दुर्गा जी की हवन विधि | Navratri Havan Vidhi Hindi PDF Summary
नवरात्रि में देवी दुर्गा के हवन का विशेष महत्व है। देवी दुर्गा हवन आप अपने घर पर भी सरलता से कर सकते हैं। दुर्गा माँ को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि का समय सबसे अच्छा होता है। नवरात्रि के समय देवी दुर्गा अपने भक्तों के घर में नौ दिनों तक वास करती हैं। बहुत से साधक नवरात्रि के समय अलग – अलग तरह की साधनायें करते हैं।
यदि आप भी नवरात्रि के समय अपने घर पर हवन करना चाहते हैं, तो यहाँ दी हुई नवरात्रि हवन विधि pdf के माध्यम से दुर्गा हवन मंत्र का उच्चारण करते हुए घर पर ही देवी दुर्गा की प्रसन्नता हेतु दुर्गा नवरात्रि हवन कर सकते हैं। यहां दी हुई विधि बहुत सरल व उपयोगी है, इसलिए इसे कोई भी आसानी से कर सकता है।
दुर्गा सप्ताशी के दिन दुर्गा सप्तशती कवच का नियमित रूप से पाठ करना बहुत लाभदायी होता है। इसी तरह अष्टमी वाले दिन दुर्गा अष्टमी व्रत कथा को सुनना चाहिए। नवमी नवरात्रि का अंतिम दिन होता है इस दिन महानवमी व्रत कथा सुनकर कन्याओं(कंजकों) का पूजन कर के उनका भोग लगा कर ही व्रत को खोलना चाहिए। माँ दुर्गा को प्रशन्न करने के लिए भक्तजन विधि-विधान से दुर्गा माता का हवन भी कर सकते है। दुर्गा चालीसा का पाठ श्रद्धापूर्वक करने से करने से माता रानी बहुत प्रशन्न होती हैं।भक्त्जाओ को नौ दिन माता के भजन सुनकर और सुनाकर आनंदित रहना चाहिए। माँ दुर्गा के 108 नाम लेकर उनका ध्यान करना चाहिए और हमेशा उनका मनन करते रहना चाहिए।
नवरात्रि हवन मंत्र / Navratri Havan Mantra in Hindi PDF
ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा
ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा। ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा। ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
हवन सामग्री की लिस्ट PDF / Havan Samagri List in Hindi PDF
आम की लकडियां, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे तथा घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा। गाय के गोबर से बने उपले घी में डुबाकर डाले जाते हैं।
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