मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 2022 | Masik Krishna Janmashtami Puja Vidhi Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 2022 / Masik Krishna Janmashtami Puja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। भगवान कृष्ण को हिन्दू धर्म में बहुत लोकप्रियता से पूजा जाता है। कृष्ण भगवान को भगवान श्री हरी विष्णु जी का अवतार माना जाता है। कृष्ण जी ने द्वापुर युग में अपनी लीलाओं से अपने भक्तों का उद्धार किया था।
भगवान कृष्ण के भक्त प्रत्येक माह में आने वाली मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत पूर्ण भक्ति – भाव से करते हैं तथा भगवान कृष्ण जी को प्रसन्न करने के लिए भिन्न – भिन्न प्रकार की धूप, दीप, व नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं । यदि आप यह जाना चाहते हैं कि कैसे मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत किया जाता है तो आप इस लेख दी गयी पीडीएफ़ को डाउनलोड करें।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि / Masik Krishna Janmashtami Vrat Puja Vidhi PDF
- मार्गशीर्ष मास की अष्टमी तिथि श्रद्धा पूर्वक व्रत का नियम ग्रहण करना चहिये |
- प्रातकाल स्नानादि से निर्वत होकर गंध , पुष्प , धुप , दीप , नेवेध्य , ताम्बुल [ पान ] आदि सामग्री से शिवलिंग का पूजन करना चाहिए
- पूजन के पश्चात काले तिल से हवन करना चाहिए |
- गोमूत्र पीकर भूमि पर सोना चाहिए |
- ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथा शक्ति दान दक्षिणा देना चाहिए |
- इस मासिक कृष्णाष्टमी का बारह महीने श्रद्धापूर्वक व्रत करने से सभी मनोकामनाये पूर्ण हो जाती हैं |
मासिक कृष्णाष्टमी व्रत की विशेषताएँ / Significance of Masik Krishnashtami
- मार्गशीर्ष मास में तीर्थ स्थान या नदी , तालाब में स्नान कर शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन कर गोमूत्र का पान कर भूमि पर शयन करना चाहिए |
- पौष मास की कृष्णाष्टमी को शम्भु नाम से महेश्वर का पूजन कर घी का पान [ पीना ] करना चाहिए |
- माघ मास की कृष्णाष्टमी को महेश्वर नाम से भगवान शंकर का पूजन कर गाय के दूध का पान करना चाहिए |
- फाल्गुन मास की कृष्णाष्टमी को महादेव नाम से भगवान शिव का पूजन कर तिल खाना चाहिए |
- चेत्र मास की कृष्णाष्टमी को स्थाणु नाम से पूजन करना चाहिए तथा शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए |
- बैशाख मास की कृष्णाष्टमी को शिव नाम से शिवजी का पूजन कर कुशोदक पान करना चाहिए |
- ज्येष्ठ मास की कृष्णाष्टमी को पशुपति नाम से शिवजी का पूजन कर गोमूत्र का पान करना चाहिए |
- आषाढ़ मास की कृष्णाष्टमी को उग्र नाम से भगवान शंकर का पूजन कर गोमय – प्राशन [ गाय के दूध से बने ] करना चाहिए |
- श्रावण मास की कृष्णाष्टमी को शर्व नाम से भगवान शंकर का पूजन कर अर्क प्राशन करना चाहिए |
- भाद्रपद मास की कृष्णाष्टमी को त्र्यम्बक नाम से भगवान शिव का पूजन कर बिल पत्र का सेवन करना चाहिए |
- आश्विन मास की कृष्णाष्टमी को भव नाम से भगवान शंकर पूजन कर चावल खाना चाहिए |
- कार्तिक मास की कृष्णाष्टमी को रूद्र नाम से भगवान शंकर का पूजन कर रात्रि में दही का पान करना चाहिए |
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