मोक्षदा एकादशी पूजा विधि | Mokshada Ekadashi Puja Vidhi Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप मोक्षदा एकादशी पूजा विधि / Mokshada Ekadashi Puja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं।एकादशी का व्रत पूर्ण विधि – विधान से करने पर भगवान् विष्णु जी प्रसन्न होते हैं। एकादशी व्रत को हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। एक वर्ष में २४ एकादशी तिथियां होती हैं।
जिस वर्ष में अधिक माह होता है उस वर्ष में २६ एकादशी होती हैं। प्रत्येक माह में २ एकादशी तिथियां होती हैं एक शुक्ल पक्ष में तथा दूसरी कृष्ण पक्ष में आती है। यदि आप अपने जीवन में भगवान विष्णु जी की अनुकम्पा व कृपा प्राप्त कर सकते हैं। भगवान विष्णु जी की कृपा से व्यक्ति के घर में धन – धान्य की आपूर्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि / Mokshada Ekadashi Puja Vidhi PDF
- सर्वप्रथम प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
- स्नानादि से निवृत्त होकर घर के मंदिर की सफाई करें।
- इसके उपरांत पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें छिड़कें।
- इसके उपरांत मंदिर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र अर्पित करें।
- वस्त्रआदि अर्पण करने के बाद भगवान को रोली और अक्षत का तिलक लगाएं।
- भोगसवरूप भगवान को फल और मेवे अर्पित करें।
- पूजा आरंभ करते समय सबसे पहले भगवान गणपति और फिर माता लक्ष्मी के साथ श्रीहरि की आरती करें।
- भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें।
भगवान विष्णु जी की आरती / Bhagwan Vishnu Ji Ki Aarti
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
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