मंगलवार व्रत कथा | Mangalvar Vrat Katha in Hindi PDF

मंगलवार व्रत कथा | Mangalvar Vrat Katha in Hindi PDF Download

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मंगलवार व्रत कथा | Mangalvar Vrat Katha in Hindi - Description

नमस्कार मित्रों, इस लेख के द्वारा आप मंगलवार व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। मंगलवार के दिन का आधिपत्य मंगलदेव तो करते ही हैं, साथ ही श्री हनुमान जी भी इस दिन को नियंत्रित व प्रभावित करते हैं। जिन लोगों की कुंडली में मंगल की महादशा अथवा अंतर्दशा चल रही हो, उन्हें श्री मंगलवार व्रत अवश्य करना चाहिए।
जो लोग मांगलिक हैं अथवा उनकी कुंडली में मंगलदोष है, वह यदि श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करते हैं, तो उनके जीवन में मंगलदोष के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं में बहुत अधिक लाभ होगा। यदि आप भी जीवन में विभिन्न प्रकार के मंगलदोषों के कारण गंभीर परिणाम भुगत रहे हैं तो इस व्रत का पालन अवश्य करें तथा मंगलवार व्रत कथा को व्रत के दौरान अवश्य पढ़ें।
 

मंगलवार व्रत कथा हिंदी में / Mangalvar Vrat Hatha in Hindi

प्राचीन काल की बात है एक नगरी में एक ब्राह्मण पति-पत्नी रहते थे उनके पास कोई भी संतान न होन की वजह से वह बहुत दुखी रहते थे। हर बार की तरह इस बार भी ब्राह्मण वन में पूजा के करने के लिए गया और वह ब्राह्मण वन में बैठकर पूजा करने लगा तथा पूजा होने के बाद वह हनुमान जी से पुत्र प्राप्ति के लिए प्राथना करने लगा और दसर ओर उस ब्राह्मण की पत्नी भी अपने घर पर पुत्र की प्राप्त करने के लिये हर मंगलवार का व्रत रखती थी और हर मंगलवार को व्रत के अंत में बजरंगबली का भोग लगाकर भोजन ग्रहण करती थी। व्रत के एक दिन वह ब्राह्मणी किसी कारण ना तो भोजन तैयार कर सकी और ना ही वह हनुमान जी को भोग लगा सकी। तभी उस दिन उस ब्राह्मणी ने प्रण लिया कि वह आने वाले अगले मंगलवार को हनुमान जी का भोग लगाकर ही अन्न ग्रहण करेगी। भूखे प्यासे छः दिन के विताने के बाद ही वह मंगलवार के दिन वह ब्राह्मणी बेहोश हो गयी। और तब उसकी इस निष्ठा, त्याग एवं सच्ची लगन व् भक्ति को देखकर हनुमान जी प्रसन्न हो गये। और उस ब्रह्माणी को दर्शन दिया और कहा कि वह उस ब्रह्माणी से बहुत प्रसन्न है और उसे पुत्र प्राप्ति का वर देते है। तथा वर स्वरूप उस ब्रह्माणी को हनुमान जी पुत्र देकर अंतर्धान हो जाते है। ब्राह्मणी पुत्र प्राप्ति से अति प्रसन्न हो जाती है और उस पुत्र का का नाम मंगल रख देती है। कुछ समय के बाद जब ब्राह्मण अपने घर वापस आया, तो वह उस बालक को देखकर पूछाता है कि यह बालक कौन है। जब उसकी पत्नी उस ब्राह्मण को पूरी कथा बताती है। वह ब्राह्मणी की बातों को छल पूर्ण जानकर उस ब्राह्मण ने अपनी पत्नी पर विश्वास नहीं किया। एक दिन ब्राह्मण को जब मौका मिला तो ब्राह्मण ने उस बालक को कुएं में गिरा दिया और घर लौटने के बाद जब ब्राह्मणी ने ब्राह्मण से पूछा कि पुत्र मंगल कहां है? उसी समय पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ जाता है और ब्राह्मण उसे वापस देखकर चौंक जाता है। उसी रात हनुमान जी ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन देकर कहा कि वह पुत्र उन्होंने ही ब्राह्मणी को दिया है तथा सच जानकर ब्राह्मण अति प्रसन्न हिओ जाता है और वह ब्राह्मण पति-पत्नी नियमित रूप से हर मंगलवार को व्रत रखने लगते है। अतः इस प्रकार मंगलवार को व्रत रखने वाले हर मनुष्य पर हनुमान जी की असीम कृपा बानी रहती है।
 

मंगलवार व्रत की आरती / Mangalwar Vrat Aarti Lyrics

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरवर काँपे। रोग दोष जाके निकट न झाँके॥

अंजनीपुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीड़ा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥

लंक सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सँवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। लाय संजीवन प्राण उबारे॥

पैठि पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥

बाएँ भुजा असुर संहारे। दाहिने भुजा संत जन तारे॥

सुर नर मुनि आरती उतारें। जै जै जै हनुमान उचारें॥

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरति करत अंजना माई॥

जो हनुमानजी की आरती गावै। बसि बैकुंठ परमपद पावै

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