महेश नवमी व्रत कथा | Mahesh Navami Vrat Katha Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप महेश नवमी व्रत कथा / Mahesh Navami Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। महेश नवमी व्रत को शिव जी के भक्तों द्वारा बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान शिव जी के विभिन्न पवित्र नामों में से एक नाम महेश भी है जिन्हें त्रिमूर्ति के नाम से भी जाना जाता है जैसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं से अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश इस संसार के संचालन, पालन एवं संहार का कार्य करते हैं। भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह बढ़ी सरलता से ही अपने भक्तों की मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं। अतः यदि आप भी भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको भी महेश नवमी व्रत अवश्य करना चाहिए।
महेश नवमी व्रत कथा / Mahesh Navami Vrat Katha PDF
बहुत समय पहले खडगलसेन नाम का एक प्रतापी राजा राज करता था, परन्तु उसकी कोई संतान नहीं थी। राजा को पुत्रकामेष्टी यज्ञ से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। राजा ने अपने पुत्र का नाम कुंवर सुजान रखा। परन्तु ऋषियों ने 20 वर्ष तक राजा को अपने पुत्र को उत्तर दिशा में न जाने देने को कहा।
राजा का पुत्र एक दिन शिकार खेलते हुए उत्तर दिशा में सूरज कुण्ड की ओर चल पड़ा। सैनिकों के मना करने पर भी नहीं रूका और वहां कुछ ऋषियों को यज्ञ करता देख क्रोधित हो गया। राजकुमार ने ऋषियों को उस उत्तर दिशा में न आने देने की बात पर बुरा भला कहा और सैनिकों से यज्ञ में विघ्न उत्पन्न करवाया, जिससे क्रोधित हो कर ऋषियों ने श्राप दे दिया और राजकुमार समेत सभी सैनिक पत्थर हो गये।
समाचार सुनकर राजा खडगलसेन का निधन हो गया, सभी रानियां विधवा हो गईं। राजकुमार की पत्नी चन्द्रावती सभी सैनिकों की पत्नियों के साथ ऋषियों के पास गईं और क्षमा-याचना की। ऋषियों ने उन्हें उमापति भगवान महेश की पूजा करने को कहा। रानी चन्द्रावती की तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने ऋषियों के श्राप को निष्फल कर दिया और उसे अखण्ड सौभाग्यवती होने का वरदान दिया।
राजकुमार सुजान कुवंर ने सभी सैनिकों के साथ उस दिन से क्षत्रिय धर्म त्याग दिया और व्यापर करने लगे। भगवान महेश के नाम से माहेश्वरी कहलाने लगे। तब से माहेश्वरी समाज में महेश नवमी का पर्व मनाया जाने लगा।
महेश नवमी पूजा – विधि / Mahesh Navami Puja Vidhi
- महेश नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा- अर्चना की जाती है।
- भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाएं और आरती करें। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
महेश नवमी महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी के दिन भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान शिव की कृपा से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
महेश नवमी 2022 शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 08 जून को सुबह 08 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 9 जून को सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार महेश नवमी 08 जून को मनाई जाएगी।
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