मंगल भौम प्रदोष व्रत कथा | Mangal Pradosh Vrat Katha 2022 Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप मंगल भौम प्रदोष व्रत कथा / Mangal Pradosh Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ पर आपको मंगल भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्त्व आदि चीज़े पढ़ने को मिलेगी। प्रत्येक माह की दोनों शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के संध्याकाल को “प्रदोष” के रूप में जाना जाता है। इस अवसर पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है।
जब प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन आता है तो इसे ‘भौम प्रदोष’ अथवा ‘मंगल प्रदोष’ कहा जाता है। इस अवसर पर पूर्ण विधि-विधान से भौम प्रदोष व्रत को करने से आप विभिन्न रोगों से मुक्त हो सकते हैं तथा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हम आशा करते हैं इस लेख में दी गयी मंगल भौम प्रदोष व्रत कथा PDF आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
मंगल प्रदोष व्रत कथा / Mangal Pradosh Vrat Katha in Hindi PDF
एक समय की बात है। एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमानजी की आराधना करती थी। एक बार हनुमानजी ने अपनी भक्तिनी उस वृद्ध महिला की श्रद्धा का परीक्षण करने का विचार किया। हनुमानजी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त! जो हमारी इच्छा पूर्ण करे? आवाज उस वृद्धा के कान में पड़ी, पुकार सुन वृद्धा जल्दी से बाहर आई और साधु को प्रणाम कर बोली- आज्ञा महाराज!हनुमान वेशधारी साधु बोले- मैं भूखा हूँ, भोजन करूंगा, तुम थोड़ी जमीन लीप दो।
वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज! लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी। साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के पश्चात् कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु को सौंप दिया। वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई।
आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- उनका भोजन बन गया है। तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले। इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न दें।लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। वह अपनी माँ के पास आ गया। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी। तब हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया।बजरंगबली की जय !
हर हर महादेव !
मंगल भौम प्रदोष व्रत कथा (2) PDF / Bhaum Pradosh Vrat Katha Hindi PDF 2022
स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती और संध्या को लौटती थी। एक दिन जब वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे नदी किनारे एक सुन्दर बालक दिखाई दिया जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था।
उसकी माता की मृत्यु भी अकाल हुई थी। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन-पोषण किया। कुछ समय पश्चात ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देवयोग से देव मंदिर गई। वहां उनकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वह विदर्भदेश के राजा का पुत्र है जो युद्ध में मारे गए थे और उनकी माता को ग्राह ने अपना भोजन बना लिया था। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी।
ऋषि आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया। एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे तभी उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त “अंशुमती” नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे। गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए, कन्या ने विवाह हेतु राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह पुन: गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता ने बताया कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है।
भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराया। इसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुनः आधिपत्य प्राप्त किया। यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। स्कंदपुराण के अनुसार जो भक्त प्रदोषव्रत के दिन शिवपूजा के बाद एक्राग होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती।
मंगल प्रदोष व्रत पूजा विधि / Mangal Pradosh Vrat Pooja Vidhi
- इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान शिव का अभिषेक करें।
- उन्हें उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाएं।
- व्रत रखने वाले लोग इस दिन फलाहार ग्रहण करते हैं।
- प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल यानी की गोधूली बेला में करना उचित माना गया है।
- प्रदोष की पूजा करते समय साधक को भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का पाठ करना चाहिए।
- इसके बाद शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।
- इस दिन शिव चालीसा पढ़ना भी उत्तम माना गया है।
- विधि विधान पूजा के बाद शिव आरती करें और प्रसाद सभी में बांटकर खुद भी ग्रहण कर लें।
भौम (मंगल) प्रदोष व्रत का महत्व / Mangal Pradosh Vrat Benefits
- मंगलवार के दिन हनुमान जी की उपासना की जाती है।
- जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो उसे भौम प्रदोष का व्रत जरूर रखना चाहिए।
- मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान हनुमान को घी की नौ बाती वाला दीपक जलाने से हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है. ये व्रत रखने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से सारे कष्ट मिट जाते हैं और शिव-हनुमान की विशेष कृपा होती है।
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