महात्मा बुद्ध की जीवनी इन हिंदी PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप महात्मा बुद्ध की जीवनी इन हिंदी PDF के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। महात्मा बुद्ध का जन्म के नाम सिद्धार्थ था तथा इन्हें गौतम बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है। गौतम बुद्ध के पिता का नाम राजा शुद्धोधन तथा माता का नाम महामाया था। प्राप्त अभिलेखों के अनुसार महात्मा बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी माता का देहावसान हो गया था। अतः उनकी माता के परलोक गमन के उपरांत उनकी मौसी अथार्त माता की छोटी बहन ने किया था जिनका नाम महाप्रजापति गौतमी था।
बुद्ध का जन्म उनका जन्म 563 ईस्वी पूर्व के मध्य कपिलवस्तु (शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी) के निकट लुम्बिनी में हुआ था, जो कि वर्तमान में नेपाल में स्थित है। बुद्ध जब सिद्धार्थ थे तब उनका विवाह यसोधरा से हुआ जिनके द्वारा उन्हे एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम राहुल रखा गया। विवाह के पश्चात 29 वर्ष की आयु में बुद्ध अपने शिशु व धर्मपत्नी को रात्रीकाल में निद्रा में छोड़ जीवन के सत्य की खोज में निकाल गए थे।
महात्मा बुद्ध की जीवनी इन हिंदी PDF – जीवन वृत्त
लुम्बिनी वन नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास स्थित था। कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी के अपने नैहर देवदह जाते हुए रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई और वहीं उन्होंने एक बालक को जन्म दिया। शिशु का नाम सिद्धार्थ रखा गया।
गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण वे गौतम भी कहलाए। क्षत्रिय राजा शुद्धोधन उनके पिता थे। परंपरागत कथा के अनुसार सिद्धार्थ की माता का उनके जन्म के सात दिन बाद निधन हो गया था। उनका पालन पोषण उनकी मौसी और शुद्दोधन की दूसरी रानी महाप्रजावती (गौतमी)ने किया। शिशु का नाम सिद्धार्थ दिया गया, जिसका अर्थ है “वह जो सिद्धी प्राप्ति के लिए जन्मा हो”। जन्म समारोह के दौरान, साधु द्रष्टा आसित ने अपने पहाड़ के निवास से घोषणा की- बच्चा या तो एक महान राजा या एक महान पवित्र पथ प्रदर्शक बनेगा। सिद्धार्थ का मन वचपन से ही करुणा और दया का स्रोत था। इसका परिचय उनके आरंभिक जीवन की अनेक घटनाओं से पता चलता है। घुड़दौड़ में जब घोड़े दौड़ते और उनके मुँह से झाग निकलने लगता तो सिद्धार्थ उन्हें थका जानकर वहीं रोक देता और जीती हुई बाजी हार जाता।
नाम | गौतम बुद्ध |
जन्म का नाम | सिद्धार्थ गौतम |
अन्य नाम | शाक्यमुनि |
जन्म | 563 ईसा पूर्व, लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) |
माता | मायावती |
पिता | शुद्धोधन |
पत्नी | यशोदा |
पुत्र | राहुल |
प्रसिद्धि का कारण | विष्णु के अवतार, बौद्ध धर्म के निर्माता |
संस्थापक | बौद्ध धर्म |
धर्म | बौद्ध |
जाति | गौतम |
मृत्यु | 483 ईसा पूर्व, कुशीनगर (प्राचीन भारत का एक शहर) |
उम्र | 80 वर्ष |
महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति
- महात्मा बुद्ध को अब यह पता चल गया था कि एकाग्र ध्यान से ही दिमाग को वश में करके ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
- उन्होंने एक पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगाना शुरू किया और यह प्रण लिया कि जब तक उन्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो जाती तब तक वे वहां से उठेंगे नहीं।
- इस पीपल के वृक्ष को बोधि वृक्ष के नाम से जाना गया जिसके नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान का बौद्ध हुआ था।
- यह वृक्ष वर्तमान समय में बोधगया, बिहार में है।
- सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) को ज्ञान प्राप्त होने के बाद उन्हें सब लोग बुद्ध कहने लगे।
- “बुद्ध” का मतलब होता है कि वह जो जागृत है या सब जानता है।
- उन्होंने सांसारिक मोह माया से आजादी प्राप्त कर ली थी।
- अब वह घृणा, इच्छा, तृष्णा, उपेक्षा आदि से मुक्त हो चुके थे।
शिक्षा एवं विवाह
सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद् को तो पढ़ा ही , राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। पिता द्वारा ऋतुओं के अनुरूप बनाए गए वैभवशाली और समस्त भोगों से युक्त महल में वे यशोधरा के साथ रहने लगे जहाँ उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ। लेकिन विवाह के बाद उनका मन वैराग्य में चला और सम्यक सुख-शांति के लिए उन्होंने अपने परिवार का त्याग कर दिया।
महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं
- चार आर्य सत्य
- दुख समुदाय
- दुख निरोध
- दुख निरोध के मार्ग
- अष्टांगिक मार्ग
- अनात्मवाद
- कर्मवाद
- निर्वाण
- अनीश्वरवादी
- अहिंसा पर बल क्षणिकवाद
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