संस्कृत का शब्द, जिसका अर्थ होता है “नौ रातें”। नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है और इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा पूरे भारत में महान उत्साह के साथ की जाती है।

कर्मांक दिन तिथि देवी माता का नाम भावार्थ
1. पहला दिन: प्रतिपदा शैलपुत्री – पहाड़ों की पुत्री।
2. दूसरा दिन: द्वितीया ब्रह्मचारिणी – ब्रह्मचारीणी।
3. तीसरा दिन: तृतीया चंद्रघंटा – चंद्रमा की तरह चमकने वाली।
4. चौथा दिन: चतुर्थी कूष्माण्डा – पूरा जगत उनके पैर में है।
5. पांचवा दिन: पंचमी स्कंदमाता – कार्तिक स्वामी की माता।
6. छठा दिन: षष्टी कात्यायनी – कात्यायन आश्रम में जन्मि।
7. सातवाँ दिन: सप्तमी  कालरात्रि – काल का नाश करने वाली।
8. आठवाँ दिन: अष्टमी महागौरी – श्वेत रंग वाली मां।
9. नौवाँ दिन: नवमी सिद्धिदात्री – सर्व सिद्धि देने वाली।

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