महागौरी माता की कथा | Mahagauri Mata Ki Katha Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप महागौरी माता की कथा PDF / Mahagauri Mata Ki Katha PDF Hindi प्राप्त कर सकते हैं । जैसा कि आप जानते ही होंगे कि नवरात्रि का उत्सव हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है । नवरात्रि के आठवें दिन माता माहागौरी का पूजन किया जाता है । महागौरी माता की कृपा से व्यक्ति सुख – शांति प्राप्त करता है । महागौरी माता व्रत कथा देवी माता के महागौरी स्वरूप को समर्पित एक कथा है जिसके माध्यम से आप माता जी के इस रूप की महिमा के बार में जान सकते हैं।
महागौरी माता का रूप अत्यधिक सौम्य है तथा वह गौर वर्ण की हैं इसलिए उनके भक्त उन्हे महागौरी माता के रूप में पूजते हैं । महागौरी माता के पूजन में महागौरी व्रत कथा का बहुत अधिक महत्व होता है । माता जी अपने भक्तों की सरल पूजा – अर्चना से प्रसन्न हो जाती हैं तथा उन्हें मनोवांछित परिणाम प्रदान करती हैं। यदि आप भी माता महागौरी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें।
माँ महागौरी की कथा PDF | Maa Mahagauri Vrat Katha PDF
नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी के रूप का पूजन किया जाता है। पौराणिक शिव पुराण की कथा के अनुसार, महागौरी जब मात्र आठ वर्ष की थी तभी से उन्हें अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का स्पष्ट स्मरण होने लगा था। उसी समय से उन्होंने भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में मान लिया और शिवजी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करनी भी आरंभ कर दी जिसके चलते देवी ने वर्षों तक घोर तपस्या की। वर्षों तक निराहार तथा निर्जला तपस्या करने के कारण इनका शरीर काला पड़ गया। इनकी तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए व उन्होंने इन्हें गंगा जी के पवित्र जल से पवित्र किया जिसके पश्चात् माता महागौरी विद्युत के समान चमक तथा कांति से उज्ज्वल हो गई। इसके साथ ही वह महागौरी के नाम से विख्यात हुई।
महागौरी माता की आरती pdf | Mahagauri Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरी वहां निवासा॥
चंद्रकली ओर ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती {सत} हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
महागौरी माता की पूजा विधि / Mahagauri Mata Ki Puja Vidhi in Hindi PDF
- सर्वप्रथम चौकी पर माता महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
- चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें।
- उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
- इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
- इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, – नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें।
- तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
- अगर आपके घर अष्टमी पूजी जाती है तो आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं।
- ये शुभ फल देने वाला माना गया है।
महागौरी माता कवच | Mahagauri Mata Kavach Lyrics in Sanskrit
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
देवी महागौरी ध्यान मंत्र | Devi Mahagauri Dhyan Mantra
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
महागौरी माता प्रार्थना / Mahagauri Mata Prarthana in Sanskrit
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
Shwete Vrishesamarudha Shwetambaradhara Shuchih।
Mahagauri Shubham Dadyanmahadeva Pramodada॥
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