मारुती स्तोत्र | Maruti Stotra Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप मारुती स्तोत्र PDF / Maruti Stotra PDF हनुमान जी के विभिन्न दिव्य नामों में से एक नाम मारुती भी हैं। उन्हें मारुती नंदन के रूप में भी जाना जाता है। मारुतिनंदन की कृपा प्राप्त करने हेतु मारुती स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। मंगलवार तथा शनिवार के दिन मारुती स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ होता है। हनुमान जी को भारत समेत देश और दुनिया में बढ़चढ़ कर पूजा जाता है।
मारुती स्तोत्र के द्वारा आप बजरंबली को आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं। इस स्तोत्र की रचना मूल रूप से संस्कृत भाषा में की गयी है। अतः इसका पाठ करते समय इसका सही से बिना गलती किये उच्चारण करें, तब ही इसका पूर्ण लाभ आपको प्राप्त होगा। इस स्तोत्र का पाठ करते समय शुद्ध रहें तथा एकाग्रचित होकर ध्यान लगाएं।
इस मधुर व दिव्य आरती के गायन से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं तथा हनुमत वंदना का सम्पूर्ण लाभ मिलता है। आरती करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे आरती करते समय हनुमान जी के एकदम सामने खड़े न होएं बल्कि उनकी दायीं ओर खड़े होकर आरती करें। हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद हनुमान चालीसा आरती भी अवश्य करनी चाहिए। उत्तर भारत की तो अधिकांश उत्तर भरतीय क्षेत्रों में हनुमान जयंती का पर्व चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्री हनुमान तांडव स्तोत्र का पाठ करते समय पूर्ण पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए तभी हमें बजरंगबली की विशेष कृपा मिलती है। जो भी व्यक्ति श्री हनुमान रक्षा स्तोत्र का पाठ करता है उस पर श्री हनुमान जी की कृपा के साथ-साथ भगवान् श्री राम जी की कृपा भी बनी रहती है।भक्तजन हनुमान जी के 108 नाम पढ़ कर उन्हें आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं तथा उनकी दया-दृष्टि पाकर अपने जीवन को उत्तम बन सकते हैं। हनुमान साठिका तुलसीदास जी की ही एक अत्यधिक महत्वपूर्ण रचना है। इसका पाठ करने से हनुमान जी बहुत ही जल्दी कृपा करते हैं।
मारुती स्तोत्र संपूर्ण PDF / Maruti Stotra Lyrics in Sanskrit PDF
।। श्रीमारुतीस्तोत्रम् ।।
ॐ नमो वायुपुत्राय भीमरूपाय धीमते ।
नमस्ते रामदूताय कामरूपाय श्रीमते ॥ १॥
मोहशोकविनाशाय सीताशोकविनाशिने ।
भग्नाशोकवनायास्तु दग्धलङ्काय वाग्मिने ॥ २॥
गतिर्निर्जितवाताय लक्ष्मणप्राणदाय च ।
वनौकसां वरिष्ठाय वशिने वनवासिने ॥ ३॥
तत्त्वज्ञानसुधासिन्धुनिमग्नाय महीयसे ।
आञ्जनेयाय शूराय सुग्रीवसचिवाय ते ॥ ४॥
जन्ममृत्यूभयघ्नाय सर्वक्लेशहराय च ।
नेदिष्ठाय प्रेतभूतपिशाचभयहारिणे ॥ ५॥
यातनानाशनायास्तु नमो मर्कटरूपिणे ।
यक्षराक्षसशार्दूलसर्पवृश्चिकभीहृते ॥ ६॥
महाबलाय वीराय चिरञ्जीविन उद्धृते ।
हारिणे वज्रदेहाय चोल्लङ्घितमहाब्धये ॥ ७॥
बलिनामग्रगण्याय नमो नः पाहि मारुते ।
लाभदोऽसि त्वमेवाशु हनुमन् राक्षसान्तक ॥ ८॥
यशो जयं च मे देहि शत्रून्नाशय नाशय ।
स्वाश्रितानामभयदं य एवं स्तौति मारुतिम् ।
हानिः कुतो भवेत्तस्य सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ ९॥
इति श्रीवासुदेवानन्दसरस्वतीविरचितं श्रीमारुतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
मारुती स्तोत्र का पाठ करने की विधि / Maruti Stotra Path Vidhi
- सबसे पहले नहाधोकर स्वच्छ हो जाएँ।
- अब पूर्व दिशा की और मुख करके बैठ जाएँ।
- अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- उस पर हनुमान जी की स्थापना करें।
- श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- ततपश्चात श्री हनुमान स्तोत्र का पाठ करें।
- अंत में हनुमान आरती करें तथा आशीष ग्रहण करें।
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