नमाज की किताब हिंदी में PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप नमाज की किताब हिंदी में PDF प्राप्त कर सकते हैं । नमाज मुस्लिमों के लिए बहुत आवश्यक होती है । सही से नमाज करने के लिए नमाज करने का तरीका जानना बहुत आवश्यक है । यदि आप सही तरीके से नमाज नही पढ़ते हैं तो आपको इसका कोई भी लाभ प्राप्त नही होगा ।
इस लेख में दी गयी पीडीएफ़ फ़ाइल के द्वारा आप जान पाएंगे की सही तरीके से नमाज कैसे पढ़ी जाती है । नमाज के तरीके साथ – साथ इस लेख में हमने वज़ू का तरीका भी दिया है जो आपकी सही नमाज करने में सहायता करेगा । यदि आप भी एक मुस्लिम हैं तथा नमाज की किताब पढ़ना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए ही है ।
नमाज की किताब हिंदी में PDF / Namaz Ki Kitab Hindi Me PDF
1. नमाज़ की शर्ते
नमाज़ की कुछ शर्ते हैं। जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती। कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है। तो कुछ शर्तो का नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है, नमाज़ की कुल शर्ते कुछ इस तरह से है।
- बदन का पाक होना
- कपड़ो का पाक होना
- नमाज़ पढने की जगह का पाक होना
- बदन के सतर का छुपा हुआ होना
- नमाज़ का वक्त होना
- किबले की तरफ मुह होना
- नमाज़ की नियत यानि इरादा करना
ख़याल रहे की पाक होना और साफ होना दोनों अलग अलग चीज़े है। पाक होना शर्त है, साफ होना शर्त नहीं है। जैसे बदन, कपडा या जमीन नापाक चीजों से भरी हुवी ना हो. धुल मिट्टी की वजह से कहा जा सकता है की साफ़ नहीं है, लेकिन पाक तो बहरहाल है।
१. बदन का पाक होना
– नमाज़ पढने के लिए बदन पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। बदन पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. बदन पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो वजू या गुस्ल कर के नमाज़ पढनी चाहिए।
२. कपड़ो का पाक होना
– नमाज़ पढने के लिए बदन पर पहना हुआ कपडा पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। कपडे पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. कपडे पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो कपडा धो लेना चाहिए या दूसरा कपडा पहन कर नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।
३. नमाज़ पढने की जगह का पाक होना
– नमाज़ पढने के लिए जिस जगह पर नमाज पढ़ी जा रही हो वो जगह पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। जगह पर अगर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो जगहधो लेनी चाहिए या दूसरी जगह नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।
४. बदन के सतर का छुपा हुआ होना
– नाफ़ के निचे से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर कहा जाता है। नमाज़ में मर्द का यह हिस्सा अगर दिख जाये तो नमाज़ सही नहीं मानी जा सकती.
५. नमाज़ का वक्त होना
– कोई भी नमाज़ पढने के लिए नमाज़ का वक़्त होना ज़रूरी है. वक्त से पहले कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती और वक़्त के बाद पढ़ी गयी नमाज़ कज़ा नमाज़ मानी जाएगी।
६. किबले की तरफ मुह होना
– नमाज़ क़िबला रुख होकर पढ़नी चाहिए। मस्जिद में तो इस बारे में फिकर करने की कोई बात नहीं होती, लेकिन अगर कहीं अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो क़िबले की तरफ मुह करना याद रखे।
७. नमाज़ की नियत यानि इरादा करना
– नमाज पढ़ते वक़्त नमाज़ पढ़ें का इरादा करना चाहिए।
2. वजू का तरीका
नमाज़ के लिए वजू शर्त है। वजू के बिना आप नमाज़ नहीं पढ़ सकते। अगर पढेंगे तो वो सही नहीं मानी जाएगी। वजू का तरीका यह है की आप नमाज़ की लिए वजू का इरादा करे। और वजू शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह कहें. और इस तरह से वजू करे।
- कलाहियों तक हाथ धोंये
- कुल्ली करे
- नाक में पानी चढ़ाये
- चेहरा धोंये
- दाढ़ी में खिलाल करें
- दोनों हाथ कुहनियों तक धोंये
- एक बार सर का और कानों का मसाह करें
(मसह का तरीका यह है की आप अपने हाथों को गिला कर के एक बार सर और दोनों कानों पर फेर लें। कानों को अंदर बाहर से अच्छी तरह साफ़ करे।) - दोनों पांव टखनों तक धोंये।
यह वजू का तरीका है। इस तरीके से वजू करते वक्त हर हिस्सा कम से कम एक बार या ज़्यादा से ज़्यादा तीन बार धोया जा सकता है। लेकिन मसाह सिर्फ एक ही बार करना है। इस से ज़्यादा बार किसी अज़ाको धोने की इजाज़त नहीं है, क्योंकि वह पानी की बर्बादी मानी जाएगी और पानी की बर्बादी करने से अल्लाह के रसूल ने मना किया है।
3. गुस्ल का तरीका
अगर आपने अपने बीवी से सोहबत की है, या फिर रात में आपको अहेतलाम हुआ है, या आपने लम्बे अरसे से नहाया नहीं है तो आप को गुस्ल करना ज़रूरी है। ऐसी हालत में गुस्ल के बिना वजू नहीं किया सकता, गुस्ल का तरीका कुछ इस तरह है।
- दोनों हाथ कलाहियो तक धो लीजिये
- शर्मगाह पर पानी डाल कर धो लीजिये
- ठीक उसी तरह सारी चीज़ें कीजिये जैसे वजू में करते हैं
- कुल्ली कीजिये
- नाक में पानी डालिए
- और पुरे बदन पर सीधे और उलटे जानिब पानी डालिए
- सर धो लीजिये
- हाथ पांव धो लीजिये।
यह गुस्ल का तरीका है। याद रहे ठीक वजू की तरह गुस्ल में भी बदन के किसी भी हिस्से को ज़्यादा से ज़्यादा ३ ही बार धोया जा सकता है। क्योंकि पानी का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल इस्लाम में गैर पसंदीदा अमल माना गया है।
4. नियत का तरीका
नमाज़ की नियत का तरीका यह है की बस दिल में नमाज़ पढने का इरादा करे। आपका इरादा ही नमाज़ की नियत है। इस इरादे को खास किसी अल्फाज़ से बयान करना, जबान से पढना ज़रूरी नहीं। नियत के बारे में तफ्सीली जानकारी के लिए नीचे लिंक पे क्लिक करे।
You can download नमाज की किताब हिंदी में PDF by clicking on the following download button.