मकर संक्रांति व्रत कथा पूजा विधि | Makar Sankranti Vrat Katha & Puja Vidhi Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप मकर संक्रांति व्रत कथा पूजा विधि PDF / Makar Sankranti Vrat Katha & Puja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। भारत त्योहारों एवं उत्सवों की भूमि है। हिन्दू धर्म में ऐसे अनेक पर्व व त्योहार आते हैं जिनके पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक एवं प्राकृतिक कारण अवश्य होता है।
मकर संक्रांति भी भारत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है जिसका अपने आप में एक विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। सूर्यदेव को समस्त ग्र्हमंडल में ग्रहों का राजा माना जाता है। वह अपनी ऊर्जा के द्वारा इस संसार के विभिन्न प्राणियों को पोषण प्रदान करते हैं।
पोषण के साथ – साथ वह ईधन, ऊर्जा एवं सकारात्मकता का संचार भी करते हैं। अतः यह त्योहार सूर्यदेव को आभार व्यक्त करने का भी माध्यम है। मकर सक्रांति के दिन दान – पुण्य आदि कार्यों के लिए भी सर्वोत्तम माना जाता है। यदि आप सूर्यदेव की विशेष कृपा अर्जित करना चाहते हैं मकर संक्रांति के दिन उनका पूजन अवश्य करें।
मकर संक्रांति 2023 कथा PDF / Makar Sankranti Ki Katha in Hindi PDF 2023
श्रीमद्भागवत और देवी पुराण के मुताबिक, शनि महाराज का अपने पिता से वैर भाव था क्योंकि उन्होंने सूर्य देव को शनिदेव की माता छाया और सूर्यदेव की दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज में भेद-भाव करते देख लिया था, इस बात से नाराज होकर सूर्य देव ने पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था। इससे शनि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था।
पिता सूर्यदेव को कुष्ट रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए। यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवाने के लिए तपस्या की, लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया। इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था। यमराज ने अपनी सौतली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया। तब जाकर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे।
कुंभ राशि में सब कुछ जला हुआ था। उस समय शनि देव के पास तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से सूर्य देव की पूजा की। शनि की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि मेरे आने पर धन धान्य से भर जाएगा। तिल के कारण ही शनि को उनका वैभव फिर से प्राप्त हुआ था, इसलिए शनि देव को तिल प्रिय है। इसी समय से मकर संक्राति पर तिल से सूर्य एवं शनि की पूजा का नियम शुरू हुआ।
मकर संक्रांति पूजा विधि 2023 PDF / Makar Sankranti Puja Vidhi in Hindi PDF
- मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव की पूजन का विशेष महत्व होता है।
- मकर संक्रांति के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान के जल में तिल मिलाकर स्नान करें।
- तत्पश्चात लाल वस्त्र धरण करें तथा दाहिने हाथ में जल लेकर पूरे दिन बिना नमक खाए व्रत करने का संकल्प ग्रहण करें।
- प्रातः सूर्य देव को तांबे के लोटे में शुद्ध जल, तिल, लाल चंदन, लाल पुष, अक्षत, गुड़ इत्यादि डालकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
- सूर्यदेव को जल अर्पित करते हुए नीचे एक तांबे का पात्र रख लें जिसमे सारा जल एकत्रित कर लें।
- तांबे के बर्तन में इकट्ठा किया जल मदार के पौधे में डाल दें।
- जल चढ़ाते हुए निम्नलिखित मंत्र बोलें –
ऊं घृणि सूर्यआदित्याय नम:
- इसके बाद निम्नलिखित मंत्रों के माध्यम से सूर्य देव की स्तुति करें और सूर्य देवता को नमस्कार करें –
कर्मांक |
मंत्र |
१. | ऊं सूर्याय नम:। |
२. | ऊं आदित्याय नम:। |
३. | ऊं सप्तार्चिषे नम:। |
४. | ऊं सवित्रे नम:। |
५. | ऊं मार्तण्डाय नम:। |
६. | ऊं विष्णवे नम:। |
७. | ऊं भास्कराय नम:। |
८. | ऊं भानवे नम:। |
९. | ऊं मरिचये नम:। |
- आप मकर संक्रांति के दिन श्रीनारायण कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं इससे आपको विशेष शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
- भगवान सूर्य का पूजन सम्पन्न होने के पश्चात तिल, उड़द दाल, चावल, गुड़, सब्जी कुछ धन – दक्षिणा एवं यथाशक्ति वस्त्र इत्यादि किसी ब्राह्मण को दान करें।
- इस दिन भगवान को तिल और खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए और ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए।
मकर संक्रांति 2023 पंचांग, तारीख और समय / Makar Sankranti 2023 Panchang in Hindi
2023 मकर संक्रान्ति
मकर संक्रान्ति रविवार, जनवरी 15, 2023 को
मकर संक्रान्ति पुण्य काल – 07:15 ए एम से 05:46 पी एम (अवधि – 10 घण्टे 31 मिनट्स)
मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल – 07:15 ए एम से 09:00 ए एम (अवधि – 01 घण्टा 45 मिनट्स)
मकर संक्रान्ति का क्षण – 08:57 पी एम, जनवरी 14
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