महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर Hindi - Description
नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर PDF Download प्रारूप में प्रदान करने जा रहे हैं। महाकाव्य और खंडकाव्य दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण विषय हैं, इसीलिए अगर आप इस विषय में जानने के इच्छुक हैं तो इस लेख के द्वारा आसानी से जान सकते हैं।
महाकाव्य उसे कहा जाता है जिसमें सर्गों का निबंध हो। महाकाव्य में जब किसी देवता या सदृश क्षत्रिय में धीरोदातत्वादि का गुण हो उसे नायक कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर खंडकाव्य के संबंध में आप यह जानेंगे कि खंडकाव्य के साहित्य में प्रबंध काव्य का एक रूप होता है जिसमें जीवन की एक किसी विशेष घटना को लेकर उसपर लिखा गया हो उसे खंडकाव्य कहते हैं।
“खंडकाव्य” शब्द से स्पष्ट होता है कि इस प्रकार के काव्य में मानव जीवन की किसी एक ही घटना की प्रधानता रहती है जिसमें नायक का चरित्र जीवन संपूर्ण रूप में कवि को प्रभावित नहीं करता। यदि आप इस विषय में और विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें।
महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर PDF – Mahakavya Khandkavya Me Antar Hindi PDF Download
महाकाव्य | खंडकाव्य |
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महाकव्य में जीवन का संपूर्ण चित्रण होता है। | खंडकाव्य में जीवन के किसी एक भाग के चरित्र का चित्रण होता है। |
महाकव्य में आठ सर्ग होते है। | खंडकाव्य में एक सर्ग होता है। |
महाकव्य का आकार बड़ा होता है। | खंडकाव्य का आकार छोटा होता है। |
महाकव्य में कई छंदों का उपयोग होता है। | खंडकाव्य में एक छंद का उपयोग होता है। |
इसका उद्देश्य महान होता है। | इसका उद्देश्य महान होना आवश्यक नहीं है। |
उदाहरण – रामचरितमानस , पदमावत , कामायनी | उदाहरण – सुदमाचारित , हल्दीघाटी ,पथिक |
महाकाव्य किसे कहते हैं ?
महाकाव्य ऐसी पदबद्ध रचना होती है जिसमें किसी महान व्यक्ति का पूर्ण रूप से वर्णन हो एवं इसका उद्देश्य महान हो महाकाव्य कहलाता है। प्रबन्ध काव्य का भेद महाकाव्य है। महाकाव्य ऐसी रचना को कहते हैं जिसमें कोई इतिहास पुराण प्रसिद्ध कथावस्तु होती है। इसमें शृंगार, वीर तथा शान्त रसों में कोई अंगी रस होता है और शेष रस गौण रूप में व्यंजित होते हैं।
महाकाव्य की विशेषता :
- प्रारंभ में देवी-देवता की आराधना होनी चाहिए।
- महाकाव्य में आठ या अधिक सर्ग होने चाहिए।
- महाकव्य का नायक या नायिका महान और उदात्त चरित्र वाला होता है।
- महाकाव्य में छंदों का प्रयोग होना चाहिए।
- प्रधान रस शांत, वीर या शृंगार रस होना चाहिए, तथा अन्य रसों का प्रयोग समयानुसार करना चाहिए।
- इसमें यात्रा वर्णन, प्रकृति वर्णन, नगर वर्णन होना चाहिए।
महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर बताइए।
महाकाव्य |
खंडकाव्य |
महाकाव्य में नायक – नायिका के जीवन का संगोपांग चित्रण होता है। |
खंडकाव्य में नायक – नायिका के जीवन की एक घटना का चित्रण होता है। |
महाकाल का कलेवर विस्तृत होता है। |
खंडकाव्य का कलेवर सीमित होता है। |
महाकाव्य मेंअनेक छंदों का प्रयोग होता है। |
खंडकाव्य में एक छंद का प्रयोग होता है। |
उदाहरण – जयशंकर प्रसाद-कामायनी मैथिलीशरण गुप्त-साकेत |
उदाहरण- मैथिलीशरण गुप्त-पंचवटी ,जयद्रथ वध |
महाकाव्य में पात्रों की संख्या अधिक होती है। |
खंडकाव्य में पात्रों की संख्या सीमित होती है। |
खंड काव्य किसे कहते हैं?
खण्ड काव्य भी प्रबन्ध-काव्य का एक भेद है। इसमें जीवन को किसी एक घटना या मार्मिक अनुभूति का पूर्णता के साथ चित्रण किया जाता है। खण्डकाव्य जीवन का न तो खण्डित चित्र है, न महाकाव्य का अंश यह सीमित आकार में स्वतः पूर्ण रचना है। उदाहरण-पंचवटी, जयद्रथ वध, नहुष, सुदामा चरित, मिलन, पथिक आदि।
खंडकाव्य की विशेषताएं
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खंडकाव्य में जीवन की किसी एक घटना या मार्मिक अंश का चित्रण होता है।
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घटना के माध्यम से किसी आदर्श की अभिव्यक्ति होती है।
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इसका नायक प्रसिद्ध होता है।
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संपूर्ण रचना एक ही छंद में होती है।
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इसका प्रधान रस, शांत या वीर रस होता है।
प्रश्न : महाकव्य और खंडकाव्य में कौन बड़ा है ?
उत्तर : महाकाव्य खंडकाव्य से बड़ा होता है।
प्रश्न : महाकाव्य में कितने सर्ग होते हैं ?
उतर : महाकव्य में आठ सर्ग होते है।
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